अलवर एक पहाड़ी क्षेत्र है जो राजस्थान राज्य में अरावली की पथरीली चट्टानों के बीच स्थित है। यह स्थान अलवर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस क्षेत्र को मत्स्य देश के नाम से जाना जाता था जहाँ पांडवों ने अपने निर्वासन का 13 वाँ वर्ष भेष बदलकर बिताया था। ऐतिहासिक रूप से यह स्थान मेवाड़ के नाम से भी जाना जाता था। अलवर सुंदर झीलों, भव्य महलों, शानदार मंदिरों, शानदार स्मारकों और विशाल किलों के लिए प्रसिद्द है।
किले, महल, झील, संग्रहालय और अधिक ...
पर्यटक अलवर आते हैं ताकि वे बाला किले का भ्रमण कर सकें, जो अलवर किले के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण वर्ष 1550 में हसन खान मेवाती ने करवाया था। किले की चिनाई और संरचनात्मक डिज़ाईन की भव्यता पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है।
इस किले में छह द्वार हैं जैसे जय पोल, लक्ष्मण पोल, सूरत पोल, चाँद पोल, अंधेरी द्वार और कृष्णा द्वार। सिटी पैलेस और विजय मंदिर पैलेस अलवर के अन्य वास्तु चमत्कार हैं। प्रथम पैलेस(महल) अपनी वास्तुकला की शैली और और संग्रहालय के लिए प्रसिद्द है। विजय मंदिर महल 105 भव्य कमरों, सुरम्य उद्यान और एक झील के लिए जाना जाता है।
इस स्थान के अन्य पर्यटन के आकर्षण जयसमंद झील, सिल्लीसेढ़ झील और सागर झील हैं। अलवर की यात्रा करते समय पर्यटक मूसी महारानी की छतरी, त्रिपोलिया, मोती डूंगरी, भानगढ़ के अवशेष, कंपनी बाग, क्लॉक टॉवर, सरकारी संग्रहालय, फ़तेह जंग का मकबरा, कलाकंद बाज़ार और नाल्देश्वर भी देख सकते हैं
अलवर पहुँचना
पर्यटक रेल, वायुमार्ग और रास्ते द्वारा अलवर पहुँच सकते हैं। अलवर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर हवाई अड्डा है। विदेशी पर्यटक नई दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से इस गंतव्य तक पहुँच सकते हैं। अलवर रेलवे स्टेशन दिल्ली और जयपुर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों स्थानों से टैक्सी सुविधा उपलब्ध है। पड़ोसी शहरों से अलवर के लिए बस और टैक्सी भी चलती हैं।
अलवर में वर्ष में अधिकांश समय मौसम सूखा होता है। अक्टूबर से मार्च के बीच का समय छुट्टियों में अलवर की यात्रा के लिए उत्तम होता है।