अना सागर झील, 13 किमी के क्षेत्र में फैली है, एक कृत्रिम झील है जो पृथ्वी राज चौहान के पितामह अनाजी चौहान द्वारा निर्मित की गई थी। झील में जलग्रहण स्थानीय लोगों की मदद के साथ 1135 और 1150 ई. के मध्य बनाया गया था।
दौलत बाग उद्यान सम्राट जहाँगीर द्वारा झील...
सोला खंबा नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहाँ छत को सहारा देने ले लिए 16 खंबे हैं। यह औरंगजेब के शासनकाल में बनाया गया। इसे शेख अलाद्दीन की कब्र के नाम से भी जाना जाता है और यह दरगाह शरीफ़ के बिलकुल बाहर स्थित है। इस कब्र का निर्माण संत द्वारा चार वर्षों में किया गया जो...
भीम बुर्ज और गर्भ गुंजन तारागढ़ किले के परिसर में स्थित पत्थर के टॉवर हैं। गर्भ गुंजन एक तोप है जो भीम बुर्ज के नीचे स्थित है। यह इतनी विशाल है कि यदि नाप को मानकर तुलना की जाए तो यह भारत में दूसरे स्थान पर आती है। जब कभी भी इस क्षेत्र में पानी की कमी होती थी तो...
नासिया मंदिर जिसे लाल मंदिर भी कहा जाता है, का निर्माण 1865 में हुआ था और यह अजमेर में पृथ्वीराज मार्ग पर स्थित है। मंदिर की संरचना दो मंजिली है जो प्रथम जैन तीर्थांकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। भवन दो भागों में बनता हुआ है: एक भाग जो पूजा का क्षेत्र है जहाँ...
मंदिर श्री निम्बार्कपीठ की स्थापना खेजरली के भाटी प्रमुख, श्री शेओजी और गोपाल सिंह जी भाटी द्वारा की गई थी। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य लोगों को तांत्रिक फ़िकिर मस्तिंग शाह के अत्याचारी व्यवहार से मुक्ति दिलाना था। इसके अलावा यह मंदिर वैष्णव सिद्धांतों का प्रचार...
अकबरी मस्जिद जो मुग़ल बादशाह अकबर द्वारा 1571 में बनवाई गई थी, दरगाह शरीफ में बुलंद दरवाज़ा एवं शाहजहानी दरवाज़े के मध्य स्थित है। लाल बलुआ पत्थर से बनी यह मस्जिद अब मोईनुआ उस्मानिया दारुल-उलूम है जो कि अरबी एवं फारसी में धार्मिक शिक्षा के विद्यालय हैं।
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अढ़ाई दिन का झोपड़ा एक मस्जिद है जिसके पीछे एक रोचक कथा है। ऐसा माना जाता है कि यह संरचना अढ़ाई दिन में बनाई गई थी। यह भवन मूल रूप से एक संस्कृत विद्यालय था जिसे मोहम्मद गोरी ने 1198 ई. में मस्जिद में बदल दिया था। यह मस्जिद एक दीवार से घिरी हुई है जिसमें 7...
मांगलियावास दुर्लभ प्रजातियों के 800 वर्ष पुराने दो वृक्षों के लिए प्रसिद्ध है। यह राष्ट्रीय राज्यमार्ग 8 (एनएच) पर अजमेर शहर से 26 किमी. की दूरी पर ब्यावर की ओर स्थित है। वृक्ष, जो “कल्पवृक्ष” के नाम से लोकप्रिय हैं, ऐसा माना जाता है कि उन लोगों की...
फॉय सागर झील एक कृत्रिम झील है जिसका निर्माण अजमेर के पास वर्ष 1892 में अंग्रेज़ वास्तुकार श्री फॉय की निगरानी में हुआ था। झील का निर्माण मूल रूप से एक सूखा राहत परियोजना के हिस्से के तहत् किया गया था, एवं यह पानी के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में सेवा देती है।...
अब्दुल्ला खान का मकबरा सफ़ेद संगमरमर से बना एक सुंदर संस्मरण है जो सैयद भाइयों ने 1710 ई. में अपने पिताजी के लिए बनवाया था। यह आयताकार मकबरा चार चरणों के साथ एक उठे हुए मंच पर स्थित है, जिसे सजावटी मेहराबों एवं चार मीनारों के साथ अलंकृत किया गया है। यह कब्र...
शाहजहाँ की मस्जिद सफ़ेद संगमरमर की बनी हुई है जो दरगाह शरीफ के भीतरी आंगन में स्थित है। मस्जिद की संरचना में निचले तोरण मार्ग के साथ 30.5 मीटर लंबा मैदान है एवं पवित्र स्थानों पर जाली के काम के साथ नाज़ुक नक्काशियाँ हैं। मस्जिद वास्तुकला की ठेठ मुगल शैली में बनाई...
अकबर का महल और संग्रहालय, 1570 ई. में बनाया गया और यह राजस्थान के सबसे मजबूत किलों में गिना जाता है। इसका प्रयोग मुगल सम्राट जहाँगीर और मुगल दरबार के अंग्रेज राजदूत सर थॉमस रो, की बैठक की जगह के रूप में किया गया था। यह महल बादशाह एवं उनके सैनिकों के लिए निवास...
मेयो महाविद्यालय की स्थापना मेयो के छठवे अर्ल द्वारा की गयी थी, जो 1869 से 1872 तक भारत के राजप्रतिनिधि (वाइसराय) थे, ताकि रियासत के शासकों को ब्रिटिश मानकों के अनुसार शिक्षा प्रदान की जा सके। अंग्रेजों ने इस विद्यालय की स्थापना, भारतीय संभ्रांत वर्ग विशेषतः...
अंतेड की माता मंदिर एक जैन मंदिर है जो दिगंबर समुदाय की पारंपरिक संस्कृति को दर्शाता है। इस मंदिर में बड़ी संख्या में छतरी और चबूतरे हैं। स्मारकों में पेंटिंग्स, नक्काशी और अन्य मूर्तियाँ हैं जो जैन समुदाय की समृद्ध परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। रक्षाबंधन का...
लोहागढ़ किले के अंदर स्थित भरतपुर संग्रहालय में अद्वितीय और पुरातन कलाकृतियाँ और पुरातात्विक संसाधन हैं। यह संग्रहालय पहले भरतपुर के शासकों का प्रशासनिक कार्यालय था और इसे “कचहरी कलां” के नाम से जाना जाता था। बाद में 1944 में इसे संग्रहालय में बदल दिया...