यह किला 1057 में चंदेला के शाशक किर्तिवर्मन द्वारा बनाया गया था। हालांकि, कई ऐसा कहते हैं कि इसे काफी पहले 9वीं शताब्दी में कनौज के प्रतिहारा शाशकों द्वारा बनाया गया था जो बाद में चन्देला शाशकों के कब्ज़े में आ गया। इसे अंत में ग्वालियर के सिंदिया परिवार ने हाथ...
बेटवा नदी के किनारे, देवगढ़ किले के नज़दीक कई सारे पुराने जैन मंदिर हैं और कुछ तो 8वीं या 9वीं शताब्दी के हैं। यह मंदिर किले के अन्दर और बाहर स्थित हैं। यह भव्य मंदिर खुदाई के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है और प्राचीन भारत के स्मारकों की श्रेष्ठता को दर्शाता है।...
दशावतार मंदिर उत्तरी भारत का सबसे पुराना जाना माना मंदिर है और यह भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि यह गुप्त काल में बना है। यह मंदिर अब बर्बादी की कगार पर है पर यहाँ आप भगवान विष्णु के दस अवतार के दर्शन कर सकते हैं और यही नहीं मंदिर के दरवाज़े पर आप...
देवगढ़ में तीन महत्वपूर्ण घाट हैं: नहर घाट, राज घाट और घाट और सिद्धि की गुफा जिससे होकर बेटवा नदी तक पहुंचा जा सकता है। इन घाट और स्टेप का काफी महत्व है जिससे होकर बेटवा नदी तक पहुंचा जा सकता है।
नहर घाट देवगढ़ किले के उत्तरी भाग में स्थित है और यहाँ पर खड़ी...
देवगढ़ में तीन महत्वपूर्ण घात हैं जैसे: नहर घाट, राजघाट और सिद्धि की गुफा से निकलने वाला घाट। यह गुफा खुदाई के दौरान मिला था। यह गुफा समतल है पर दायीं तरफ इसमें भगवती महिसासुरमर्दिनी की प्रतिमा है।
राजघाट देवगढ़ में बने तीन घाटों में से एक है। यह घाट नहर घाट और सिद्धि गुफा के पास वाले घाट की तरह बेतवा नदी की तरफ पहुंचाती है। यह घाट देवगढ़ किले द्वारा नियंत्रित है और बेटवा नदी के साथ यह एक मनोरम दृश्य पैदा करता है। राजघाट के साथ कई जगह गुप्त काल की मूर्तियों...
गुप्त काल के दौरान देवगढ़ चर्चा में आया। यह जगह खुदाई में रूचि रखने वालों के लिए काफी महत्वपूर्ण है और इन सालों में वहाँ काफी खुदाई की गई है। देवगढ़ संग्रहालय में अवशेष, शिल्पकृति और इस जगह पर पाई जाने वाली रुचिकर चीज़ें पायी जाती हैं।
इन चीज़ों से गुप्त काल...