डेहकियाखोवा नामघर, जोरहाट में सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है। इस स्थल की स्थापना एक संत - सुधारक माधवदेवा ने की थी, जो एक छोटे से गांव के श्रीमंता शंकरदेव के शिष्य थे, बाद में इनका नाम डेहकियाखोवा रख दिया गया था। यह माना जाता है कि...
गढ़ अली, जोरहाट का एक ऐतिहासिक स्थल है, इसके अलावा, यहां से अहोम संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले सामान खरीदने का प्रमुख शॉपिंग स्थल भी स्थित है। गढ़ अली को अहोम शासनकाल के दौरान बनवाया गया था, जब अहोम, मोआमरीस के खिलाफ युद्ध लड़ रहे थे। गढ़ अली एक...
बिलवेश्वर शिवा मंदिर, जोरहाट के अन्य आकर्षणों में से एक है, जो शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। यह प्राचीन मंदिर, जिले के उत्तरी भाग में दक्षिण ट्रंक रोड पर स्थित है। यह लगभग जोरहाट शहर से 35 किमी. की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर स्थित है।...
सुकाफा समन्नय क्षेत्र को असम के पहले अहोम राजा, सुकाफा की याद में बनवाया गया है। सुकाफा समन्नय क्षेत्र, जोरहाट और डेरगांव के नजदीक, मोहबंधा में स्थित है।
सुकाफा, अहोम साम्राज्य के संस्थापक थे, जिनका साम्राज्य 600 साल तक चला था।...
गजपुर, हाथियों के रखने की एक जगह है। वर्तमान में यह जगह खंडहर में बदल चुकी है, लेकिन फर भी यहां घूमना दिलचस्प है। राज्य में राजा के शासन के दौरान यहां पर सैनिकों के लगभग 1000 हाथी बांधे जाते थे। राजा के द्वारा स्थापित एक शहर के निर्माण के जश्न...
बुरीगोसेन देवालय, जोरहाट के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जहां देश के कई हिस्सों से पर्यटक सैर के लिए आते है। इस मंदिर के प्रमुख देवता बुरीगोसिन है। मंदिर में इन देवता की मूर्ति प्रतिष्ठित की गई है।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की मूर्ति को...
निमाती, जोरहाट में सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह है। निमाती घाट, माजुली का एंट्री प्वांइट है जो दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप है। इस नदी पोर्ट का महत्व सिर्फ जोरहाट के लिए ही नहीं बल्कि आसपास के अन्य शहरों व गांवों के लिए भी है।
माजुली तक पहुंचने...
राजा मैडाम को जोरहाट के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में गिना जाता है जो टोकलाई नदी के दक्षिण तट पर स्थित है। राजा मैडाम का इस्तेमाल, 1 अक्टूबर 1894 को राजा पुरन्दर सिन्हा के दाह संस्कार के लिए किया गया था।
राजा मैडाम को...
थेंगाल भवन एक ऑफिस है जहां से पहला असमिया अखबार प्रकाशित किया गया था। थेंगाल भवन, टिटाबोर में जालूकोनीबारी में स्थित है, जो जोरहाट के नजदीक स्थित शहर है। थेंगाल भवन, असमिया भाषा का पहला अखबार था, इसके अलावा यह पहला क्षेत्रीय भाषा का अखबार भी था, जो भारत के एक गांव...
कारंगा, जोरहाट जिले के समीप स्थित जिला मुख्यालय का एक छोटा सा गांव है। कारंगा गांव, अपने ब्लैक स्मिथ के कारण जाना जाता है। कारंगा के ब्लैक स्मिथ की आसपास के चाय बागानों में काफी मांग रहती है। इन चाय के बागानों के आसपास रहने वाले लोगों को भी...
बादुली पुकाहुरी को बादुली पुकुहरी के नाम से भी जाना जाता है जिसे राजा जयाध्वज सिन्हा के शासनकाल में बनवाया गया था। यह एक टैंक है जिसका नाम अहोम जनरल के नाम पर बादुली पुकाहुरी रखा गया। इस टैंक का नाम, बादुली पुकाहुरी, अहोम काल से ही है।
इस टैंक का...
सिन्नोमोरा चाय बागान, जोरहाट का पहला चाय बागान है जो चाय के लिए काफी प्रसिद्ध है। सिन्नोमोरा चाय बागान में वर्ष 1850 से कामकाज शुरू हुआ था। चाय बागान को मणिराम दीवान के द्वारा स्थापित किया गया था। मणिराम दीवान, जोरहाट में ब्रिटिश सरकार के अधीन एक...
कुंवारी पुखुरी, एक बडा सा टैंक है जो जोराहाट के बाहरी इलाके में स्थित है और पर्यटकों के लिए प्रसिद्ध आकर्षण स्थल है। इस टैंक का नाम, अहोम राजा दिलाबंधा बोरगोहीन की पोती के नाम परभाटिया के नाम पर रखा गया, जिन्होने इसका निर्माण करवाया था।
मगोलु खाट, जोरहाट में ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एक पर्यटन स्थल है। इसे राजा राजेश्वर सिन्हा ने एक मणिपुरी राजकुमारी से शादी करने के बाद मागलाउस या मणिपुर के रूप में निर्माण करवाया था।
इस राजा ने कुरानगानायानी नाम की मणिपुरी राजकुमारी से शादी...
बंगालपुखुरी, जोरहाट में एक प्रसिद्ध पानी जलाशय है जो ना-अली के पास स्थित है। इस टैंक के निर्माण के साथ एक दिलचस्प घटना जुड़ी है, जिसे लोग आज भी याद कर लेते है।
1739 में, रूपसिंह बंघल ने एक अहोम गर्वनर, बदन बारफुकान को मार डाला था। बारफुकान ने एक...