तिरुवेटकलम का नाम प्राचीन हिंदू लोककथाओं में एक ऐसे स्थान के रुप में दर्ज है जहां भगवान शिव ने एक शिकारी के रुप में अर्जुन से लड़ाई लड़ी थी। स्पष्ट रुप से, यह वही स्थान है जहां भगवान शिव ने अर्जुन के साथ लड़ाई लड़कर उस पर जीत हासिल की थी और इसी दौरान उन्होंने अर्जुन के धनुष को भी तोड़ दिया था। एक अन्य कथा के अनुसार, इसी स्थान पर अर्जुन को भगवान शिव से पासुपतास्त्रम प्राप्त हुआ था और आज उसी स्थान पर तिरुवेटकलम पासुपतेश्वर मंदिर खड़ा है।
यहां भगवान शिव को पासुपतेश्वर के रुप में पूजा जाता है। इस मंदिर का मुख पूर्वी दिशा की ओर है जहां उगते सूरज को देखा जा सकता है। इस मंदिर की परिधि में सुन्दरेश्वर, सिद्धि विनायक, सोमस्कंद और महालक्ष्मी देवी नामक कई देवताओं के छोटे मंदिर भी मौजूद हैं जिन्हें भक्त मुख्य मंदिर की परिक्रमा करते समय देख सकते हैं।
तमिल के बैसाखी महीने के दौरान मनाए जाने वाले महोत्सव इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है और यह समय यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय है। इस त्योहार के दौरान पासुपतास्त्रम की कहानी को नाट्य रुप में फिर से दर्शाया जाता है। यह मंदिर चिदंबरम से 3 किलोमीटर दूर अन्नामलाई विश्वविद्यालय कैंपस के निकट स्थित है।