कर्नाटक के उडुपी जिले में छोटे से शहर करकला का ऐतिहासिक के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है।
सभी के लिए एक विरासत स्थल - क्या है करकला के आसपास
करकला का इतिहास 10 वीं सदी का है जब यहां जैन राजाओं का शासन था। उस समय के शासकों ने कई जैन बसादियों के साथ-साथ कई मंदिरों का निर्माण कराया। आज, ये संरचनायें शहर में पर्यटकों की भीड़ को आकर्षित करती हैं, जो इसके गौरवशाली अतीत की एक झलक पाना चाहते हैं। वास्तव में, ये जैन मूर्तियां और संरचनाएं इतनी अद्भुद हैं कि तेजस्वी इन कि यूनेस्को द्वारा करकला को एक विश्व विरासत स्थल के रूप में घोषित किया गया है।
यहां सबसे अधिक प्रसिद्ध संरचनाओं में बाहुबली की बड़ी मूर्ति शामिल है। शहर के चट्टानी पहाड़ियों में स्थित यह मूर्ति 42 फीट ऊंची है और कर्नाटक की दूसरी सबसे ऊंची संरचना है। इस मूर्ति के सामने स्थित ब्रह्मदेव स्तंभ भी उल्लेखनीय है।
करकला में 18 जैन बसादियां हैं, जिन्हें इतिहास के साथ देखा जा सकता है। इसके अलावा, यहां अनन्ताशयन और आदि शक्ति को समर्पित कई प्राचीन मंदिर हैं। यह शहर हुलिवेश या टाइगर नृत्य और भैंसों की दौड़ जैसी अपनी परंपराओं के लिए भी लोकप्रिय है।
कैसे जाएं करकला
करकला बेंगलूरु से 380 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और अच्छी तरह से राज्य की सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है।