बादामी उत्तर कर्नाटक के बागलकोट जिले का एक प्राचीन शहर है। यह शहर जो वातापी के नाम से भी जाना जाता है 6 वीं से 8 वीं शताब्दी तक चालुक्य राजवंश की राजधानी था।
बादामी या वातापी का इतिहास
बादामी दो से अधिक शताब्दियों तक पूर्व या पूर्वी चालुक्यों की राजधानी था। चालुक्य राजवंश ने 6 वीं से 8 वीं शताब्दी तक आंध्रप्रदेश तथा कर्नाटक के अधिकाँश भाग पर अधिकार कर लिया था। पुलिकेसी द्वितीय के शासन काल में यह राजवंश अपनी ऊंचाई पर पहुँच चुका था। चालुक्यों के बाद बादामी ने अपनी प्रसिद्धि को खो दिया।
घाटी में स्थित तथा सुनहरे बलुआ पत्थर की चट्टानों से घिरा हुआ वातापी जो कि बादामी का उस समय का नाम था, दक्षिण भारत के उन प्राचीन स्थानों में से है जहाँ बहुत अधिक मात्रा में मंदिरों का निर्माण हुआ। बादामी अपने सुंदर गुफा मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है जो अगत्स्य झील के आसपास स्थित हैं जो घाटी के मध्य में स्थित है।
बादामी के गुफा मंदिर
यहाँ चार गुफा मंदिर हैं जिनमें से तीन हिंदू मंदिर हैं तथा एक जैन मंदिर है।
पहली गुफा
पहला गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ की विशेषता 18 फुट ऊंची नटराज की मूर्ति है जिसकी 18 भुजाएं हैं जो अनेक नृत्य मुद्राओं को दर्शाती है। इस गुफा में महिषासुरमर्दिनी की भी उत्तम नक्काशी की गई है।
दूसरी गुफा
दूसरी गुफा भगवान विष्णु को समर्पित है। इस गुफा की पूर्वी तथा पश्चिमी दीवारों पर भूवराह तथा त्रिविक्रम के बड़े चित्र लगे हुए हैं। गुफा की छत पर ब्रह्मा, विष्णु शिव, अनंतहसहयाना और अष्टादिक्पलाकास के चित्रों से सुशोभित है।
तीसरी गुफा
तीसरी गुफा बादामी की उस काल की गुफा मंदिरों की वास्तुकला और मूर्तिकला के भव्य रूप को प्रदर्शित करती है। यहाँ कई देवताओं के चित्र हैं तथा यहाँ ईसा पश्चात 578 शताब्दी के शिलालेख मिलते हैं।
चौथी गुफा
चौथी गुफा एक जैन मंदिर है। यहाँ प्रमुख रूप से जैन मुनियों महावीर और पार्श्वनाथ के चित्र हैं। एक कन्नड़ शिलालेख के अनुसार यह मंदिर 12 वीं शताब्दी का है।
बादामी में तथा इसके आसपास पर्यटन स्थल
गुफा मंदिरों के अलावा उत्तरी पहाड़ी में तीन शिव मंदिर हैं जिनमें से शायद मालेगट्टी शिवालय सबसे अधिक प्रसिद्ध है। अन्य प्रसिद्ध मंदिर भूतनाथ मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर और दत्तात्रय मंदिर हैं। बादामी में एक किला भी है जिसमें कई मंदिर भी हैं तथा साहसिक गतिविधियों को पसंद करने वाले पर्यटक यहाँ रॉक क्लायम्बिंग का आनंद उठा सकते हैं।
बादामी एक आकर्षक स्थान है। बलुआ पत्थरों से घिरे होने के साथ साथ यहाँ प्राचीन गुफा मंदिर तथा किला है। इन मंदिरों को देखने के लिए तथा चालुक्य काल की वास्तुकला देखने के लिए बादामी की सैर अवश्य करें।
बादामी की सैर के लिए उत्तम समय
बादामी की सैर के लिए उत्तम समय सितंबर से फरवरी के बीच का होता है।
बादामी कैसे पहुंचे
बादामी तक हवाई मार्ग, रास्ते या रेलमार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।