शापिंग करने का मन मुम्बई की गलियों और लोकल मार्केट में है लेकिन समुद्र का किनारा शांत और मन को हल्का कर देने वाला चाहिए। जहां वाटॅर गेम्स खेले जा सकें। तो आपको घूमने के लिए बोरदी जाना चाहिए। बोरदी, महाराष्ट्र राज्य के ठाणे जिले में एक छोटे से शहर दहानू से लगभग 17 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस जगह को 'समुंदर के किनारे का पुरवा' कहा जाता है, यह बेहद शांत समुद्र तट है।
मुम्बई से 145 किमी. दूर स्थित यह शहर बेहद खूबसूरत है यहां का शान्त समुद्र तट कालापन लिए हुए हल्का चिपचिपा है जिसके किनारों पर चीकू के ढ़ेर सारे पेड़ लगे हुए है। यहां का पानी का स्तर कभी ज्यादा नहीं बढ़ता है समुद्र तट पर ज्यादा से ज्यादा एक या आधा किलोमीटर तक ही पानी आता है। इसलिए यहां पानी के गेम्स खेलना सुरक्षित माना जाता है।
बोरदी में पानी में खेले जाने वाले गेम्स काफी है जिनका लुत्फ बच्चे से लेकर बड़े तक उठाते है। कम प्रचार की वजह से पर्यटक इस जगह को कम जानते है लेकिन यकीन मानिए कि यहां आने के बाद आपको बहुत अच्छा लगेगा। यह शहर बेरोजगारी से अछूता है। यहां आने वाले पर्यटक इस क्षेत्र से घूमने के बाद काफी प्रभावित दिखते है। परिवार के साथ आने के लिए यह एक आर्दश स्थल है जहां आप चिकू के बागों में टहल सकते है और गुनगुनी धूप का मजा उठा सकते है।
बोरदी आकर इन जगहों पर आना न भूलें
पहले ही बताया जा चुका है कि बोरदी बेहद सुंदर स्थान है जो काफी रोमांटिक भी है। यहां आकर पर्यटक घुडसवारी का मजा भी उठा सकते है। यहां के शांत और स्वच्छ समुद्र तट की देखभाल महाराष्ट्र का वुड्स संरक्षण विभाग करता है, शायद यह भी एक कारण है कि यह स्थल वर्तमान में पर्यटकों की जानकारी में नहीं है।
दूसरी तरफ बोरदी में पारसी समुदाय के कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी हैं। पारसियों के पवित्र स्थल मक्का की पवित्र आग यहां कई सदियों से लगातार जल रही है। बोरदी समुदाय को पारसी लोगों ने स्थापित किया है जो काफी गर्मजोशी से भरे है। इन लोगों ने यहां आने वाले पर्यटकों के लिए प्रमाणिक पारसी भोजन और अस्थायी बंगले का भी निर्माण किया है जहां आकर पर्यटक ठहर सकते है। इस शहर में 8 किमी. की दूरी पर बहरोट की गुफाएं स्थित है जो पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है।
यह पहाडि़यां 1500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है जिन्हे पारसी समुदाय द्वारा पवित्र स्थल माना जाता है। यहां के मालीनाथ तीर्थ और कोसबाद मंदिर को जैन धर्म का तीर्थ स्थल माना जाता है। यह धार्मिक स्थल भगवान ऋषभ को समर्पित है। बोरदी का कल्पतरू गार्डन शहर से 10 किमी. की दूरी पर स्थित है जो उम्बरगांव पर आधारित है।
यहां पास में वृंदावन स्टूडियो है जहां कई धार्मिक और ऐतिहासिक धारावाहिकों जैसे महाभारत और रामायण आदि की शूटिंग की जाती थी। यहां की सस्ंकृति भारत की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करती है। इतिहास के अनुसार यहां स्थित दहानू किले को एक बार जेल के रूप में इस्तेमाल किया जा चुका है। यह किला भारत की समृद्ध सस्ंकृति का प्रतीक है। इस जगह आने के लिए मानसून के बाद का समय और सर्दियों का शुरूआती दौर आर्दश समय है।
यहां आने के लिए मौसम का विशेष ख्याल रखें। नवंम्बर से लेकर फरवरी के महीनों में यहां पर्यटकों की सख्ंया में भारी इजाफा होता है। इस दौरान यहां का तापमान 12 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जो लाभप्रद और अच्छा मौसम है। इस दौरान यहां की जलवायु स्वास्थ्यकर और समशीतोष्ण रहती है। यहां पर्यटक अपनी सुविधानुसार पहुंच सकते है, यातायात का हर साधन बोरदी तक पहुंचाने में पर्यटकों को ज्यादा कष्ट नहीं देता है। बोरदी तक हवाई यात्रा, रेल यात्रा और सड़क यात्रा से पहुंचा जा सकता है।
हवाई यात्रा करने वाले पर्यटक मुम्बई के एयरपोर्ट यानि छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डे पर उतरें और वहां से बस या निजी वाहन से आएं। रेल से आने वाले यात्री दहानु रेलवे स्टेशन तक आराम से यात्रा करते हुए आ सकते है। सड़क यात्रा करने वाले यात्री राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली बसों से बोरदी तक आएं।यात्रा से आने के बाद शहर की मोहक छवि पर्यटकों के जेहन में बस जाती है।
समुद्र किनारे बसा यह शहर आपकी छुट्टियों को आनंदमयी बना देगा और बिताए हुए हर पल में पर्यटक को आराम का एहसास होगा। यहां आने के बाद आपको अपनी तनाव भरी जिंदगी से दूर रहने में मदद मिलेगी। समुद्र तट पर आप टहल सकते है या समुद्र में तैराकी का लुत्फ भी उठा सकते है। सूर्य की रोशनी में यह तट सोने की तरह चमकता है जो आपके दिल और दिमाग में खास जगह बना लेता है जिसे आप काफी लम्बे अरसे तक भी भुला नहीं पाएंगें।