कोयंबटूर, तमिलनाडु के दक्षिणी राज्य में स्थित एक शहर है। यह शहर, क्षेत्रफल के हिसाब से राज्य में दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इसे भारत का 15 वां सबसे बड़ा राज्य घोषित किया गया है और एक महानगर भी माना जा चुका है। यह शहर देश का प्रमुख औदृयोगिक केंद्र है और इसे दक्षिण का मैनचेस्टर कहा जाता है।
कोयंबटूर में पिछले दो दशकों में, शिक्षा और औदृयोगीकरण के मामले में प्रमुख सुधार और विकास हुआ है। हालांकि, अभी भी इस शहर के रंगीन ऐतिहासिक अतीत को देखा जा सकता है। कोयंबटूर में कई वंश के शासकों ने राज्य किया है जिनमें से चेर, चोल, उसके बाद पांड्या, विजयनगर साम्राज्य के राजा और मदुरई के नायक जैसे प्रमुख शाही राजवंश भी शामिल है।
वास्तव में, कई स्थानीय लोगों का मानना है कि कोयंबटूर नाम कोयन से लिया गया था, जो नायकों के प्रधानमंत्री थे। 17 वीं शताब्दी से पहले कोयंबटूर, मैसूर राज्य का हिस्सा था लेकिन बाद में 1799 में इसे अंग्रेजों ने जीत लिया और इसके बाद इसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का हिस्सा बना दिया गया।
कोयंबटूर का आधुनिक इतिहास 20 वीं सदी तक शुरू नहीं हुआ था। 1930 के बाद, कोयंबटूर में विकास शुरू हुआ है और इसे बाद से ही यहां कपड़ा उद्योग भी आगे बढ़ाया गया। कोयंबटूर के विकास में सबसे ज्यादा अच्छा कारक यहां की सुखद जलवायु, उपजाऊ मिट्टी और लोगों की कड़ी मेहनत है।
कॉटन सिटी
कोयंबटूर को तमिलनाडु राज्य की कॉटन सिटी कहा जाता है क्योंकि इस शहर में टेक्सटाइल और टेकनीक की महत्वता सबसे ज्यादा है। कोयंबटूर एक ऐसा शहर है जहां प्राचीन काल के हस्तशिल्प सामान और आधुनिक सामान आप हाथों - हाथ खरीद सकते है। तमिलनाडु राज्य में चेन्नई के बाद कोयंबटूर ही ऐसा शहर है जिससे सबसे ज्यादा राजस्व वसूल किया जाता है और दक्षिण भारत में राजस्व के संदर्भ में इसका चौथा स्थान है।
कोयंबटूर को भारत में कॉटन सिटी का करार दिया गया है क्योंकि यहां से पूरे देश में कपास का भारी निर्यात किया जाता है और इस शहर की आर्थिक निर्भरता भी कॉटन इंड्रस्टी पर निर्भर करती है। यहां की हजारों - लाखों जनता की आय का स्त्रोत, यहां स्थित कॉटन मिल्स है जो उन्हे रोजगार प्रदान करती है।
पूरे कोयंबटूर में कपास की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। इतना ही नहीं, कोयंबटूर, देश में सबसे ज्यादा होजरी उत्पादों का निर्माता भी है। इस शहर में ही देश का सबसे बड़ा पोल्ट्री उद्योग चलता है।
कोयंबटूर में छोटे और बड़े, दोनो प्रकार के उद्योग चलते है। ये उद्योग, यहां के लोगों को रोजगार प्रदान करते है और शहर के बाहर बसे लोगों को भी व्यवसाय देते है। वास्तव में, कोयंबटूर में बाहर के शहरों के कई छात्र आकर रिसर्च करते है और टेक्सटाइल इंडस्ट्री के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश करते है। दक्षिण भारतीय कपड़ा रिसर्च एसोसिएशन (एसआईटीआरए) और सेंट्रल इंस्ट्रीट्यूट फॉर कॉटन रिसर्च ( सीआईसीआर ) से भी कई छात्र यहां आकर कॉटन तकनीकी के बारे में जानते है और यहां के प्रबंधन से काफी सीखते है।
कोयंबटूर में दो सेंटर है जो कपड़ा उद्योग में सबसे अग्रणी है और तकनीकी में भी सबसे आगे है। इनमें से पहला सेंटर सिटरा में है और इसका नाम मेडीटेक है। दूसरा सेंटर, पीएसजी कॉलेज ऑफ इंजीनियर एंड टेक्नोलॉजी के परिसर में स्थित है।
आई टी और आई टी ई एस का विकास
कोयंबटूर में जितनी तेजी से कॉटन इंडस्ट्री ने विकास किया है उतना ही विकास, पिछले 15 सालों में आई टी फील्ड़ में भी हुआ है। वास्तव में, पिछले कुछ सालों में कोयंबटूर में कई सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स तैयार हो गए है, यहां चेन्नई के बाद सबसे ज्यादा ग्रेजुएट इंजीनियर्स है। इसीकारण, कोयंबटूर में आई टी और बीपीओ इंडस्ट्री में काफी विकास हुआ है और टिडेल पार्क में उन्नति हुई है।
कोयंबटूर में कई आई टी कम्पनी जैसे - कोगीजेंट टेक्नोलॉजी सल्यूशन, टाटा कन्शलटेंसी सर्विस, डेल, रोबर्ट बोस और आईबीएम आदि प्रमुख नाम है। जल्दी ही कोयंबटूर शहर के बाहरी क्षेत्र में एक आई टी पार्क का निर्माण करवाया जाएगा।
कोयंबटूर और उसके आसपास स्थित पर्यटन स्थल
कोयंबटूर में सबसे ज्यादा सैर किए जाने वाले स्थलों में मारूधामलाई मंदिर, धान्यालिंगा मंदिर, इंदिरा गांधी वन्यजीवन अभयारण्य और राष्ट्रीय पार्क और ब्लैक थंडर थीम पार्क है।
कोयंबटूर का मौसम
कोयंबटूर में तीनों मौसम आते है - गर्मी, मानसून और सर्दी।
कोयंबटूर तक कैसे पहुंचे
कोयंबटूर में एक एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन है जिससे बाहरी पर्यटक आसानी से यहां की सैर पर आ सकते है। यह शहर सड़क मार्ग के द्वारा भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।