दंतकथा के अनुसार, जब कृष्ण ने भीमकाय दानव का वध किया जो उनके सामने एक सांढ़ के रूप में आया था तो राधा ने उन्हें कई पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पाप को धोने को कहा। कृष्ण इस विनती को सुनकर हँसे और जिस जगह पर खड़े थे वहां पर ज़ोर से पैर पटका। राधा द्वारा बताई गई सारी नदियाँ वहां उत्पन्न हुईं और वहां पर कुंड बन गया। भगवान कृष्ण ने स्नान किया और इस कुंड को श्याम कुंड भी कहते हैं।
कृष्ण के इस तरह के शक्ति प्रदर्शन से राधा क्रोधित हो गयीं। उन्होंने अपनी सहेली गोपियों के साथ मिलकर अपनी चूड़ियों की मदद से एक गड्ढा खोदा और उसमें मानसी गंगा का पानी भर दिया। इस तरह गोवर्धन के पास एक विशाल झील राधा कुंड का निर्माण हुआ।
गोवर्धन से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह कुंड काफी श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। अक्टूबर और नवम्बर के महीने में यहाँ काफी भीड़ होती है जब उत्सव को मनाने के लिए वार्षिक मेला का आयोजन होता है। लोग इस कुंड में डुबकी लगाकर अपने पापों को धोते हैं।