कन्याकुमारी, जो कि पूर्व में केप कैमोरिन के नाम से प्रसिद्ध था, भारत के तमिलनाडु में स्थित है। यह भारतीय प्रायद्वीप के सबसे दक्षिणी छोर पर स्थित है। कन्याकुमारी ऐसे स्थान पर स्थित है जहाँ पर हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर मिलते हैं। केरल प्रदेश इसके उत्तर पश्चिमी और पश्चिमी इलाके में स्थित है जबकि तिरूनेलवेलि जिला इसके उत्तरी और पूर्वी भाग में स्थित है।
केरल की राजधानी तिरूवनन्तपुरम कन्याकुमारी से 85 किमी की दूरी पर है। यह शहर अपने नयनाभिरामी और शानदार ऊषाकाल और सन्ध्याकाल के लिये जाना जाता है, खासतौर से पूर्णिमा के दिनों में।
मन्दिर और समुद्रतट – कन्याकुमारी और इसके आसपास के पर्यटक स्थल
जिन लोगों में सृजनात्मक सोच की कमी होगी उन लोगों को शहर की कला और संस्कृति रोचक नहीं लगेगी। हलाँकि कन्याकुमारी में कई मन्दिर और समुद्रतट हैं जो भारी संख्या में तीर्थयात्रियों और रोमांच पसन्द पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। शहर के मुख्य आकर्षणों में विवेकानन्द रॉक मेमोरियल, वट्टाकोटाई किला, पद्मनाभपुरम पैलेस, थिरूवल्लूवर प्रतिमा, वावाथुराइ, उदयगिरि किला और गाँधी संग्रहालय शामिल हैं।
शहर के प्रसिद्ध पवित्र स्थलों में कन्याकुमारी मन्दिर, चिथराल हिल मन्दिर और जैन स्मारक, नागराज मन्दिर, सुब्रमण्यम मन्दिर और थिरुनन्धिकाराइ गुफा मन्दिर शामिल हैं। कन्याकुमारी के समुद्रतट उन रोमांच पसन्द लोगों के लिये प्रमुख आकर्षण हैं जो यहाँ अपने परिवार और मित्रों के साथ मनोरंजन के लिये आते हैं। शहर के समीप प्रसिद्ध समुद्रतटों में संगुथुराई तट, थेंगापट्टिनम तट और सोथाविलाइ तट प्रमुख हैं।
केप कैमोरिन का इतिहास
कन्याकुमारी केवल अपने धार्मिक और कला के कन्द्रों के लिये ही नहीं प्रसिद्ध रहा है बल्कि कई सदियों से यह वाणिज्य और व्यापार के लिये भी प्रसिद्ध रहा है। यह शहर पाण्ड्यों, चोलों, नायकों और चेरों जैसे कई वंश के शासकों के अधीन रहा है। इन शासकों के समय की कला और सभ्यता का प्रमाण कन्याकुमारी मन्दिरों की वास्तुकला को देखकर मिल जाता है।
इसके तुरन्त बाद शहर वेनाद वंश के शासकों के अधीन हो गया। उस दौरान शहर की राजधानी पद्मनाभपुरम में स्थित थी। 1729 ई0 से 1758 ई0 के बीच वेनाड शासक अनिझम थिरूनल मरथंडा वर्मा ने ट्रैवेनकोर की स्थापना की और आज का जो क्षेत्र कन्याकुमारी जिले के अन्तर्गत आता है, वह प्रसिद्ध दक्षिण ट्रैवेनकोर था।
परावार राजाओं के शासनकाल के बाद 1947 ई0 में भारत की स्वतन्त्रता तक शहर पर अंग्रेजों के अधीन ट्रैवेनकोर के राजाओं का शासन रहा। 1947 ई0 में ट्रैवेनकोर को भारतीय गणराज्य का स्वशासित भाग माना जाता था और ट्रैवेनकोर राजाओं का शासन समाप्त हो गया।
लोग और संस्कृति
