सुल्तान मस्जिद का निर्माण टीपू सुल्तान ने किया था। 1211 हेक्टर में बनी यह मस्जिद, द्रविड़ शाली में बनाई गई है। इसे देखने के लिए कई सैलानी आते हैं। यहाँ सैंकड़ों नमाज़ी अपनी नमाज अदा करते हैं।
भटकल का समुद्री तट अरब सागर के किनारे स्थित है। इस के आस पास कई पहाड़ और नारियल के पेड है। 16वीं सदी में विजयनगर साम्राज्य के दौरान यह व्यावारिक दृष्टि से एक प्रमुख बंदरगाह था। इस तट के पास विजयनगर मंदिर, जैन चन्द्रनाथ बसदी, और मुर्डेश्वर किला जैसे स्थान देखने...
1891 में बना भटकल लाइट हाउस छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है। यह भटकल नदी की दक्षिणी ओर है, ओर भटकल किले के पास है। यह सफ़ेद पत्थर से बना चिनाई मीनार है। 1936 में आए तूफ़ान के कारण इस मीनार को एक लाइट हाउस में तब्दील कर दिया गया। तब से यहाँ ज्यादा रोशंदर लालटेन...
कडवीनकटा बांध वेंकटपुर नदी पर बना है। यह भटकल के लिए प्रमुख पानी का स्रोत है। अनुमति प्राप्त कर सैलानी इसे देख सकते हैं, पर यहाँ तैरना बहुत खतरनाक हो सकता है।
यह फकीर हजरत मखधूम फक इस्माइल सुकरी का नाम है। कहा जाता है कि अल्लाह को खुश करने के लिए वे नियमित 40 दिन तक प्रार्थना करते थे, जिसे मुस्लमान चिल्ला कहते हैं। इसी फकीर के नाम पर इस कॉलोनी का नाम मुखधूम कॉलोनी रखा गया और इसी कॉलोनी पर इस मस्जिद का नाम रखा गया है।...
यह कर्नाटक की बेहतरीन मस्जिद में से एक है। इसका निर्माण 1966 में हुआ था। किसी कारण यह ध्वस्त हो गई और फिर इसका पुननिर्माण 1987 में किया गया। यहाँ लग भग 1500 नमाजी एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं, और यह नजारा बहुत खूबसूरत होता है।
खलीफा मस्जिद, भटकल की 8 पुरानी मस्जिदों में से एक है। यह शराबी नदी के तट पर स्थित है और लग भाग 200 साल पुरानी है। 1966 में इसे गिराया गया और 1972 में एक नई मस्जिद और दो मीनारों के साथ इसे फिर खड़ा किया गया। पर्यटकों को यह मस्जिद देखनी चाहिए।
यह 851 हेक्टर में बना है। इसका गुंबद सोने का है, जिसकी वजह से यह "चिन्न्द पली" “गोल्डन मोस्क" के नाम से जाना जाता है। यह तीन मंजिल मस्जिद है। इस में एक साथ 10000 लोग बैठ सकते है। इसके पास मुहकम-ऐ-शरीया, यहाँ विवादों को सुलझाया जाता है। यह भटकल के प्रमुख...
समय मिलने पर यात्रियों को इस मंदिर के दर्शन करने चाहिये। मंदिर में कि गई नकाशियों से पता चलता है कि यह मंदिर विजयनगर साम्राजय के दौरान बनाया गया है। मंदिर में चार स्तंभ रहित एक बड़ा सा विशाल कक्ष है जिसके 8 और अष्ठ दिकपलक है, इसे नवरंग कहते हैं।
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