गंजी पहाड़ी, डलहौजी में विख्यात स्थल है। इस पहाड़ी में कोई भी पेड़ नहीं है इसी कारण इसे गंजी पहाड़ह के नाम से जाना जाता है। शहर से 1 घंटे की दूरी पर यह पहाड़ी स्थित है।
गरम सड़क को डलहौजी में प्रकृति की सैर के लिए सबसे अच्छा स्थान माना जाता है। पर्यटक अगर यहां रात में आएं जो अपने साथ रोशनी का प्रबंध कर लें क्योकि यहां लाइट की व्यवस्था सही नहीं है।
यहां आने के लिए सुभाष चौक से सीधा रास्ता है।...
ठंडी सड़क, डलहौजी में एक ऐसी रोड़ है जो 8 के आकार में बनी हुई है। इस रोड़ में कई रोड़ क्रास होती हैं। ठंडी सड़क का अर्थ होता है कोल्ड़ रोड़। इस सड़क के आसपास चीड़, देवदार, ओक आदि के वृक्ष लगे हुए है जो यहां के वातावरण को ठंडा और स्वच्छ बनाएं रखते...
यह चंबा से 60 किमी. की दूरी पर स्थित है। पहले यह चंबा की राजधानी हुआ करती थी जिसे बाद में गद्दी जनजातियों द्वारा जबर्दस्ती कब्जा कर लिया गया था। यह जगह ताजे फल और सुंदर कम्बलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां एक प्राचीन मंदिर भी है जो 1000 साल पुराना है...
यह बावली, डलहौजी से 1 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस बाबली को प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर नामित किया गया है। वह यहां 1937 में अपने गिरते स्वास्थ्य के कारण आएं थे और 7 महीने तक यहां की सुंदर वादियों में रहे थे ताकि वह...
यह हिमाचल प्रदेश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर एक नागिन भगवान को समर्पित है। मंदिर को 12 वीं शताब्दी में बनाया गया है। समुद्र स्तर से इसकी ऊंचाई 5500 फुट है। पास में ही स्थित पद्दार मैदान और चमेरा पन बिजली संयत्र भी यहां का...
सतधारा झरना, समुद्र स्तर से 2035 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पंचपुला के निकट ही स्थित है। इस झरने का नाम यहां बहने वाली सात धाराओं यानि पानी के सात झरनों के कारण पड़ा है।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इन...
सेंट पैट्रिक चर्च का निर्माण 1909 में में किया गया था जो बालून झरने के पास में स्थित है। यह चर्च डलहौजी छावनी के अंतर्गत आता है। इस चर्च की स्थापना ब्रिटिश सेना के अधिकारियों के द्वारा की गई थी। चर्च के हॉल में 300 से अधिक लोगों के बैठने ही क्षमता है। वर्तमान...
सेंट जॉन चर्च, ब्रिटिश स्थापत्य शैली में बनाया गया है। यह भवन विक्टोरियन युग के भवनों का एक अच्छा उदाहरण है जिसे 1863 में बनाया गया था। यह चर्च काफी पुराना है जो इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को बताता है। कट्टर मिशनरियों द्वारा ब्रिटिश शासन के दौरान चर्च की...
इस संग्रहालय का निर्माण 1908 में राजा भूरी ने करवाया था जिसे चंबा के राजा के सम्मान में बनवाया गया था। राजा ने संग्रहालय में अपने परिवार के कई निजी चित्रों को लगवाया था। इस संग्रहालय में शारदा लिपि के कई ऐतिहासिक शिलालेख रखे गए है जिनमें उस काल के इतिहास के...
खज्जर केवल और केवल रोमांच प्रेमियों के लिए है। कालाटॉप से 3 तीन की ट्रैकिंग के बाद खज्जर की सैर के लिए पर्यटक निकलें। 3 दिन की ट्रैकिंग के बाद यहां आकर आप बर्फ से ढ़की सफेद चादर ओढ़े प्रतीत होती भूमि को देख सकते हैं।
यहां आकर टूरिस्ट...
सेंट फ्रांसिस चर्च का निर्माण सन् 1894 में हुआ था जिसकी पहल डलहौजी के पर्यटन स्थलों द्वारा ही की गई थी। इस चर्च की वास्तुकला इंग्लैंड के प्रसिद्ध चर्च से मेल खाती हुई बनाई गई थी। इस चर्च के निर्माण के लिए आवश्यक पूंजी सेना के अधिकारियों और क्षेत्र के...
नोरवुड परमधाम को कई अन्य नामों जैसे - वालद कैंथ कोठी, तपो भूमि, परमधाम और राम आश्रम से भी जाना जाता है। यह आश्रम डलहौजी के बकटोरा हिल में स्थित है। यहां धर्म और सामाजिक संस्कृति का ज्ञान दिया जाता है। आत्मज्ञान हासिल करने के लिए 1925 में लगभग एक महीने के...
सेंट एंड्रयू चर्च को स्कॉटलैंड के चर्च के नाम से भी जाना जाता है। इस चर्च का निर्माण 1903 में बालून में प्रोटेस्टेंट ईसाइयों द्वारा करवाया गया था। यह चर्च 100 साल पुराना है लेकिन आज भी इसकी हालत अच्छी है। चर्च का ख्याल, चर्च अथॉरिटी ही करती है।
...डलहौजी में घुड़सवारी का बहुत क्रेज है। यहां आने वाले पर्यटक घुड़सवारी जरूर करते है। घुड़सवारी करने के लिए 100 से 200 रू. देने होते है। घुड़सवारी का आनंद केवल गर्मियों के मौसम में लिया जा सकता है।