द्वारकाधीश मंदिर द्वारका का मुख्य मंदिर है जिसे जगत मंदिर (ब्रह्मांड मंदिर) भी कहा जाता है। किवदंती है कि जगत मंदिर – द्वारकाधीश मंदिर का मुख्य मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है और इसका निर्माण भगवान कृष्ण के पड़ पोते वज्रनाभ ने किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि...
रुक्मिणी देवी मंदिर द्वारकाधीश मंदिर से 2 किमी. की दूरी पर स्थित है जिसके बाहरी ओर गजतारस (हाथी) और नाराथारस (मानव मूर्तियाँ) की नक्काशी की गई है। एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी को समर्पित है तथा यह निम्न कारण से मुख्य...
बारदा पहाड़ी की तलहटी में एक छोटा गाँव है जिसे घुमली कहा जाता है जिसकी स्थापना ईसा पश्चात 7 वीं शताब्दी में जेठवा साल कुमार ने की थी। गुजरात के सुंदर मंदिरों का शहर कहलाने के पहले यह स्थान जेठवा राजवंश की राजधानी था।
इनमें से सोलंकी राजवंश का नवलखा मंदिर...
बेट द्वारका वह स्थान है जिसकी प्रशंसा प्रत्येक धार्मिक व्यक्ति करेगा। इस आइलैंड पर कुछ दुर्लभ और सुंदर मंदिर हैं तथा इसे बेट शंखोधर के नाम से भी जाना जाता है और यह एक समृद्ध बंदरगाह है। यहाँ आप डॉल्फिन देख सकते हैं, कैम्पिंग का आनंद उठा सकते हैं और समुद्री यात्रा...
पवित्र शहर द्वारका अद्भुत धार्मिक निवासों के बारे में है और इसके साथ कई रहस्यमय किवदंतियां जुड़ी हुई हैं। इनमें से कुछ की झलक पाने के लिए तथा साथ ही साथ इस पवित्र शहर का पूर्ण दृश्य देखने के लिए आप गोमती नदी से नाव द्वारा यहाँ पहुँच सकते हैं।
इसके किनारे...
द्वारका में इस स्थान पर एक छोटा तालाब है। और ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण यहाँ गोपिकाओं के साथ रासलीला खेलते थे। द्वारका शहर से उत्तर की ओर 20 किमी. की दूरी पर स्थित इस तालाव के किनारे की रेत अत्यंत नरम है और पीले रंग की है जिसे गोपी चंदन कहा जाता है जिसका...
द्वारका में स्थित यह स्थान बहुत रोचक है जिसकी सैर अवश्य करना चाहिए। सोमनाथ से उत्तर की ओर एक तीर्थ स्थान है जिसे भलका तीर्थ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ एक शिकारी ने अनजाने में कृष्ण के पैर में बाण मारा था जिसके कारण कृष्ण की मृत्यु हुई और...
मीराबाई एक धार्मिक हिन्दू गायक और भगवान कृष्ण की कट्टर भक्त थी। यह मंदिर उन्हीं को समर्पित है। यह मंदिर जगत मंदिर के पास के रहिवासी क्षेत्र में स्थित है। मीराबाई का जन्म और पालन पोषण एक राजसी परिवार में हुआ जिनका विवाह 16 वीं शताब्दी में राजस्थान के एक राजा के साथ...
शहर की ओर बढ़ते हुए आप प्रवेश करते समय इस्कॉन गेट देख सकते हैं। इसके दूसरी ओर इस्कॉन मंदिर है – एक मंदिर जो पूर्ण रूप से पत्थर से बना है और शहर के देवी भवन रास्ते पर स्थित है। यह मंदिर धार्मिक संस्था इंटरनेश्नल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) द्वारा...
यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है। यहाँ शंख, चक्र और गरुड़ की मूर्तियाँ हैं तथा इसके प्रवेश द्वार पर हनुमान की मूर्ति है। पास ही एक तालाब कचोरियु स्थित है।
डंडीवाला हनुमान मंदिर कृष्ण मंदिर के पास स्थित है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण यह है कि यहाँ हनुमान के पुत्र मकरध्वज की मूर्ति भी है। ऐसा कहा जाता है कि जब हनुमान लंका को जलाकर समुद्र में डुबकी लगा रहे थे तो उनके पसीने की कुछ बूँदें एक शक्तिशाली मछली के मुंह में चली...
खम्बात की खाड़ी में समुद्र के किनारे एक सुंदर शिव मंदिर है। इस तट पर द्वीपों की एक सरणी है जो इस स्थान को सुंदर बनाती है और कई लोगों को आकर्षित करती है। ऐसा भी कहा जाता है कि प्रसिद्ध गुजराती कवि नरसिंह मेहता को इस स्थान पर आध्यात्मिक पूर्णता का अनुभव हुआ था।
शारदापीठ मठ उन चार मूलभूत मठों में से एक है जिसकी स्थापना 9 वीं शताब्दी में हिंदुत्व के प्रचारक आदि शंकराचार्य ने की थी। यह मठ जिसे द्वारका पीठ/ कालिका मठ भी कहा जाता है द्वारका मंदिर के परिसर में स्थित है तथा यहाँ शंकराचार्य के जीवन के इतिहास से संबंधित कलात्मक...
बेट द्वारका का कृष्ण मंदिर 500 वर्ष पुराना है। बेट द्वारका पहुँचने के लिए आपको ओखा पोर्ट जेट्टी पहुंचन होगा तथा यहाँ से आप बेट द्वारका तक पहुँच सकते हैं जो लगभग 5 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण वल्लभाचार्य ने किया था तथा इसके गर्भगृह में जो...
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सौराष्ट्र तट पर द्वारका और बेट द्वारका आइलैंड के रास्ते पर स्थित है। मंदिर में विश्व के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है तथा यह लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के साथ साथ एक तीर्थ स्थान भी है। यहाँ भूमिगत गर्भगृह है तथा मंदिर के...