बीजापुर एक ऐसा स्थान है जहां अतीत की सुगंध आती है। इस शहर की वास्तुकला और अंसख्य स्मारक, पर्यटकों को बीजापुर की समृद्ध संस्कृति और विरासत की कहानी बताता है। यह बंगलौर से 530 किमी की दूरी पर स्थित है। हो सकता है कि समय के साथ बीजापुर का वैभव खत्म हो गया हो लेकिन इसके मस्जिद, मीनारें और किलें अभी भी अपने भव्य अतीत की गवाही देते खड़े है।
बीजापुर क्षेत्र के इतिहास की अधिक जानकारी
इतिहास पर एक तिरछी नजर डालें तो पता चलता है कि बीजापुर, आदिल शाह वंश के दौरान गौरवशाली क्षेत्र था। यूसुफ आदिल शाह ने 1490 में बीजापुर के स्ंवतत्र शहर की स्थापना की और राजाओं के उत्तराधिकारियों के साथ-साथ उनकी विरासत के लिए शानदार वास्तुकला का निर्माण करवाया। बीजापुर के बारे में दी जाने वाली हर जानकारी अधूरी रह जाएगी, अगर उसमें गोल गुम्बद का जिक्र न किया हो।
इतिहास पर एक तिरछी नजर डालें तो पता चलता है कि बीजापुर, आदिल शाह वंश के दौरान गौरवशाली क्षेत्र था। यूसुफ आदिल शाह ने 1490 में बीजापुर के स्ंवतत्र शहर की स्थापना की और राजाओं के उत्तराधिकारियों के साथ-साथ उनकी विरासत के लिए शानदार वास्तुकला का निर्माण करवाया। बीजापुर के बारे में दी जाने वाली हर जानकारी अधूरी रह जाएगी, अगर उसमें गोल गुम्बद का जिक्र न किया हो।
गोल गुम्बद, आदिल शाह का भव्य मकबरा है जोकि दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मकबरा है। आकार में सेंट पीटर का बासीलीक भी अन्य भव्य उदाहरण है। बीजापुर के अन्य महत्वपूर्ण स्मारकों में मालिक-ए-मैदान है जहां दुनिया की सबसे बड़ी मध्ययुगीन काल की तोंपो का संग्रह है, उपरी बुर्ज में सबसे ऊॅचा टावर है और चॉद बावड़ी में 20 लाख लीटर पानी एकत्रित करने वाला टैंक भी है।
बीजापुर में विशाल व प्राचीन गड़, किलों, मकबरों, मस्जिदों व अन्य संरचनाओं के साथ बाहरी शहर के अवशेष भी है। उस समय के मुगल शासक, बीजापुर के निकट स्थित ऐहोल, पटट्कल और पदाया जैसे चालुक्य मंदिरों से काफी प्रभावित हुऐ थे।
कैसे जाएं बीजापुर
बीजापुर, देश के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यॅहा का निकटतम एयरपोर्ट बेलगाम है जबकि बंगलौर,गोवा व अन्य शहरों के लिए गाडि़यॅा है।