झाँसी से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर बेतवा नदी के किनारे स्थित चिरगांव प्रसिद्ध हिंदी कवि मैथिली शरण गुप्त का जन्म स्थान है जो देश के राष्ट्रीय कवि भी थे। इस गाँव में उनकी समाधि भी है। इस शहर से अन्य दो साहित्यकार भी जुड़े हुए हैं। जिनमें से एक सियाराम शरण गुप्त,...
परिछा से तात्पर्य झाँसी के दो महत्वपूर्ण स्थानों से है। एक बाँध का नाम है जो बेतवा नदी के ऊपर बनाया गया है तथा जो शहर से 25 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ एक जलाशय है जिसका शांत जल झाँसी से 34 किमी. दूर स्थित नोटघाट तक पहुँचता है। यह बाँध पानी के खेलों के लिए...
झाँसी के किले या झाँसी किले का निर्माण ओरछा के राजा बीर सिंह देव ने 1613 में पहाड़ी की चोटी पर करवाया था। यह 16 से 20 फुट मोटी दीवार से घिरा हुआ है जो इसकी चारदीवारी का एक भाग है। इस दीवार में दस दरवाज़े हैं जिनमें से प्रत्येक का नाम किसी राजा या राज्य के ऐतिहासिक...
इसे रानी महल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह भारत की प्रसिद्ध योद्धा रानी, रानी लक्ष्मीबाई का महल था। इसका निर्माण नेवालकर परिवार के रघुनाथ – द्वितीय ने करवाया था। यह महल देशभक्ति बलों का केंद्र था जिसका नेतृत्व रानी और मराठा सरदारों तात्या टोपे और नाना साहिब...
भगवान गणेश को समर्पित गणेश मंदिर वह स्थान है जहाँ 1842 में रानी लक्ष्मीबाई का राजा गंगाधर राव के साथ विवाह हुआ था। रानी जिनका विवाहपूर्व नाम मणिकर्णिका था, उन्हें औपचारिक रूप से लक्ष्मीबाई का नाम दिया गया। झाँसी के किले के प्रवेश द्वार पर स्थित इस सुंदर...
महाराजा गंगाधर राव की छतरी एक कब्र या युद्ध स्मारक है। इसका निर्माण रानी लक्ष्मीबाई द्वारा 21 नवंबर 1853 को रानी लक्ष्मीबाई द्वारा उनके पति महाराजा गंगाधर राव के निधन के पश्चात करवाया गया था। लक्ष्मी ताल या तालाब के बाजू में स्थित यह छतरी झाँसी शहर का एक प्रमुख...
1501 में महाराजा रूद्र प्रताप सिंह द्वारा स्थापित ओरछा जिसे उरचा भी कहा जाता था टीकमगढ़ जिले में स्थित है। यह राजसी राज्य मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र का एक भाग है। ओरछा बेतवा नदी के किनारे झाँसी से लगभग 15 किमी. और टीकमगढ़ से 80 किमी. की दूरी पर स्थित है।
...सेंट जुडेस चर्च, झाँसी के सिविल लाइंस में स्थित है जो कैथोलिक ईसाईयों के लिए प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। ऐसा विश्वास है कि इसकी नींव में सेंट जुड़े की हड्डी दफ़नाई गई है। इस चर्च का निर्माण 1966 में किया गया। स्वर्गीय बिशप एफएक्स फ्रेंच पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपने...
उत्तरप्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा फरवरी महीने के अंत या मार्च के प्रारंभ में एक सप्ताह के लिए आयोजित किया जाने वाला झाँसी महोत्सव बड़ी संख्या में चाहने वालों को आकर्षित करता है। यह त्योहार कई रोचक गतिविधियों से परिपूर्ण होता है जो बुंदेलखंड की जातीयता,...
महालक्ष्मी मंदिर देवी लक्ष्मी को समर्पित है। लक्ष्मी दरवाज़े के बाहर लक्ष्मी ताल के निकट स्थित इस भव्य मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में रघुनाथराव (द्वितीय) नेवालकर द्वारा किया गया, जिन्हें 1769 में उनके पूर्ववर्ती विश्वासराव लक्ष्मण की मृत्यु के बाद झाँसी का...
बरुआ सागर झाँसी जिले का एक शहर है जिसे बरुआ सागर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ बरुआ सागर नाम की एक भव्य झील स्थित है जो झाँसी से 25 किमी. दूर बेतवा नदी के किनारे स्थित है। राजा उदित सिंह द्वारा निर्मित इस शहर में कई सुन्दर स्थान है जो बड़ी संख्या में...
झाँसी संग्रहालय झाँसी के ऐतिहासिक किले में स्थित है और शहर का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहाँ हथियारों, टेराकोटा, मूर्तियों, परिधानों, कांस्य, चांदी, सोने और तांबे के सिक्को और मूर्तियों का प्रदर्शन देखने मिलता है। ये प्रदर्शन चंदेल वंश के राजाओं के जीवन और...