गोविंदगढ़ किला को पहले भंगियन दा किला कहा जाता था और अमृतसर जाने पर आप यहां जरूर जाएं। मिसल के गुज्जर सिंह भंगी की सेना ने 1960 में इस किले का निर्माण ईंट और चूने से करवाया था। इसमें चार विशाल दुर्ग, लोहे के दो मजबूत गेट और एक परकोटा भी है। 1805 से 1809 के बीच...
लुधियाना से 23 किमी दूर स्थित गुरुद्वारा दमदमा साहिब भी अमृतसर पर्यटन में खासा महत्व रखता है। इसे छठे सिक्ख गुरू, गुरू हरगोविंद जी स्मृति में बनया गया था, जो 1705 में यहां कुछ समय के लिए रुके थे।
यहां समय बिताने के दौरान गुरू हरगोविंद जी ने सिंहों के सिक्ख...
गुरुद्वारा छेहरटा साहिब अमृतसर से 7 किमी दूर गुरू की वडाली गांव में स्थित है। छठे सिख गुरू, गुरू हरगोविंद सिंह जी इसी गांव में पैदा हुए थे। अपने बेटे के जन्म का जश्न मनाने के लिए गुरू अर्जुन देव जी ने यहां पर एक बड़े से छेहरटा नामक कुएं का निर्माण किया था।
...अमृतसर के मुख्य रेलवे स्टेशन से गुरुद्वारा पीपली साहिब 1.5 किमी पूर्व में स्थित है। इस तीर्थस्थल का नाम पीपल के एक बड़े वृक्ष पर पड़ा है, जो कभी गुरुद्वारा के स्थान हुआ करता था। 20वीं सदी की शुरुआत में बनाए गए इस गुरुद्वारे से तीन प्रमुख सिख गुरू, गुरू रामदास जी,...
अमृतसर पर्यटन में भटिंडा किला भी अहम स्थान है। इसे भटिंडा शहर के संस्थापक भट्टी राव ने कोई 1800 साल पहले बनवाया था। ग्लास के आकार में बने इस किले पर 1745 में पटियाला के महाराजा अला सिंह ने कब्जा कर लिया था। पुरालेखों से पता चलता है कि 10वें सिख गुरू, गुरू गोविंद...
अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर के पिछले हिस्से में स्थित गुरुद्वारा माता कौलन एक पवित्र तीर्थस्थल है। इस गुरुद्वारे का निर्माण गुरू हरगोविंद की पूजा करने वाले पाकिस्तान के एक काजी की बेटी बीवी कौलन की याद में किया गया है।
जब उनके पिता ने उनकी मौत के बारे...
गुरुद्वारा बाबा अटल स्वर्ण मंदिर के दक्षिण में स्थित है। करीब दो शताब्दी पहले बना यह गुरुद्वारा मूल रूप से गुरू हरगोविंद जी के बेटे बाबा अटल राय की समाधि है। इस गुरुद्वारा में एक 40 मीटर ऊंचा अष्टभुजीय स्तंभ है। इसमें 9 तल्ले हैं, जो बाबा अटल राय के 9 साल के...
जैसा कि जाम से ही जाहिर है, इस गुरुद्वारा को सारागढ़ी के युद्ध में जान की कुर्बानी देने वाले सिक्ख योद्धाओं की याद में बनाया गया है। 1897 में हुआ सारागढ़ी युद्ध विश्व इतिहास की एक प्रमुख घटना है और इसमें 36वीं सिक्ख रेजीमेंट के 21 सैनिक ने सारागढ़ी किला को बचाने...
श्री अकाल तख्त का शाब्दिक अर्थ होता है शाश्वत सिंहासन और यह टेंपोरल अथॉरिटी ऑफ खालसा का सर्वोच्च तख्त है। साथ ही यह सिक्खों के अध्यात्मिक गतिविधियों का केन्द्र बिंदू भी है। छठे सिक्ख गुरू, गुरू हरगोविंद जी द्वारा बनवाया गया यह तख्त भारत के पांच तख्तों में सबसे...
गुरुद्वारा गुरू का महल विशाल हरमंदिर साहिब के पास स्थित है। इसे 1573 में अमृतसर के संस्थापक गुरू रामदास जी ने अपने परिवार के घर के तौर पर बनाया था। उनके बेटे गुरू अर्जुन देव जी का विवाह यहीं हुआ था और वह 5वें सिक्ख गुरू बने थे।
गुरू अर्जुन देव जी के बेटे...
गुरुद्वारा रामसर साहिब अमृतसर के दक्षिण-पूर्व छोर पर स्थित है। अन्य गुरुद्वारों की तरह यह गुरुद्वारा भी रामसर सरोवर नामक एक पवित्र तालाब के किनारे पर बना हुआ है। यह तालाब अमृतसर के पांच पवित्र तालाबों में सबसे छोटा है। इसकी खुदाई 5वें सिक्ख गुरू, गुरू अर्जुन देव...
हरमंदिर साहिब के ठीक बगल में स्थित संतोखसर गुरुद्वारा एक ऐतिहासिक सिक्ख तीर्थस्थल है। गुरू अर्जुन देव जी द्वारा बनवाए गए पांच पवित्र तालाबों में से एक तालाब यहां भी है। इस तालाब की खुदाई गुरू रामदास जी ने तत्कालीन सिक्ख गुरू और अपने ससुर गुरू अमर दास जी के निर्देश...
खैर उद्दीन मस्जिद अमृतसर के हॉल बाजार में गांधी गेट के पास स्थित है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इस मस्जिद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1876 में मोहम्मद खैरुद्दीन द्वारा बनवाए गए इस मस्जिद से ही शाह अताउल्लाह बुखारी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई...
स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह देश का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और यहां पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं। अमृतसर में स्थित इस मंदिर को सबसे पहले 16वीं शताब्दी में 5वें सिक्ख गुरू, गुरू अर्जुन देव जी ने बनवाया था। 19वीं शताब्दी...
जैसा कि नाम से ही जाहिर है, गुरुद्वारा बिबेकसर साहिब बिबेकसर सरोवर के किनारे पर स्थित है। इस सरोवर को 1628 में छठे सिक्ख गुरू, गुरू हरगोविंद जी ने बनवाया था। वहीं इस खूबसूरत गुरुद्वारे का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने उस स्थान पर करवाया था, जहां पर गुरू हरगोविंद...