दक्षिण भारतीय राज्य केरल में स्थित सबरीमाला मंदिर, देश के सबसे लोकप्रिय और सबसे व्यस्त मंदिरों में गिना जाता है, जहां हर साल करोड़ों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालुओं का आगमन होता है। इस तीर्थस्थल की गिनती न सिर्फ भारत बल्कि विश्व के प्रसिद्ध मंदिरों में की जाती है। यह एक प्राचीन तीर्थस्थल है, जो भगवान अयप्पन को समर्पित है। माना जाता है कि 12वीं शताब्दी में मनीकंदन नाम के एक राजकुमार हुए, जिन्होंने सबरीमाला मंदिर में ध्यान किया था। माना जात वह राजकुमार और कोई नहीं बल्कि भगवान अयप्पन के अवतार थे। अयप्पन मंदिर 18 पहाड़ियों और घने जंगलों के मध्य स्थित है। इस मंदिर से कई रोचक तथ्य जुड़े हैं, जिनके बारे में आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे।
मकर ज्योति
केरल के सबरीमाला मंदिर के संदर्भ में मकर ज्योति वो खास तारा है, जिसकी पूजा सबरीमाला अयप्पा मंदिर से जुड़े श्रद्धालु करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि भगवान अयप्पन स्वयं इस तारे के रूप में भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। मकर ज्योति दिखने वाला यह वो खास दिन होता है जब गर्भगृह के पाट खुलने के निर्धारित समय से अलग मंदिर के द्वार खोले जाते हैं। ऐसे मंदिर का मुख्य भाग सिर्फ 15 नवंबर से लेकर 26 दिसंबर और अप्रैल 14 को ही खुलता है। मलयालम कैलेंडर के शुरुआती पांच दिन भी मंदिर के पाट भक्तो के लिए खोले जाते हैं।
महिलाओं का प्रवेश
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केरल के सबरीमाल मंदिर में इससे पहले महिलाओं की प्रवेश की अनुमति नहीं थी, लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस परंपरागत प्रतिबंध को तोड़ते हुए महिलाओं पर लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया है। अब हर उम्र की स्त्री इस प्राचीन मंदिर में बिना रोक-टोक के जा सकती है। हालांकि कोर्ट के बड़े फैसले के बाद में भी इस फैसले पर सियासी उठापटक जारी है। धर्म और राजनीति से जुड़े ऐसे बहुत से समुह हैं, जो इस फैसले पर अपना आक्रोश जता चुके हैं।
सबरीमाला अरावन पायसम
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मंदिर में भगवान को भोग लगाने और प्रसाद के लिए खास सबरीमाला अरावन पायसम बनाया जाता है। पायसम का निर्माण परंरागत तरीके से किया जाता है। प्रसाद का भोग सबसे पहले भगवान अयप्पा को लगाया जाता है। भोग लगाने के बाद फिर श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद बनाया जाता है। भारी मात्रा में प्रसाद का निर्माण कर आने वाले सभी श्रद्धालुओं में बांटा जाता है।
विर्थम
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विर्थम या मंडल 41 दिन तक चलने वाला महा वर्त होता है, जो भगवान अय्यपा का विशेष आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालुओं द्वारा रखा जाता है। इस उपवास की शुरुआत हर साल 15 नवंबर के दिन से होती है, जो दिसंबर 21 तक चलती है। इस खास अवसर पर श्रद्धालु मंदिर दर्शन के लिए आते हैं।
वावर से जुड़ा तथ्य
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वावर एक सुफी संत थे। माना जाता है कि तीसरी शताब्दी आसपाल इस मंदिर तक पहुंचना उतना आसान नहीं था। लेकिन 12वीं शताब्दी में मनीकंदन नाम के एक राजकुमार हुए जिन्होंने मंदिर तक पहुंचने का मार्ग खोज निकाला था। ये राजकुमार भगवान अय्यपा के अवतार मान गए। राजकुमार मनीकंदन कई अनुयायियों के साथ मंदिर तक गए थे, जिनमें वावर परिवार के पूर्वज भी शामिल थे। राजकुमार संत वावर के साथ मंदिर तक जाने का पूरा सफर तय किया था।
पौराणिक किवदंती
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सबरीमाला मंदिर से कई पौराणिक किवदंती भी जुड़ी है। महिषासुर की बहन का नाम महिषी थी, और माना जाता है कि महिषासुर की मृत्यु के बाद भगवान ब्रह्मा से महिषी को ताकत और लंबी उम्र का वरदान मिला था। बाद में असुर की बहन का वध भगवान अयप्पा द्वारा किया गया। महिषी के वध के बाद भगवान अयप्पा ने पहाड़ों पर जाकर ध्यान किया था, क्योंकि महिषी उनसे विवाह करना चाहती थी।
एक बड़ा तीर्थस्थल
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सबरीमाला मंदिर की गिनती विश्व के सबसे बड़े तीर्थस्थलों में होती है, जहां दर्शन के लिए हर साल करोडों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। मंदिर के पाट खुलते ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। देश-विदेश से श्रद्धालु भगवान अयय्पा का आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं।