हुबली दक्षिण भारत का प्रमुख शहर है और इसे अक्सर धारवाड़ के जुड़वा शहर के नाम से जाना जाता है जोकि कर्नाटक के धारवाड़ जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। हुबली उत्तरी कर्नाटक का वाणिज्यिक केन्द्र है और बैंग्लोर के बाद राज्य का विकासशील औद्यौगिक, ऑटोमोबाइल और शैक्षणिक केन्द्र है।
हुबली शब्द की उत्पत्ति हुब्बल्ली से हुई है जिसका कन्नड़ भाषा में अर्थ होता है फूलयुक्त रेंगनेवाला। हुबली एक ऐतिहासिक शहर है जिसकी उत्पत्ति चालुक्यों के समय की है। इसे पूर्व में रायरा हुबली या इलेया पुरावदा हल्ली और पुरबल्ली नामों से जाना जाता रहा है। विजयनगर रायों के शासन काल में रायरा हुबली कपास, शोरा और लोहे के व्यापार का प्रमुख केन्द्र बन गया था।
इसके इतिहास की एक झलक
हुबली अक्सर मराठाओं, मुगल और अंग्रेजों के निशाने पर रहा। अंग्रजों ने हुबली में एक कारखाना लगाया था जिसे सन् 1675 ई0 में शिवाजी ने लूट लिया था। हुबली थोड़े समय के लिये मुगलों के सवानूर नवाब के अधीन आया और दुर्गाडबेल के आसापास बसप्पा शेट्टी नाम के व्यापारी द्वारा एक नये कस्बे को बनाया गया। मराठाओं ने इसपर 1755-56 ई0 में कब्जा कर लिया, बीच में हैदरअली ने भी इसे छीन लिया लेकिन बाद में 1790 ई0 में मराठाओं ने इसे फिर से हासिल कर लिया।
सन् 1817 ई0 में पुरानी हुबली अंग्रेजों के अदीन हो गई और सन 1820 ई0 में नई हुबली के साथ भी ऐसा ही हुआ। सन् 1880 ई0 में अंग्रेजों ने हुबली में एर रेलवे कार्यशाला की शुरूआत की जिसके कारण यह स्थान प्रसिद्ध औद्यौगिक क्षेत्र में बदल गया।
आज हुबली अपने सूत कातने और विभन्न प्रसंस्करण मिलों के लिये जाना जाता है जो इसके हथकरथा वस्त्र उद्योग के भाग हैं। यह कर्नाटक का प्रमुख कपास और मूँगफली व्यापार केन्द्र है क्योंकि आसपास के ग्रामीण इलाके यही फसलें मुख्य रूप से उगाई जाती हैं। हुबली दक्षिण पश्चिमी रेलवे ज़ोन और हुबली डिवीजन का मुख्यालय है।
पर्यटकों के लिये हुबली में क्या है – हुबली और इसके आसपास के पर्यटक स्थल
हाल के सालों में हुबली एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण के रूप में उभरा है। हुबली के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में भवानीशंकर मन्दिर, असार, सिद्धरूधा मठ, उन्कल झील, नृपटूँगा बेट्टा और ग्लास हाउस शामिल हैं। हुबली में धारवाड़ के जुड़वा शहरों, नविलतीर्थ, सथोडा, सोगल्ला और मथोडा झरने, इस्कॉन मन्दिर, स्काइस पॉइन्ट और उलाविया की यात्रा पर भी पर्यटक जा सकता हैं। बीजापुर, बिदर, बादामी, ऐहोल, पतादकल और हम्पी जैसे स्थलों पर भी यात्री जा सकते हैं।
हुबली आने का सबसे बढ़िया मौसम
मालेनाड और दक्षिण के पठार के बीच में स्थित इस शहर की जलवायु ऊष्णकटिबन्धीय नम और शुष्क प्रकार की होती है और अक्टूबर से फरवरी के बीच का मौसम हुबली आने के लिये सबसे अनुकूल होता है।
हुबली कैसे पहुँचें
हुबली तक आसानी से पहुँचा जा सकता है क्योंकि यह कर्नाटक और पड़ोसी राज्यों के सभी प्रमुख स्थलों से सड़क और रेलमार्गों द्वारा भलीभाँति जुड़ा है। हुबली का घरेलू हवाईअड्डे से बैंग्लोर, हैदराबाद और मुम्बई के लिये नियमित उड़ाने उपलब्ध रहती हैं।