कारगिल को अगास की भूमि के नाम से भी जाना जाता है, यह जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र में स्थित एक जिला है। इस जिले का नाम एक तथ्य से व्युत्पन्न है, कहा जाता है यह क्षेत्र मुख्य रूप से शिया मुसलमानों के कब्जे में था। कारगिल, श्रीनगर से लगभग 205 किमी. की दूरी पर स्थित है, यह पाकिस्तान देश के साथ साझा होने वाली नियंत्रण रेखा या एल ओ सी के निकट स्थित है और कश्मीर की घाटी से दिखाई देता है। भारत और पाकिस्तान के मध्य 1999 में होने वाले कारगिल युद्ध या कारगिल संघर्ष के दौरान यह जगह मुख्य केंद्र था।
कारगिल शब्द, दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है - खार यानि महल और रकिल यानि केंद्र। इन शब्दों को मिलाकर पढ़ा जाएं तो अर्थ निकलता है महलों के बीच स्थित एक जगह, जो दो देशों भारत और पाकिस्तान के बीच बसा हुआ है। कारगिल, अपने मठों, खूबसूरत घाटियों और छोटे टाउन के लिए लोकप्रिय है। इस स्थान पर कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण और बौद्ध धर्म के धार्मिक केंद्र जैसे सनी मठ, मुलबेख मठ और शरगोल मठ स्थित हैं।
युद्ध - भूमि पर मठ
सनी मठ सबसे पुराना और सबसे प्रसिद्ध मठ है जो पास में ही स्थित सानी गांव में बना हुआ है। यह मठ, विश्व के 8 श्रद्धेय मठों में से एक है जहां बौद्ध समुदाय के प्रसिद्ध गुरूओं जैसे - मारपा, नारोपा और पद्मसम्भव ने दौरा किया था। इस मठ को 1 सदी में एक कुषाण राजा, कनिष्क के द्वारा बनवाया गया था। 108 स्तुपों में से, एक गुंबददार संरचना इस मठ में एक बौद्ध मंदिर के रूप में दर्शन हेतु रखी गई है। इस 20 फुट लम्बे स्तुप को कनिका स्तुप के नाम से भी जाना जाता है और इसे मठ के पिछवाड़े में रखा गया है।
मैत्रेय बुद्धा या भविष्य बुद्धा के नाम से प्रसिद्ध बौद्ध मूर्तिकला को लॉफिंग बुद्धा के नाम से भी जाना जाता है, जो मेलबख मठ का मुख्य आकर्षण है। यह मठ, एक चट्टानी पहाड़ी पर स्थित है और यहां भगवान बौद्ध की 9 मीटर ऊंची प्रतिमा लगी हुई है। यह कहा जाता है कि कुछ मिशनरियों के द्वारा इस मूर्ति को यहां लाया गया था।
जांस्कर, कारगिल का उप-जिला है जहां हर साल, काफी पर्यटक भ्रमण करने आते हैं। यह जगह, साल के लगभग 8 महीने तक मोटी बर्फ की चादर से ढकी रहती है। वहां स्थित कई मठों में करसा मठ, जोंगखुल मठ और स्टॉगडे मठ शामिल हैं। यहां के अन्य आकर्षणों में सुरू घाटी के केंद्र में स्थित द्रांग - द्रुंग ग्लेशियर प्रसिद्ध है।
करसा मठ, इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और धनी मठ है जहां कई चर्च और 150 बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए जगह है, यह स्थल पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। इस मठ में एक चोमो गोम्पा और आश्रम भी स्थित है। रंगदम मठ, फुगथाल मठ, शारगोले मठ और स्टारिमो मठ इस जिले के अन्य लोकप्रिय मठों में से हैं।
कारगिल पहुंचना
कारगिल, श्रीनगर के निकट स्थित है और यहां तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। कारगिल का नजदीकी एयरबेस शेख उल आलम एयरपोर्ट है, जिसे श्रीनगर एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है जो कि भारत के कई शहरों दिल्ली, शिमला, मुम्बई और चंडीगढ़ आदि से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
कारगिल के लिए निकटतम रेल लिंक जम्मू तवी रेलवे स्टेशन है जो लगभग 540 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह रेलवे स्टेशन, देश के कई शहरों जैसे - त्रिवेंद्रम, चेन्नई, बंगलौर और दिल्ली सहित अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से कारगिल जाने के लिए टैक्सी या जीप उपलब्ध हैं। लेह व श्रीनगर से कारगिल जाने के लिए बसें भी उपलब्ध हैं। पर्यटक, यहां से कारगिल जाने के लिए जीप, टैक्सी और मिनी कोचेस को भी किराए पर ले जा सकते हैं।
कारगिल की जलवायु
हिमालय पर्वतमाला में स्थित होने के कारण कारगिल क्षेत्र में आर्कटिक और रेगिस्तानी जलवायु रहती है। सर्दियों के दौरान, भारी बर्फबारी के कारण कारगिल जाने वाला मार्ग बंद रहता है। इस दौरान यहां का तापमान गिरकर काफी नीचे लगभग -48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जो असहनीय हो जाता है। हालांकि, गर्मियों का मौसम यहां के भ्रमण के लिए अच्छा समय है। मई और जून के बीच की अवधि में कारगिल दर्शनीय स्थलों के भ्रमण के लिए आदर्श माना जाता है।