75 एकड़ में निर्माण किया गया चैल महल, यहाँ का प्रमुख पर्यटक स्थल है। इसका निर्माण 1891 में पटियाला के राजा अधिराज भूपिंदर सिंह ने किया था। राजगढ़ पहाड़ी पर स्थित इस महल के इर्ध - गिर्ध छाई हरियाली और देवदार के पेड़ इसकी शोभा बढ़ाते है। यह पटियाला के राजे...
पहाड़ी की चोटी पर स्थित काली का टिब्बा, काली माँ का मंदिर है। माँ काली को समय और बदलाव की देवी माना जाता है। यहाँ से शिवालिक श्रेणी और चुर्दर शिखर बहुत सुंदर दिखते हैं। पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस पहाड़ी का नाम राज माता की कुटिया ब्लौसम पर रखा गया है।
अपने शासन दौरान पटियाला के राजा, अधिराज भूपिंदर सिंह जिन्होंने चैल को अपनी गीष्मकालीन राजधानी बनाई, यहाँ शिकार खेला करते थे। फिर 1976 में सरकार ने इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया। छोटी सी पहाड़ी पर स्थित और 110 वर्ग कि. मी में फैले...
हिमाचल के कंडघाट और चैल के बीच सिद्ध सधुपल प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। यह अश्विनी धारा पर बने छोटे से बांध के करीब स्थित है। यह स्थान पिकनिक स्पोट के रूप में भी प्रसिद्ध है।
पांडव पहाड़ी पर स्थित गुरुद्वारा साहिब का निर्माण 1907 में हुआ था। चैल बाज़ार से थोड़ी दूर पर यह स्थान यहाँ का प्रमुख आकर्षक स्थल है। भले ही यह सिख मंदिर है पर इसकी निर्माण शैली थोड़ी सी गोवा की चर्च की तरह है।
पीले रंग के गुरूद्वारे में बिछी हरी लॉन इसे...
समु्द्र तट से 2444 मीटर की ऊंचाई पर सिद्ध यह क्रिकेट मैदान, विश्व के सब से ऊँचे स्थित मैदानों में से एक है। यह क्रिकेट मैदान के साथ साथ पोलो मैदान भी है जिसका निर्माण 1893 में पटियाला के राजा भूपिंदर सिंह ने किया था। इसके आस पास कई देवदार के पेड़ है और आज यह चैल...
सिद्ध बाबा का मंदिर चैल का प्रमुख तीर्थ स्थान है, जो कि राजगढ़ और पांडव पहाड़ियों के बीच स्थित है। कहा जाता है कि पट्याला के राजा भूपिंदर सिंह पहले यहाँ महल बनाना चाहते थे, पर फिर एक दिन उनके सपने में कोई ऋषि आये जिन्होंने उन्हें यहाँ मंदिर बनाने का आदेश...
प्रथम विश्व युद्ध के बाद, 1922 में बना यह चैल सैन्य पाठशाला बहुत प्राचीन है। किंग जोर्ज 5 के पेट्रियोटिक फंड से दिये गए 250,000 रुपये से इसका निर्माण हुआ। इस पाठशाला के छात्रों को जोर्जीयंस कहा जाता है।
2155 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्कूल पर्यटकों को अपनी...