कन्याकुमारी हजारों साल से अपनी कला, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। आप शहर में ईसाई, इस्लाम और हिन्दू धर्मो का मिश्रण देख सकते हैं और इसीलिये यह स्थान अपनी मिश्रित संस्कृति के लिये प्रसिद्ध रहा है। अपने विस्तृत सांस्कृतिक विरासत के कारण कन्याकुमारी सदियों से हजारों की संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है।
सुन्दर गिरजाघर, मन्दिर, मूर्तियाँ और धार्मिक स्तम्भ यात्रियों का ध्यान आकर्षित करते हैं। शहर की मिश्रित संस्कृति झलक यहाँ के निर्माण, कला और खानपान में भी दिखती है। कन्याकुमारी का पारम्परिक नृत्य शैली प्रसिद्ध कथकली है। यहाँ आयोजित होने वाले कुछ प्रमुख त्यौहारों में कैथोलिक चर्च का वार्षिक उत्सव, नवरात्रि और चैत्र पूर्णिमा हैं।
कन्याकुमारी में खरीददारी
कन्याकुमारी बहुत ज्यादा खरीददारी करने वालो के लिये नहीं है, हलाँकि कई ऐसे स्थान हैं जहाँ से आप अपने प्रिय लोगों के लिये स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं। आप सीपी से बने कई वस्तुयें जैसे छनकने वाली सीपियों की लड़ी और छोटे समृति चिन्ह खरीद सकते हैं। आप स्थानीय निवासियों द्वारा निर्मित हथकरघा वस्तुयें भी खरीद सकते हैं। ये सुन्दर उत्पाद बेंत, बाँस और लकड़ी के बने होते हैं और इन्हे घर को सजाने या मित्रों तथा रिश्तेदारों को उपहार देने के लिये खरीदा जा सकता है।
अपनी खरीददारी की सूची में आप कई प्रकार की सीपियों और कई रंग की बालू से बने छोटे आभूषणों को भी शामिल कर सकते हैं। शहर की कुछ जानी-मानी दुकानों में इण्डको प्रोडक्ट्स, तमिलनाडु को-ऑप्टेक्स सेल्स इम्पोरियम, तमिलनाडु क्राफ्ट्स और पूमपुहार प्रमुख हैं जहाँ से आप वस्त्र और हस्तशिल्प वस्तुयें खरीद सकते हैं। सड़क पर बिकने वाली वस्तुओं के दाम किफायती होते हैं।
स्वादेन्द्रियों को जागृत करें
स्थानीय लोगों में समुद्री बोजन बहुत प्रसिद्ध है। भोजन बहुत ही मसालेदार होता है और ज्यादातर पकवानों में नारियल मुख्य अवयव होता है। शहर के ज्यादातर रेस्तरां में वड़ा, इडली, दोसा और उत्तपम जैसे दक्षिण भारतीय पकवान मिलते हैं। कुछ रेस्तरां ऐसे भी हैं जहाँ चायनीज़, राजस्थानी और गुजराती भोजन भी मिलता है।
कन्याकुमारी कैसे पहुँचें
तिरूवनन्तपुरम हवाईअड्डा शहर के सबसे नदजीक है। हवाइअड्डे से पर्यटक बाहर निकलकर टैक्सी, रेल या बस लेकर कन्याकुमारी पहुँच सकते हैं। कन्याकुमारी के अन्दर आप ऑटो-रिक्शा या बस लेकर यात्रा कर सकते हैं। आप किराये की निजी टैक्सी भी ले सकते हैं।
कन्याकुमारी आने का सबसे बढ़िया समय
इस शहर में आने का सबसे बढ़िया समय अक्टूबर से फरवरी के बीच का होता है और इस दौरान मौसम बहुत सुहावना होता है। जून से अगस्त के दौरान बारिश का समय होने के कारण यहाँ आने से बचना चाहिये।