बुलंदशहर उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले के अंतर्गत आता है। यह बुलंदशहर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। इस क्षेत्र का इतिहास महाभारत काल के समय से मिलता है। यहां कई खुदाई की गई, जिसमें प्रचीन सिक्के और शिल्पकृति मिले। इसे अब लखनऊ संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है।
बुलंदशहर का इतिहास
बुलंदशहर का इतिहास 1200 ईसा पूर्व से भी पहले शुरू होता है। यह जगह हस्तिनापुर से काफी नजदीक है, जो कभी पांडवों की राजधानी हुआ करता था। हस्तिनापुर के पतन के बाद अहर पांडवों का महत्वपूर्ण शहर बन गया। यह बुलंदशहर जिले के उत्तर-पूर्व में स्थित है।
काफी बाद में राजा परम ने इस क्षेत्र में एक किले का निर्माण करवाया। इसके बाद एक तोमर राजा ने बरान नाम से एक और किले की आधारशिला रखी और इसे अपनी राजधानी बनाया। 12वीं शताब्दी में बरान साम्राज्य का अंत हो गया। 1192 में मोहम्मद गौरी ने भारत के कुछ हिस्सों सहित बरान किले को भी अपने अधीन कर लिया। बरान पर कई शासकों ने हुकूमत की और अंत में इसे बुलंदशहर के नाम से जाना गया। बुलंदशहर एक फारसी शब्द है, जिसका अर्थ होता है- ऊंचाई पर स्थित शहर।
बुलंदशहर और आसपास के पर्यटन स्थल
चूंकि बुलंदशहर का इतिहास प्राचीन काल से मिलता है, इसलिए पूरे जिले में भटोरा वीरपुर और गालिबपुर सहित अन्य जगहों पर कई खंडहर देखे जा सकते हैं। इनमें से चोला, अहर और वलीपुरा घूमने लायक जगह है। चोला एक छोटा सा गांव है, जो बिबकोल पोलियो टीका कंपनी के लिए प्रसिद्ध है।
कर्णवास एक ऐतिहासिक महत्व का स्थान है, जिसका नामकरण महाभारत के नायक कर्ण के नाम पर हुआ है। वलीपुरा गांव की प्राकृतिक सुंदरता बेजोड़ है। एक नदी के किनारे पर बसा यह गांव यहां स्थित वन चेतना केन्द्र के लिए भी जाना जाता है।
आप चाहे तो सिकंदराबाद भी घूम सकते हैं। इसे सिकंदर लोदी ने बसाया था और यहां कई प्रचीन स्मारक भी हैं। अन्य शहरों की तरह बुलंदनशहर में भी कई मंदिर और धार्मिक स्थल हैं। इन्हीं में से एक है बेलोन स्थित बेलोन मंदिर।
बुलंदशहर कैसे पहुंचे
अगर आप रेल या सड़क मार्ग से बुलंदशहर जाना चाहते हैं, तो आपको कोई परेशानी नहीं होगी।
घूमने का सबसे अच्छा समय
नवंबर से अप्रैल के बीच बुलंदशहर घूमना सबसे अच्छा माना जाता है।