आठवीं सदी में निर्मित कालिका माता मंदिर क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। सिसोदिया राजवंश के राजा बप्पारावल ने एक सूर्य मंदिर के रूप में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। हालांकि चौदहवी शताब्दी में महाराणा हमीर सिंह ने मंदिर में कलिका माता की मूर्ति को स्थापित किया, तब से यह कलिका माता के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
देवी कलिका वीरता एवं शक्ति का प्रतीक हैं व इन्हें चित्तौड़गढ़ की रक्षक माना जाता है। कलिका माता मंदिर कई शानदार नक्काशीदार चित्र व मूर्तियों से सजा स्थापत्य कला का एक सुंदर नमूना है। वार्षिक उत्सव कालिका माता का आशीर्वाद लेने आए भक्तों की एक बड़ी संख्या को आकर्षित करता है।