उदय बिलास महल राजा महारावल उदय सिंह द्वितीय का राजसी आवास है जो वास्तुकला और कला के प्रशंसक थे। इस स्थान की वास्तुकला राजपुताना शैली की है। जाति डिज़ाइन वाले छज्जे, खिड़कियाँ, मेहराब, खम्बे और पैनल पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।यह रमणीय स्थान गैब सागर...
गैब सागर झील एक कृत्रिम जल निकाय है जिसका निर्माण महाराज गोपीनाथ (जिन्हें गैपा रावल के नाम से भी जाना जाता था) ने वर्ष 1428 में किया था। इस झील के साथ अनेक कहानियाँ और किवदंतियां जुड़ी हुई हैं। इसका उल्लेख कई ऐतिहासिक दस्तावेजों और साहित्यिक कृतियों में मिलता है।...
भुवनेश्वर शिव मंदिर के लिए प्रसिद्द है जो डुंगरपुर से 9 किमी. की दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ पर्यटक प्राकृतिक रूप से बना हुआ शिवलिंग और एक प्राचीन मठ देख सकते हैं। रंगपंचमी के अवसर पर यहाँ एक वार्षिक मेला भरता है।
इस त्यौहार का प्रमुख आकर्षण गैर...
बादल महल वास्तुकला के जटिल डिज़ाइन के लिए प्रसिद्द है और यह गैब सागर झील के किनारे स्थित है। यह महल मुगल और राजपूत स्थापत्य कला का सम्मिश्रण प्रदर्शित करता है। इस महल के निर्माण में दवरा पत्थरों का उपयोग किया गया है। इस स्मारक में दो मंच, तीन गुंबद और एक प्रांगण...
जूना महल एक सुंदर महल है जिसका निर्माण 13 वीं शताब्दी में हुआ था। यह इमारत सात मंज़िला है और इसकी वास्तुकला एक किले के जैसी है। कंगूरेदार दीवारें काँच के काम से सजी हुई हैं। महल के आंतरिक भाग में पर्यटक अनेक लघु चित्र और भित्तिचित्र देख सकते हैं। इस महल में बुर्ज,...
देव सोमनाथ मंदिर देव गाँव में स्थित है जो डुंगरपुर से 24 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर हिंदू भगवान शिव को समर्पित है और यह सोम नदी के किनारे स्थित है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में विक्रम संवत के शासनकाल में हुआ। यह...
सुरपुर मंदिर एक प्राचीन धार्मिक स्थान है जो डुंगरपुर से 3 किमी. की दूरी पर गंगदी नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर के पास एक बड़ा घाट है। इस मंदिर का भ्रमण करते समय पर्यटक अन्य आकर्षण देख सकते हैं जैसे भूलभुलैया, मधावारी मंदिर, अनेक शिलालेख और हाथियों की आगड़ आदि।...
फतेहगढी एक पहाड़ी है जो गैब सागर झील के सामने स्थित है। इस पहाड़ी के ऊपर से पर्यटक संपूर्ण डुंगरपुर का दृश्य देख सकते हैं। संपूर्ण दृश्यों में मनोहर बादल महल, शांत गैब सागर झील और शानदार उदय बिलास महल आते हैं। पहाड़ी पर एक छोटा हनुमान मंदिर और महान संत स्वामी...
श्रीनाथजी मंदिर का निर्माण महारावल पुंजराज ने वर्ष 1623 में किया था। इस मंदिर के मुख्य आकर्षण श्री राधिकाजी और गोवर्धननाथजी की मूर्ति है। पर्यटक यहाँ एक गैलरी देख सकते हैं जो मुख्य मंदिर में है। वे यहाँ अनेक मध्यम आकार के मंदिर भी देख सकते हैं। जो मुख्य मंदिर के...
राजमाता देवेन्द्र कुंवर सरकारी संग्रहालय डुंगरपुर के समृद्ध इतिहास की झलक प्रस्तुत करता है। इस संग्रहालय में तीन गैलरियाँ हैं जहाँ विभिन्न देवताओं की धातु की दुर्लभ मूर्तियां, लघुचित्र, पत्थर के शिलालेख और सिक्के देखने को मिलते हैं जो 6 वीं शताब्दी के हैं।
...गलियाकोट एक गाँव है जो डुंगरपुर से 58 किमी. की दूरी पर माही नदी के किनारे स्थित है। मान्यताओं के अनुसार इस गाँव का नाम एक भील मुखिया के नाम पर पड़ा जिसने इस क्षेत्र पर राज्य किया था। यह गाँव परमार और डुंगरपुर राज्य की राजधानी था।
गलियाकोट सैयद फखरुद्दीन के...
मंदिरों का गाँव बरोदा डुंगरपुर से 41 किमी. की दूरी पर स्थित है। पहले यह स्थान वागड की राजधानी था। इस स्थान के प्रमुख धर्म शैव और जैन हैं। पर्यटक गाँव के मुख्य टैंक के पास स्थित प्राचीन शिव मंदिर देख सकते हैं। यह मंदिर सफ़ेद पत्थरों से बना है और यहाँ बड़ी संख्या में...
बनेश्वर मंदिर नदी के डेल्टा पर स्थित है जो सोम और माही नदी के अभिसरण से बना है। यह मंदिर हिंदू भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ उनकी पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है। इस मंदिर में भारतीय कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष माघ शुक्ल एकादशी से माघ शुक्ल पूर्णिमा (फरवरी)...
नागफनजी डुंगरपुर का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और यह अपने जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्द है। यहाँ पर्यटक एक जैन मंदिर देख सकते हैं जिसमें देवी पद्मावती, नागफनजी पार्श्वनाथ और धरणेन्द्र की मूर्ति है। बड़ी संख्या में भक्त नागफनजी शिवालय आते हैं जो इस मंदिर के पास स्थित...
ये कृष्ण प्रकाश एक वर्गाकार आँगन में स्थित तालाब के मध्य में स्थित है। यह सुंदर आँगन सफ़ेद और गुलाबी रंग के पत्थरों से बना है जो एक सम्मोहित करने वाला दृश्य प्रस्तुत करते हैं।