ग्वालियर शहर आगरा के दक्षिण में 122 किलोमीटर दूर स्थित है जो मध्य प्रदेश की पर्यटन राजधानी है। यह मध्य प्रदेश राज्य का चौथा बड़ा शहर है। यह एक ऐतिहासिक शहर है जो अपने मंदिरों, प्राचीन महलों और करामाती स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है जो किसी भी यात्री को पुराने ज़माने में ले जाते हैं। ग्वालियर को हिन्द के किले के हार का मोती कहा जाता है। यह स्थान ग्वालियर किले के लिए प्रसिद्ध है जो कई उत्तर भारतीय राजवंशों का प्रशासनिक केंद्र था।
जहाँ इतिहास आधुनिकता से मिलता है
ग्वालियर वह स्थान है जहाँ इतिहास आधुनिकता से मिलता है। यह अपने ऐतिहासिक स्मारकों, किलों और संग्रहालयों के द्वारा आपको अपने इतिहास में ले जाता है तथा साथ ही साथ यह एक प्रगतिशील औद्योगिक शहर भी है। आधुनिक भारत के इतिहास में ग्वालियर को अद्वितीय स्थान प्राप्त है।
ग्वालियर की कहानी
कहा जाता है कि ग्वालियर की स्थापना राजा सूरज सेन ने 8 वीं शताब्दी में की थी। उन्होंने इस शहर का नाम ‘ग्वालिपा’ नामक साधू के नाम पर रखा जिसने राजा के कुष्ठ रोग का इलाज किया था। ग्वालियर का इतिहास छटवीं शताब्दी से लिखा गया है। 6 वीं शताब्दी में यहाँ हूण वंश का शासन था। बाद में यह कन्नौज के गुज्जर परिहारों के हाथ में चला गया जिन्होनें ईसा पश्चात 923 तक यहाँ शासन किया और उसके बाद यह कछवाहा राजपूतों के हाथ में गया जिन्होनें 10 वीं शताब्दी तक यहाँ शासन किया। सन 1196 में दिल्ली सल्तनत के कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस शहर को जीत लिया तथा उसके बाद शमसुद्दीन अल्तमश ने 1232 तक यहाँ शासन किया।
मुगलों ने भी ग्वालियर पर शासन किया। वर्ष 1553 में विक्रमादित्य ने ग्वालियर पर विजय प्राप्त की जिन्होंने बाद में 1556 में अकबर की सेना को हराकर उत्तर भारत के अधिकांश भाग पर विजय प्राप्त की। 18 वीं और 19 वीं शताब्दी में एक मराठा शासक सिंधिया ने ब्रिटिश लोगों के साथ मिलकर ग्वालियर पर शासन किया। 1780 तक ब्रिटिश लोगों ने ग्वालियर को पूर्ण रूप से अपने कब्ज़े में ले लिया। यह वही स्थान है जहाँ 1857 में पहली क्रांति हुई थी जिसमें मराठा वंश की झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिशों के विरुद्ध लड़ते हुए अपने प्राण गवाएं थे।
ग्वालियर तथा इसके आसपास पर्यटन स्थल
ग्वालियर में पर्यटन के अनेक आकर्षण हैं। ग्वालियर फ़ोर्ट(किला), फूल बाग़, सूरज कुंड, हाथी पूल, मान मंदिर महल, जय विलास महल आदि किसी भी पर्यटक को सम्मोहित करते हैं। इसके अलावा यह स्थान महान भारतीय गायक तानसेन का जन्म स्थान भी है। ग्वालियर में प्रतिवर्ष तानसेन संगीत समारोह मनाया जाता है। हिंदुस्तानी संगीत की ख्याल घराने की शैली का नाम इस शहर के नाम पर ही पड़ा है। ग्वालियर सिख और जैन तीर्थ स्थानों के लिए प्रसिद्ध है।
ग्वालियर कैसे पहुंचे
ग्वालियर तक हवाई मार्ग, रेल या रास्ते द्वारा पहुंचा जा सकता है। यहाँ एक हवाई अड्डा और व्यस्त रेलवे स्टेशन है।
ग्वालियर की सैर के लिए उत्तम समय
ग्वालियर की सैर के लिए ठण्ड का मौसम उत्तम होता है।