कराईकल, एक प्रसिद्ध मंदिरों का शहर है जो यहां स्थित भगवान शनिश्वेरा मंदिर के कारण लोकप्रिय है, यह शहर पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए एक आर्दश पर्यटन स्थल है। इस शहर के रेतीले तट, शहर में फ्रेंच की संस्कृति और वास्तुकला, खूबसूरत मंदिर और बंदरगाह, इस स्थल को सभी के लिए यादगार बना देते हैं। कराईकल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर है जो संघ शासित क्षेत्र पांडिचेरी में बंगाल की खाड़ी के कोरामंडल तट पर स्थित है। यह पांडिचेरी के दक्षिण से 132 किमी. और चेन्नई के दक्षिण से लगभग 300 किलोमीटर और त्रिची के पूर्व से लगभग 150 किमी. दूरी पर बसा हुआ है। कराईकल को पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्र में डेल्टा के मध्य दूसरे स्थान पर रखा गया है। कराईकल नाम के कई स्पष्टीकरण दिए गए है जो कि दो प्रमुख शब्दों कराई और कल से मिलकर बना हूआ है। यहां का कनाल ( कृत्रिम नहर ), चूने के मिश्रण से बना हुआ है जो सबसे ज्यादा वास्तविक लगता है। हालांकि, वर्तमान में इस शहर में कोई भी कनाल ( कृत्रिम नहर ) नहीं पाया जाता है। जूलियन विन्सन के अनुसार, शहर के लिए संस्कृत नाम कारागिरी था। वहीं इम्पीरियल गैजेट्टीर के अनुसार, कराईकल नाम का अर्थ "फिश पास" होता है।
पर्यटकों के लिए स्वर्ग और भगवान के लिए निवास स्थान - कराईकल शहर और आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन स्थल
कराईकल शहर, यहां स्थित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र के मुख्य आकर्षणों में शनिश्वेरा मंदिर, श्री कैलासनाथर मंदिर, नवग्रह मंदिर और अम्मेयार मंदिर शामिल हैं। मंदिरों में दर्शन करने के अलावा, पर्यटक शहर के तटों में सैर कर सकते हैं और बंगाल की खाड़ी के इलाकों में नौका विहार का आंनद उठा सकते हैं। कराईकल में कुछ ऐसे गांव भी हैं जो अपने पुरातात्विक महत्व की वजह से प्रासंगिक हैं जैसे - कीझा कासाकुडे और मेला कासाकुडे। नामचीन तीर्थस्थल जैसे नागौर और वेलानकन्नी भी कराईकल के नजदीक स्थित हैं।
इतिहास और विरासत
भारत में तेजी से पर्यटन स्थलों में उभर कर आने वाले शहर कराईकल में बहुत समृद्ध इतिहास और संस्कृति है। इस शहर का इतिहास 8 वीं सदी के दौरान पल्लव राज्य के काल से जुड़ा हुआ है। इसके बाद, इस शहर का इतिहास लंबे समय के लिए अस्पष्ट बना रहा, फिर पुन: 18 वीं सदी के तंजावुर राजा के कार्यकाल के दौरान कराईकल के इतिहास की तस्वीर उभरकर सामने आई। सन् 1738 में, एक फ्रेंच उच्चाधिकारी, डुमास नाम रखकर तंजावुर के साहूजी के साथ बातचीत करने के लिए आया था और बाद में 1739 में उसने कराईकल पर विजय प्राप्त कर ली थी। 1761 ई. में फ्रेंच, अंग्रेजों के द्वारा हार गया था और यह क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया था। हालांकि, 1814 की पेरिस संधि के अनुसार, अंग्रेजों ने इस क्षेत्र को फ्रेंच को वापस लौटा दिया था और इसके बाद 1954 तक फ्रेंच ने इस पर अपना अधिकार जमाए रखा था। इसीलिए,कराईकल शहर में आज भी फ्रेंच की समृद्ध संस्कृति और परंपरा देखने को मिलती है।
कराईकल कैसे पहुंचें
कराईकल के लिए सबसे नजदीकी अंर्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा चेन्नई हवाई अड्डा है। यह एयरपोर्ट कराईकल से 300 किमी. की दूरी पर स्थित है जहां सड़क मार्ग से पहुंचने में लगभग 7 से 9 घंटे का समय लग जाता है। वैसे यहां का निकटतम घरेलू हवाई अड्डा त्रिची में है। फिलहाल कराईकल में हवाई अड्डे के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है और 2014 तक पूरा होने की उम्मीद है। कराईकल का निकटतम रेलवे स्टेशन नागौर में है जो शहर से 10 किमी. की दूरी पर स्थित है। सभी प्रमुख स्थानों जैसे - पांडिचेरी और तमिलनाडु से कराईकल के लिए लगातार निजी सेवाएं प्रदान की जाती हैं। स्थानीय परिवहन, ऑटो रिक्शा और बसों के रूप में आसानी से उपलब्ध है।
कराईकल का मौसम
भारत के अन्य दक्षिण तटीय क्षेत्रों की तुलना में कराईकल में बहुत तेज गर्मी पड़ती है। अत: कराईकल में सैर करने का आर्दश समय सर्दियों के दौरान का होता है, नवंबर से फरवरी के बीच में इस शहर की सैर आराम से की जा सकती है, क्योकि इस समय यहां का मौसम ताजगी भरा और सुखद होता है। कराईकल उन लोगों के लिए आर्दश स्थल है जो शांति, प्राकृतिक सुंदरता और एकाग्रता से भरे तटों पर आराम करना चाहते हैं।