चिल्का झील 1100कि.मी. वर्ग में फैली है और दया नदी के मुहाने पर स्थित है। इस नमकीन पानी की झील को आर्द्रभूमि भी कहा जाता है। सर्दियों में यह झील कैस्पियन सागर, ईरान, रूस और दूर स्थित साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान बन जाती है। ऐसा अनुमान है कि प्रवासी मौसम में इस झील पर पक्षियों की 205 प्रजातियाँ आती हैं। इनमें से एवियन प्राणियों की 97 प्रजातियाँ अंतरमहाद्वीपीय प्रवासियों की होती हैं।
चिल्का झील में अनेक छोटे द्वीप बने हुए हैं। इन द्वीपों की यात्रा आपको जीवनभर याद रहेगी। नरकट द्वीप कहे जाने वाले पक्षी द्वीप, हनीमून द्वीप, परीकुद द्वीप, ब्रकफास् द्वीप, मलूद द्वीप, निर्मलझरा द्वीप, कालीजाई द्वीप और नालंबना द्वीप कुछ महत्वपूर्ण द्वीप हैं।
कालीजाई द्वीप में कालीजाई देवी को समर्पित एक मंदिर है, इसलिए यह हिंदुओं का तीर्थस्थल है और सालभर यहाँ लोगों की भीड़ रहती है। इस मंदिर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। झील और समुद्र के संगम पर रिझांसा द्वीप स्थित है। इस द्वीप पर एक मनोरम बीच बना हुआ है। सतपड़ा, बालुगाँव, रंभा और बारकुल से होते हुए नौकासवारी के माध्यम से आप चिल्का झील के महत्व को महसूस कर सकते हैं।