भारत के मस्तक पर मुकुट समान सजने वाले हिमालय की भांति अंतिम छोर पर स्थित कन्याकुमारी भी भारत के सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है। लंबे समय से तमिलनाडु का यह शहर कला, संस्कृति व आस्था का केंद्र रहा है, जहां रोजाना हजारों पर्यटक देश-विदेश से यहां पहुंचते हैं। दक्षिण तट पर बसा यह शहर हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का संगम स्थल कहलाता है। यहां कभी महान चोल, चेर एवं पाण्ड्य राजाओं का शासन था। इसलिए यह शहर ऐतिसाहिक दृष्टि से भी काफी ज्यादा मायने रखता है।
एक सांस्कृतिक स्थल होने के साथ-साथ कन्याकुमारी अपने पर्यटन खजाने के लिए भी विश्व भर में प्रसिद्ध है। सागर की लहरों की बीच सूर्योदय और सूर्यास्त के नजारों को देखने के लिए यहां सैलानियों की भीड़ उमड़ पड़ती है। आइए जानते हैं घूमने फिरने के लिहाज से यह तटीय शहर आपके लिए कितना खास है।
पौराणिक महत्व
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पौराणिक किवदंतियों के अनुसार ऐसा कहा जाता है, कि भगवान शिव ने राक्षस बानासुरन को यह वरदान दिया था कि उसका वध कुंवारी कन्या के हाथों ही हो सकेगा। उस समय भारत पर महान राजा भरत का शासन था। जिसने अपने विशाल साम्राज्य को अपने आठ पुत्रों और एक पुत्री में बांट दिया था। भरत के साम्राज्य का नवां हिस्सा बेटी कुमारी को मिला। कुमारी ने लंबे समय तक भारत के दक्षिण छोर पर राज किया। कुमारी की इच्छा थी कि वो शिव से विवाह करे। इसलिए कुवारी रोज भगवान शिव की पूजा करती थी। कुमारी की भक्ति देख शिव विवाह के लिए राजी भी हो गए पर नारद चाहते थे कि बानासुरन का वध देवी कुमारी के हाथों हो। जिसके बाद राक्षस बानासुरन और कुमारी के बीच युद्ध हुआ, जिसमें राक्षस मारा गया। लेकिन शिव और कुमारी का विवाह न हो सका, कहते हैं उनकी याद में इस स्थल का नाम कन्याकुमारी पड़ा।
कुमारी अम्मन मंदिर
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तमिलनाडु के सागर तट पर 3000 वर्ष पुराना एक मंदिर है, जिसे कुमारी अम्मन या कन्याकुमारी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर देवी पार्वती को समर्पित है। यह देवी दुर्गा का पहला मंदिर है, जिसका निर्माण भगवान परशुराम ने करवाया था, और जिसकी गिनती देवी के 108 शक्तिपीठों में होती है। इस मंदिर का जिक्र महाभारत और रामायण में भी आता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां समुद्र की लहरों की आवाज स्वर्ग की ध्वनि जैसी प्रतीत होती हैं।
गांधी स्मारक
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कन्याकुमारी तट पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एक स्मारक भी मौजूद है, जहां उनकी चिता की राख रखी हुई है। महात्मा गांधी यहां 1937 में आए थे, यहीं उनकी मृत्यु के बाद अस्थियां विसर्जित की गईं थी। इस स्मारक को एक मंदिर के रूप में निर्मित किया गया। स्मारक का डिजाइन कुछ ऐसा है कि 2 अक्टूबर गांधी के जन्म दिवस पर सूर्य की पहली किरण वहां पड़ती है जहां बापू की राख रखी गई है। कन्याकुमारी घूमने आए पर्यटक यहां आना पसंद करते हैं।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल
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कन्याकुमारी में विवेकानंद का एक रॉक मेमोरियल भी है, जहां कभी विवेकानंद ने लंबा ध्यान किया था। इस स्थान को पावन रूप देने के लिए यहां 1970 में एक भव्य स्मृति भवन का निर्माण करवाया गया। जिससे विवेकानंद का जीवन संदेश सभी को मिल सके। भवन का आंतरिक रूप काफी खूबसूरत बनाया गया है, जिसकी वास्तुकला अजंता-एलोरा की गुफाओं जैसी प्रतीत होती है। विशाल पत्थर पर निर्मित इस स्मारक पर 70 फुट ऊंचा गुंबद भी बनवाया गया है। भवन के अंदर स्वामी विवेकानंद की कांसे से बनी मूर्ति स्थापित की गई है।
तिरुवल्लुवर मूर्ति
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इस तटीय पर्यटन स्थल पर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध कवि संत तिरुवल्लुवर की 95 फीट ऊंची एक प्रतिमा भी है, जो 38 फीट के आधार पर बनी हुई है। संत तिरुवल्लुवर को दक्षिण भारत का कबीर कहा जाता है, जिन्होंने कई सारी कविताएं लिखीं। इनका विचार था कि मनुष्य गृहस्थ जीवन के साथ भी परमेश्वर में आस्था रख एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सकता है। बता दें कि इस प्रतिमा को बनाने के लिए करीब 1283 पत्थर के टुकड़ों का प्रयोग किया गया है। इस विशाल मूर्ति का वजन करीब 7000 टन है।
सुनामी स्मारक
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यहां एक सुनामी स्मारक भी बनाया गया है, जो 26 दिसंबर 2004 की याद दिलाता है, जब एकसाथ 14 देश सुनामी का शिकार हुए थे। इस सुनामी में सबसे ज्यादा इंडोनेशिया का आचेह प्रांत प्रभावित हुआ था, जहां 1 लाख 70 हजार लोग सुनामी की चपेट में आ गए थे। जबकि भारत के तटवर्ती राज्य तमिलनाडु, केरल पांडिचेरी व आंध्र प्रदेश के 34 लाख लोग इस सुनामी से प्रभावित हुए थे। यह स्मारक स्टील की बनी हुई है, जिसकी ऊंचाई 16 फुट है। स्मारक की दो भुजाए हैं जिनमें से एक को सागर की लहरों को रोकते हुए दिखाया गया है और दूसरे को आशा का दीपक जलाए रखते हुए दिखाया गया है।
और क्या देखें
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उपरोक्त स्थान के भ्रमण के बाद आप चाहें तो सुचिन्द्रम की सैर का आनंद ले सकते हैं, जो यहां से 12 किमी की दूरी पर स्थित एक छोटा सा गांव है। यहां आप थानुमलायन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। आप चाहें तो यहां से 20 किमी की दूरी पर स्थित नागराज मंदिर व 45 किमी की दूरी पर स्थित पदमानभापुरम महल को देख सकते हैं। इसके अलावा आप कोरटालम झरना, तिरुचेंदूर व उदयगिरी किले की सैर का आनंद उठा सकते हैं।
कैसे पहुंचे
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कन्याकुमारी पहुंचने का नजदीकी हवाई अड्डा लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित 'त्रिवेंद्रम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा' है। रेल मार्ग के लिए आप कन्याकुमारी रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं, जो भारत के कई अहम शहरों से जुड़ा हुआ है। आप चाहे तो सड़क मार्ग से भी यहां तक पहुंच सकते हैं। दक्षिण भारत के कई अहम शहर सड़क मार्गों के द्वारा कन्याकुमारी से जुड़े हुए हैं।