कर्नाटक के कूर्ग क्षेत्र में कावेरी नदी के तट पर स्थित जंगलों में दूबारे बसा हुआ है। वास्तव में यह जंगल का हिस्सा ही है। माना जाता है कि मैसूर महाराजाओं के शासनकाल के दौरान यहां हाथियों को परंपरागत तरीकों से प्रशिक्षित किया जाता था और दशहरे के अवसर पर इनके बीच प्रतियोगिता करवाई जाती थी। दूबारे में वन्यजीव - आस पास के स्थल
दूबारे के जंगलों में कई वन्यजीव पाएं जाते है जैसे- सांभर, चीतल, बाघ और जंगली कुत्ते। पहले इस इलाके में जानवरों की देखरेख और सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था लेकिन बाद में भारत सरकार ने एक अच्छा सा वन्य जीव हाउस बना दिया है ताकि पर्यटक और पशुओं दोनों को ही नुकसान न हों। इस जगह आप जीवों को देखने के अलावा इनके बारे में विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते है।
यहां आने वाले पर्यटकों को ये बताया जाता है कि कैसे वो जीवों का संरक्षण कर सकते हैं। साथ ही यहां पर्यटकों को ये भी बताया जाता है कि यदि इस धरती से हाथी विलुप्त हो गए तो इसके क्या परिणाम होंगे। यहां आने वाले पर्यटक देख सकते हैं कि कैसे यहाँ हाथियों को प्रशिक्षित किया जाता है।
कैसे उन्हें खिलाया पिलाया जाता है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए फारेस्ट डिपार्टमेंट एलीफैंट सफारी का भी आयोजन करता है। इस जंगल के पहाड़ी इलाके ट्रैकिंग और राफ्टिंग के लिए भी आदर्श है, यहां पर कई खूबसूरत ट्रैकिंग ट्रेल्स हैं, और सबसे लोकप्रिय ट्रेल्स आपको इरुप्पा झरने की तरफ मिलेगा।
कैसे पहुंचे दूबारे
सबसे पहले किस साधन से जाना है तय कर लें। बाकी की जानकारी कुछ इस तरह है - अगर आप प्लेन से आना चाहते है तो देश से आने वाले पर्यटक मैसूर एयरपोर्ट तक आएं और विदेश से आने वाले पर्यटक बंगलौर एयरपोर्ट तक आएं। एयरपोर्ट के बाहर कई प्राईवेट टैक्सी खड़ी रहती है जो आपको दूबारे तक पहुंचा देगी।