महाराष्ट्र राज्य के अमरावती जिले में स्थित शहर चिखालदारा धार्मिक महत्व वाला शहर है। यहां राज्य का सबसे अच्छा वन्यजीव अभयारण्य और एक मात्र कॉफी बागान है। चिखालदारा शहर की खोज 1823 में कप्तान रॉबिन्सन ने की थी जो हैदराबाद रेजीमेंट में तैनात थे। कहा जाता है कि कप्तान को इस जगह आकर अपने देश इंग्लैंड की याद आ जाती थी। चिखालदारा नाम के पीछ एक कहानी है माना जाता है कि पुराने जमाने में इस जगह का राजा किचक हुआ करता था जो अत्यंत शक्तिशाली था उसे पांडवो में से एक भाई भीम ने गहरी खाई में फेंक दिया था और उसकी मौत हो गई। तभी से इस जगह का नाम चिखालदारा पड़ गया जो चिकल यानि किचक के समान अर्थ वाला और दारा यानि गहरी घाटी के नाम पर था। पौराणिक कहानियों में लिखा है कि भगवान श्री कृष्ण इसी जगह से रूक्मिणी को अपने साथ लाएं थे।
चिखालदारा - वन्यजीवों के लिए स्वर्ग
चिखालदारा वन्यजीवों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। यहां हजारें की संख्या में पेड़, पौधे और पशु - पक्षी पाएं जाते है। यहां के सेंचुरी में उड़ने वाली गिलहरी, माउस हिरण, साही, लंगूर, नीला बैल, भारतीय बायसन, जंगली कुत्ता, तेंदुआ, छिपकली, रीसस बंदर, जंगली सूअर आदि जानवर पाएं जाते है। यहां के जगलों में कई पेड़ों की प्रजातियां है। हाल ही में यहां मेलघाट टाइगर प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है जो भारत में बाघों की घटती संख्या को लेकर चिंताजनक है। यहां के स्थलों में कई मनोरम दृश्य देखने को मिलते है जैसे - प्रोसपेक्ट प्वांइट और तूफान प्वांइट। यदि आप कला और इतिहास प्रेमी है तो यहां के नारला किले और गविलगढ़ किले में आना न भूलें।
चिखालदारा - कुछ अन्य तथ्य
यह जगह समुद्र किनारे स्थित स्थलों की भातिं जलवायु वाली है। यहां का तापमान न ज्यादा बढ़ता है और न ज्यादा गिरता है। साल के हर महीने में मौसम एक समान रहता है। गर्मियों के मौसम गर्मी का कहर पर्यटकों पर नहीं बरसता है। बारिश के मौसम में यहां चारों तरफ हरियाली छा जाती है। सर्दियों में यह जगह घूमने के लिए सर्वोत्तम है। यहां आने के लिए पर्यटकों को अकोला हवाई अड्डे के रास्ते से आना होगा। यहां कोई एयरपोर्ट नहीं है। अगर आप ट्रेन से आ रहे है तो बदनेरा तक का टिकट लें। शहर तक पहुंचने के लिए राज्य सरकार की बसें भी अच्छा विकल्प है। यह एक आकर्षक स्थल है जो लोगों को प्रकृति के करीब ले आता है और उन्हे संसार में विरली चीजों को देखने का मौका प्रदान करता है।