आर्किड के खिले हुए फूल, बर्फ से ढंकी पहाड़ों की चमचमाती चोटी, खूबसूरत वादियां, जंगल के पत्तों की सरगोशियां, तंग जगहों से पानी का घुमावदार बहाव, बौद्ध साधुओं के भजन की पावन ध्वनि और उनका अतिथि-सत्कार...। अगर वाकई आप इन सब चीजों के बीच हैं, तो यकीन जानिए, आप अरुणाचल प्रदेश में हैं। विविध प्रकार की वनस्पति और जीव-जंतु अरुणाचल प्रदेश की मुख्य विशेषता है। वास्तव में इस प्रदेश की यात्रा एक जादुई एहसास कराती है और दिल में हमेशा-हमेशा के लिए जगह बना लेती है।
अरुणाचल प्रदेश का भूगोल
अरुणाचल प्रदेश की भौगोलिक बनावट का भी पर्यटन में अहम योगदान है। इससे यहां आने वाले पर्यटकों को प्रकृति के हर पहलू से रू-ब-रू होने का मौका मिलता है। भारत के पूर्व में बसे होने के कारण इसे उगते सूरज का प्रदेश भी कहा जाता है। यहां के ज्यादातर भाग पर हिमालय पर्वत श्रृंखला के पहाड़ देखे जा सकते हैं। साथ ही ये प्रदेश पांच नदी घाटी में बंटा हुआ है। ये नदी घाटियां हैं- सियांग, सुबनसिरी, कमेंग, तिरप और लोहित। ये सभी खूबसूरत घाटियां हरे-भरे घने जंगलों से घिरी हुई है।
आर्किड का स्वर्ग
अरुणाचल प्रदेश को भारत का आर्किड स्वर्ग भी कहते हैं। यहां 500 से ज्यादा प्रजाति के आर्किड पाए जाते हैं, जो कि पूरे भारत में पाए जाने वाली आर्किड प्रजाति का आधा है। इनमें से कुछ दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजाति के आर्किड भी हैं। अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा आर्किड रिचर्स एंड डेवलपमेंट स्टेशन की स्थापना की गई है। स्टेट रिचर्स फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट के अंतर्गत ईटानगर, सेसा, तिपि, दरांग, रोइंग और जेंगलिंग में आर्किड सेंटर हैं, जहां ऑर्नमेंटल और हाइब्रिड दोनों प्रजाति के आर्किड मिलते हैं।
सेसा आर्किड अभ्यारण्य आर्किड की अलग-अलग प्रजाति के संकलन के लिए प्रसिद्ध है। अरुणाचल प्रदेश में आर्किड के रंग-बिरंगे फूल की धारियों को देखकर ऐसा लगता है, जैसे किसी कलाकार ने पेंटिग की हो।
अरुणाचल प्रदेश में एडवेंचर टूरिज्म
अगर आपको एडवेंचर पसंद है तो फिर अरुणाचल प्रदेश में आपके लिए काफी अवसर हैं। ट्रेकिंग, रीवर राफ्टिंग और एंगलिंग (कांटा लगा कर मछली पकड़ना) यहां की तीन प्रमुख एडवेंचर गतिविधियां हैं। अरुणाचल प्रदेश के कई स्थान ट्रेकिंग के लिए काफी उपयुक्त हैं।
यहां ट्रेकिंग करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई तक रहता है। रीवर राफ्टिंग ट्रिप का अयोजन कमेंग, सुबनसिरी, दिबांग और सियांग नदी पर किया जाता है। साथ ही एंगलिंग उत्सव का आयोजन भी पूरे राज्य में होता है।
अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति और लोग
अरुणाचल प्रदेश के लोग काफी साधारण और मेहमान नवाज होते हैं। राज्य भर में 26 से भी ज्यादा जनजाति निवास करते हैं और वे अपनी कला एंव संस्कृति से आज भी जुड़े हुए हैं। यहां के जनजातियों में अपातानी, अका, बोरी, अदि, ताजिन और नईशी प्रमुख हैं। अरुणाचल प्रदेश में कई तरह की भाषाएं बोली जाती हैं। साथ ही यहां कई जनजातिय त्योहार नृत्य और संगीत के साथ पूरे साल मनाया जाता है। तवांग में नए साल पर मनाया जाने वाला त्योहार लोसार यहां का एक प्रमुख त्योहार है। इसके अलावा दरी, सोलंग और रेह त्योहार भी काफी हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है।
अरुणाचल प्रदेश और आसपास के पर्यटन स्थल
दरअसल अरुणाचल प्रदेश घूमना संस्कृति, लोग, प्रकृति और भाषाओं के बीच से होकर गुजरना है। राज्य की राजधानी ईटानगर में स्थित ईटानगर वन्य जीव अभ्यारण्य और ईटा किला चर्चित पर्यटन स्थल हैं। अरुणाचल प्रदेश के पर्यटन स्थलों में तवांग, आलोंग, जीरो, बोमडिला, पासीघाट आदि प्रमुख है।
इतना ही नहीं, यहां के वन्य जीव अभ्यारण्य अरुणाचल प्रदेश पर्यटन को काफी समृद्ध बना देते हैं। इनमें से नमदाफा नेशनल पार्क, एग्लेनेस्ट वन्यजीव अभ्यारण्य, डाइंग इरिंग वन्यजीव अभ्यारण्य आदि महत्वपूर्ण है।
अरुणाचल प्रदेश की जलवायु
अरुणाचल प्रदेश की जलवायु ऊंचाई और परिवेश के आधार पर अलग-अलग होती है। हिमालय के ऊपरी हिस्से में जहां टुंड्रा जलवायु पाई जाती है, वहीं मध्य हिमालय क्षेत्र की जलवायु समशीतोष्ण है। इसके अलावा उप-हिमालय क्षेत्र की जलवायु उपोष्णकटिबंधीय होती है। मई से सितंबर के दौरान अरुणाचल प्रदेश में भारी वर्षा होती है।