बीरभूम जिला अपनी सीमाओं को झारखंड के साथ साझा करता है और इसे लाल मिट्टी की भूमि कहा जाता है। इस स्थान का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होने के कारण, यह एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। यहां का टेराकोट्टा कंस्ट्रक्शन विभिन्न शहरों में फैला हुआ है।
स्थानीय उद्योग
इस जिले की आय का अधिकांश: भाग यहां होने वाले 75 प्रतिशत कृषि व्यवसाय से होती है। यहां के स्थानीय लोग कृषि करते है। पर्यटक, बीरभूम में कई बड़े - बड़े फार्मलैंड को देख सकते है और इनमें ताजी सब्जियां और अनाज को उगाया जाता है। इसके अलावा,पर्यटक यहां कई धातु और मिट्टी के बर्तन बनते भी देख सकते है जो यहां के घरेलू उदृयोगों का प्रमुख हिस्सा है।
बीरभूम और उसके आसपास स्थित पर्यटन स्थल
बीरभूम जिले, पौष मेला का आयोजन बड़े स्तर पर किया जाता है। इस जिले के अन्य आकर्षणों में यहां का धार्मिक शहर तारापीठ भी काफी विख्यात है। पास में ही बाकरेश्वर है जो गर्म पानी का एक झरना है और दुबराजपुर को मंदिर का शहर कहा जाता है।
बीरभूम में वन्यजीवन
बीरभूम वन्यजीव अभयारण्य, यहां आने वाले पर्यटकों के लिए प्रसिद्ध आकर्षण स्थल है। प्रकृति प्रेमी और जीवप्रेमी लोग, यहां आकर जैकॉल, लोमड़ी, स्पॉटेड हिरन, ब्लैकबक्स और भी अन्य प्रजातियों के जानवर देख सकते है। यहां सामान्य कबूतरों से लेकर प्रवासी पक्षी भी पाएं जाते है। तोते की कुछ अद्भुत प्रजातियां भी यहां पाई जाती है।
बीरभूम में खेल का मजा
बीरभूम में स्थानीय खेल, डांगुली का आन्न्द उठाया जा सकता है जो बॉल और छड़ी से खेला जा सकता है।
बीरभूम कैसे पहुंचे
यह शहर यातायात के सभी साधनों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। पर्यटक, बीरभूम तक बस, कार, या स्थानीय रिक्शा से आसानी से सैर कर सकते है।
बीरभूम का मौसम
अक्टूबर के बाद, बीरभूम का मौसम अच्छा और भ्रमण करने लायक हो जाता है।