इरोड शहर भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित इरोड जिले का मुख्यालय है। यह शहर दक्षिण भारतीय प्रायद्वीप के केन्द्र में, चेन्नई के दक्षिण पश्चिम में लगभग 400 किमी की दूरी पर और वाणिज्यिक शहर कोयम्बटूर से लगभग 80 किमी की दूरी पर, भवानी और कावेरी नदियों के तट पर स्थित है। इरोड अपने वस्त्र उद्योग, हथकरघा उत्पादों और तैयार कपड़ों के लिये प्रसिद्ध है। इसलिये भारत के टेक्सवैली या लूम सिटी ऑफ इण्डिया के नाम से भी जाना जाता है। चद्दरें, लुंगियाँ, तौलिये, सूती साड़ियाँ, धोतियाँ, गलीचे और प्रिन्ट किये कपड़े थोक दामों में यहाँ बेचे जाते हैं, और त्यौहारी मौसम में वस्त्र व्यापारी काफी कमाई करते हैं। ये उत्पाद विश्व के बाकी हिस्सों में निर्यात भी किये जाते है। यह शहर हल्दी उत्पादन के लिये भी लोकप्रिय है।
इरोड और इसके आसपास के पर्यटक स्थल
साल भर तार्थयात्रियों द्वारा भ्रमण किये जाने वाले शहर के प्रसिद्ध मन्दिरों में थिंडल मुरुगन मन्दिर, पेरिमरियम्मन मन्दिर, अरूद्र कबालीस्वरार मन्दिर, कस्तूरी अरंगनाथार मन्दिर, महिमालीस्वरार मन्दिर, नताद्रीस्वरार मन्दिर और परियूर कोण्डाथू कलियम्मन प्रमुख हैं। यात्री इरोड के कुछ सुन्दर गरिजाघरों को देख सकते हैं जिनमें सेन्ट मेरी चर्च और ब्राउग चर्च खास हैं। भवानी सागर बाँध और कोदीवेरी बाँध लोकप्रिय बाँध हैं जाहँ पर्यटकों को अवश्य आना चाहिये। अन्य पर्यटक स्थलों में पेरियार स्मारक हाउस, वेलोड पक्षी विहार, राजकीय संग्रहालय, कराडियूर व्यू पॉइन्ट, भवानी और बन्नारी शामिल हैं।
इरोड शहर का इतिहास
850 ई0 तक इरोड शहर कार शासकों के अधीन था। 1000 ई0 से 1275 ई0 तक शहर में चोल वंश के शासकों का शासन था, बाद में 1276 ई0 से यह पदियार के अधिकार में रहा। इस दौरान वीरपांडियन राजा ने कलिंगार्यन गुफा की खुदाई को शुरू करवाया। इसके बाद मुस्लिम शासकों का दौर आया जिनके बाद मदुरै के राजाओं ने शासन किया। शहर पर टीपू सुल्तान और हैदर अली के शासन के बाद 1799 ई0 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने इस पर कब्जा कर लिया।
इरोड नाम की उत्पत्ति ईरा ओडू शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है नम नरमुण्ड। इस नाम के पीछे एक कहानी है। दक्षप्रजापति की पुत्री दक्षयायिनी थी और उन्होंनें भगवान शिव से विवाह किया था। एक बार दक्षप्रजापति ने एक यज्ञ काराया। इस यज्ञ में उन्होंने भगवान शिव को छोड़कर सभी को बुलाया।
हलाँकि दक्षयायिनी यज्ञ में प्रतिभाग करना चाहती थीं लेकिन उनके पति भगवान शिव ने इसकी आज्ञा नहीं दी। अपने पति के विरोध के बावजूद वे यज्ञ में भग लेने के लिये पहुँची लेकिन न तो उनके मात-पिता ने उनका स्वागत किया और न ही किसी और ने। इस अपमान और गुस्से के कारण वे यज्ञकुण्ड में कूद गईं और भस्म हो गईं। यह सुनने पर भगवान शिव को क्रोध आ गया और वे यज्ञकुण्ड तक गये और उन्होंने भगवान ब्रह्मा सहित वहाँ उपस्थित सभी लोगों को यज्ञ कुण्ड में झोंक दिया।
इस घटना के बाद मृत लोगों की हड्डियों और नरमुण्डों को कावेरी नदीं में फेंक दिया गया और वे हमेशा नम रहे। इस प्रकार ईरा ओडू नाम का मतलब है नम नरमुण्ड।
इरोड मौसम
सामान्य रूप से इरोड जिले का मौसम शुष्क होता है और वर्षा अपर्याप्त होती है। फरवरी और मार्च के महीने में यहाँ का मौसम बहुत ही चिपचिपा होता है और खासतौर पर कावरे नदी के किनारे वाले इलाके में। अप्रैल के महीने में मौसम और गर्म हो जाता है और आर्द्रता अधिकतम हो जाती है। जून, जुलाई और अगस्त के महीने में पालघाट दर्रे से ठंडी हवायें चलती हैं लेकिन इरोड पहुँचते – पहुँचते इनकी ठंडक कम हो जाती है और मौसम गर्म और धूल भरा हो जाता है।
इरोड कैसे पहुँचें
शहर के लिये सबसे समीप कोयम्बटूर हवाईअड्डा है। यह शहर बढ़ियों सड़कों द्वारा प्रमुख शहरों से जुड़ा है। शहर के लिये सबसे नजदीक रेलवेस्टेशन इरोड जंक्शन है। इरोड शहर के इरोड बस स्टैण्ड से सभी पर्यटक स्थलों के लिये बस सेवायें उपलब्ध हैं। पर्यटक ऑटोरिक्शा, टैक्सियों और साइकिल रिक्शा द्वारा भी शहर में घूम सकते हैं।