जबलपुर के भेड़ाघाट स्थित संगमरमरी चट्टान अन्य किसी भी पर्यटन स्थलों में सर्वाधिक घूमा जाने वाला जगह है। यह कहना गलत नहीं होगा कि जबलपुर और संगमरमरी चट्टान एक दूसरे के पर्यायवाची हो गए हैं। संगमरमरी चट्टान नर्मदा नदी के दोनों ओर करीब 100 फीट ऊंची है।...
जबलपुर का बरगी डेम नर्मदा नदी पर बने 30 डेमों में एक महत्वपूर्ण डेम है। इस डेम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों में जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है। बरगी डाइवर्शन प्रोजेक्ट और रानी अवंतीबाई लोधी सागर प्रोजेक्ट इस डेम पर विकसित...
सही मायनों में देखा जाए तो जबलपुर का बैलेंसिंग रॉक्स भूवैज्ञानिक अचंभा ही है। गोंड शासक राजा मदन मोहन सिंह द्वारा बनवाए गए मदन मोहन किला के रास्ते में पड़ने वाला बैलेंसिंग रॉक्स के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण हजारों साल पहले ज्वालामुखी फटने से हुआ था।
...धुआंधार जलप्रपात जबलपुर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश का एक महत्मपूर्ण पर्यटन स्थल है। 10 मीटर की ऊंचाई से गिरने वाले इस प्रपात की छटा अनुपम है। इसकी उत्पत्ति नर्मदा नदी से होती है।
यह सुरम्य प्रपात प्रसिद्ध संगमरमर की चट्टानों से निकलता है। यह प्रपात जब...
शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित हनुमान ताल एक झील है। जबलपुर के 52 झीलों में से 13 सूख चुके हैं। हालांकि हनुमान ताल को सरकार ने अभी तक बचाए रखा है। यह झील बड़ी तेजी से शहरीकरण की चपेट में आ रहा है और बढ़ती आबादी से भी इसे गंभीर नुकसान पहुंच रहा है।
जैसा कि नाम...
पिसनहारी की मढ़िया दिगंबर जैन पंथ का एक जाना-माना तीर्थ स्थल है। यह जैन मंदिर नेता जी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज के पास ही स्थित है। अपने वास्तुशिल्प और सुंदरता के लिए जाना जाने वाला यह 500 साल पुराना पर्यटन स्थल सर्वाधिक घूमे जाने वाले जगहों में से एक है।...
त्रिपुर सुंदरी मंदिर मध्यप्रदेश के जबलपुर से 13 किमी दूर तेवर गांव में भेड़ाघाट रोड पर स्थित है। जबलपुर का प्रमुख आकर्षण होने के अलावा इस मंदिर को काफी पवित्र माना जाता है और यह धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है। 11वीं शताब्दी में बने इस मंदिर के बारे में कहा...
संग्राम सागर झील जबलपुर का और चर्चित पर्यटन स्थल है। शहर से 15 किमी दूर स्थित इस झील और बगल की संरचना का निर्माण 15वीं शताब्दी में गोंड शासक संग्राम शाह ने करवाया था। यहां कई प्रसिद्ध मध्ययुगीन निर्माण देखे जा सकते हैं। झील से घिरे होने के कारण इसकी खूबसूरती और भी...
जबलपुर के इतिहास में तिलवारा घाट का विशेष महत्व है। यह नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित है। यही वह जगह है जहां महात्मा गांधी की राख को विसर्जित किया गया था। उनके श्रद्धांजली स्वरूप यहां पर एक गांधी स्मारक भी बनाया गया है। आजादी की लड़ाई के दौरान गांधी जी तीन बार...
जबलपुर का मदन महल किला उन शासकों के अस्तित्व का साक्षी है, जिन्होंने यहां 11वीं शताब्दी में काफी समय के लिए शासन किया था। राजा मदन सिंह द्वारा बनवाया गया यह किला शहर से करीब दो किमी दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह किला राजा की मां रानी दुर्गावती से भी जुड़ा...
डुमना नेचर रिजर्व जबलपुर शहर से 10 किमी दूर है। प्रकृति और वन्य जीवों में रुचि रखने वालों के यह एक आदर्श जगह हो सकती है। डुमना एयरपोर्ट के रास्ते में पड़ने वाला यह रिजर्व 1058 हेक्टियर के भूभाग पर फैला हुआ है। अगर आप जंगल की सैर पर निकलेंगे तो आपको कई तरह के जानवर...
चौंसठ योगिनी मंदिर जबलपुर की ऐतिहासिक संपन्नता में एक और अध्याय जोड़ता है। प्रसिद्ध संगमरमर चट्टान के पास स्थित इस मंदिर में देवी दुर्गा की 64 अनुषंगिकों की प्रतिमा है। इस मंदिर की विषेशता इसके बीच में स्थापित भागवान शिव की प्रतिमा है, जो कि देवियों की प्रतिमा से...
1964 में बने रानी दुर्गावती मेमोरियल म्यूजियम जबलपुर का एक और स्थल है, जिसका ऐतिहासिक महत्व है। दरअसल इस म्यूजियम का निर्माण जबलपुर और आसपास के क्षेत्र में रानी दुर्गावती के योगदान को श्रद्धांजली देने के लिए किया गया था। इस म्यूजियम में आप शाही जिंदगी और ऐश व आराम...