गुजरात में बहुत कम स्थान हैं, जो जूनागढ़ की तरह विविधता प्रदान करते हैं। गिरनार सीमा की तलहटी में स्थित, जूनागढ़ का नाम 320 ई.पू. के दौरान चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा निर्मित किले ऊपरकोट, की वजह से है। जूनागढ़ शब्द का मतलबा "पुराना किले" जो शहर के मुख्य केंद्र में स्थित है।
जूनागढ़ में और आसपास के पर्यटक स्थल
नवघन कुवो और अदी-कडी वव दो प्राचीन कुएं हैं, जिन्हें बनाया नहीं गया, बल्कि ठोस चट्टान को काटने पर चट्टान के केंद्र में 170 फीट की गहराई रसातल पर पानी पाया गया। गिर राष्ट्रीय उद्यान बचे हुए एशियाई शेरों के लिये सबसे लोकप्रिय संरक्षित वन है।
उसके अलावा पनिया वन्यजीव अभयारण्य और मितियाला वन्यजीव अभयारण्य भी उल्लेख करने लायक हैं। सम्राट अशोक के शिलालेखों की तरह ऐतिहासिक स्थान, जामा मस्जिद या बौद्ध भी पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं। गिर राष्ट्रीय उद्यान के साथ जूनागढ़ सभी प्रचारों का केंद्र बन गया और हमेशा से पर्यटकों को आकर्षित करने लगा और हमेशा करता रहेगा।
इतिहास
जूनागढ़ एक प्राचीन शहर है, क्योंकि यह चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक के शासन काल के दौरान अस्तित्व में आया। यहां के शिलालेख आपको उस दौर में ले जाते हैं, जब साका शासक महाक्षत्रप रुद्रदमन हुआ करते थे। मोहम्मद बहादुर खानजी के दौरान, जूनागढ़ के वर्तमान शहर की स्थापना की गई थी।
उन्होंने "बाबी राजवंश" की नींव रखी, जिसने इस जगह पर तब तक शासन किया, जब तक ब्रिटिश सरकार ने इसे एक सामंती राज्य नहीं घोषित कर दिया और जूनागढ़ को भारत के विभाजन के दौरान मान लिया गया।
धार्मिक रिश्ता
जैन धर्म, हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और इस्लाम समेत सभी धर्मों से जो भी यहां आये उन सभी ने इस शहर में कुछ न कुछ छाप छोड़ दी। 500 ईसा पूर्व पुरानी चट्टानों को काट कर बनायी गईं बौद्ध "गुफाएं" यहां देखी जा सकती है और उन गुफाओं की दीवारों पर नक्काशी और पुष्प काम देखा जा सकता है। अशोक के आदेशपत्र की 33 शिलालेखों में से 14 ऊपरकोट के आस-पास ही पाये जा सकती हैं।
बौद्ध धर्म के अलावा, जूनागढ़ हिंदू धर्म और जैन धर्म के लिए भी एक महत्वपूर्ण जगह है। शहर के शीर्ष पर माउंट गिरनार है, जो हिंदुओं और जैनियों के लिए एक पवित्र स्थल है। चोटी पर चढ़ने के लिये 9999 जीनों वाली सीढ़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनका निर्माण चोटी के शीर्ष पर मंदिर के साथ किया गया था और यहां आने पर लगता है मानो आसमान पर पहुँच गये।
भूगोल
जूनागढ़ की सीमा दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर से घिरी है, उत्तर में पोरबंदर और पूर्व में अमरेली है। जूनागढ़ में दो नदियां सोनरख और कलवो बहती हैं। नरसी मेहता सरोवर, दामोदरजी, सुदर्शन झील इस शहर की कुछ झीलें हैं। जूनागढ़ में सारकेश्वर बीच और माध्वपुर बीच समुद्र तटों हैं।
जूनागढ़ का मौसम
जूनागढ़ के विविध मौसम इस जगह की शुष्क परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। अरब सागर और खंभात की खाड़ी का भी मौसम की विविधता पर प्रभाव हो रहा है। यह गर्मियों के दौरान काफी गर्म रहता है और समान रूप से ही सर्दियों में ठंडा रहता है।
जूनागढ़ कैसे पहुंचें
राजकोट हवाई अड्डा जूनागढ़ के लिए निकटतम हवाई अड्डा है। यह जगह रेल और सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।