कुन्नूर एक ऐसा हिल स्टोशन है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों के मानस पटल पर अमिट छाप छोड़ जाता है जिससे बचपन की साधारण और आश्चर्य कर देने वाली यादें ताजा हो जाती हैं। ऊटकामुण्ड के विश्वप्रसिद्ध हिल स्टेशन के निकट इस हिल स्टेशन पर आने के बाद आप यहाँ की वादियों में खो जायेंगे। समुद्र तल से 1850 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इसे छोटे से अलासये शहर के वातावरण से आपको तुरन्त ही प्यार हो जायेगा।
कुन्नूर के प्रवास के दौरान आपको कभी भी यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या थमती नहीं दिखाई देगी। यात्री इस सुन्दर जगह पर बरबस ही चले आते हैं, आपके कुन्नूर आने के समय के अनुरूप यात्रियों की संख्या कम या ज्यादा हो सकती है। कुन्नूर इतनी शांत जगह है कि यात्रियों की चहल-पहल और शोलगुल के बावजूद इस स्थान की शान्ति भंग नहीं होती इसीलिये इसे कभी न सोने वाली घाटी के नाम से नवाज़ा गया है।
कुन्नूर की कोई भी यात्रा नीलगिरि की पहाड़ी रेल रास्ते पर सवारी किये बिना अधूरी है। रेलगाड़ी मेट्टूपलयम से शुरू होकर कुन्नूर की पहाड़ी पर चढ़ाई करती है और फिर ऊटी चली जाती है। रास्ते में पड़ने वाले शानदार प्राकृतिक दृश्य यात्रियों को मन्त्रमुग्ध कर देते हैं।
पर्यटकों को सिम्स पार्क, डॉल्फिन नोज़, दुर्ग फोर्ट, लेैम्ब्स रॉक, हिडेन वैली, कटारी फाल्स और सेन्ट जॉर्ज चर्च स्थानों को देखना नहीं भीलना चाहिये क्योंकि यही कुन्नूर के सबसे प्रमुख पर्यटक स्थल हैं।
चाय और चॉकलेट का स्वाद
कुन्नूर की अर्थव्यवस्था यहाँ के फलते-फूलते चाय उद्योग पर निर्भर करती है। ज्यादातर स्थानीय लोग चाय के उत्पादन, प्रसंस्करण और बिक्री पर निर्भर रहते हैं। घर की बनी चॉकलेट नीलगिरि की विशेषता है और कुन्नूर इससे अनग नहीं है। आप को घर में बनी चॉकलेट हर दूसरी गली में मिल जायेगी और इसे जरूर आजमाना चाहिये।
कुन्नूर बागवानी और फूल उद्योग के लिये भी प्रसिद्ध है। ऑर्किड और फूल वाले पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियाँ यहाँ पर उगाई और बेची जाती हैं। विश्व में कहीं न पाई जाने वाली प्रजातियाँ भी आपको यहाँ सन्तुष्ट करती हैं।
नीलगिरि पहाड़ी रेलसेवा – नीलगिरि के दिल की यात्रा
नीलगिरि की यात्रा पर आये किसी भी पर्यटक को कुन्नूर और उसके बाद ऊटी की रेल सवारी को नहीं छोड़ना चाहिये। दार्जिलिंग पहाड़ी रेलसेवा के साथ-साथ नीलगिरि पहाड़ी रेलसेवा को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है। ये विश्व के उन चुनिन्दा स्थानों में से है जहाँ पर रैक और पिनियन तन्त्र का प्रयोग किया जाता है।
अंग्रजों द्वारा निर्मित इस रेल खण्ड की सेवायें सन् 1908 में प्रारम्भ हुईं। शुरूआती दौर में मद्रास रेलवे के अन्तर्गत आता था लेकिन बाद में इसे भारतीय रेल की सालेम डिवीज़न द्वारा संचालित किया जाता है। इसमें अभी भी भाप के इन्जन का प्रयोग किया जाता है लेकिन धन और समय की बचत के लिये डीजन इन्जन की रूपरेखा बना ली गई है।
कुन्नूर का मौसम
हिल स्टेशन होने के कारण कुन्नूर अपने मौसम के लिये जाना जाता है। तापमान के लिहाज से सर्दियाँ बहुत ठण्डी हो जाती हैं जबकि गर्मियाँ सुहावनी होती हैं। एक पर्यटक के रूप में कुन्नूर आने की सोच रहे यात्री कभी भी मॉनसून के आसापास नहीं आना चाहते।
सर्दी के साथ-साथ बारी बारिश कभी भी मजेदार नहीं होती इसलिये मॉनसून से बचना चाहिये।
कुन्नूर कैसे पहुँचें
कुन्नूर पहुँचना बहुत आसान है। कोयम्बटूर के गाँधीपुरम् बस स्टैण्ड से बस पकड़ कर मेट्टूपलयम पहुँचें और वहाँ से नीलगिरि पहाड़ी रेल सेवा द्वारा कुन्नूर पहुँच सकते हैं। आपके पास गाँधीपुरम् से ऊटी के लिये सीधी बस द्वारा कुन्नूर उतरने का भी विकल्प रहता है।
कोयम्बटूर से कुन्नूर की यात्रा में साढ़े तीन घण्टे का समय लगता है। शानदार दृश्यों, घूमने फिरने के पर्याप्त विकल्पों, चॉकलेट, बागानों और सुहवाने मौसम के साथ कुन्नूर छुट्टी बिताने वालों के साथ-साथ हनीमून पर आने वाले नवविवाहित जोड़ों का पसन्दीदा स्थान है।