कासरगोड केरल के उत्तरी भाग में स्थित है। यह अपने ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व के कारण लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। कहा जाता है की 9 वीं और 14 वीं शताब्दी में कासरगोड के माध्यम से अरब केरल में आये। बेकल किला यहाँ पर एक यादगार स्मारक के रूप में स्थित है। कासरगोड का नाम दो शब्दों के मेल से बना है 'कासरा' जिसका अर्थ संस्कृत में तालाब है और 'क्रोडा' जिसका अर्थ है खज़ाना रखने की सुरक्षित जगह। कासरगोड कासरका पेड़ों से घिरा हुआ है। इसीलिए कासरगोड का नाम इन पेड़ों से भी उत्पन्न हुआ माना जाता है। यहाँ इस प्रकार के अन्य पेड़ भी हैं जो केवल तटीय इलाके में पाए जाते हैं।
कासरगोड की भूमि नारियल के पेड़ों और छोटी छोटी धाराओं से घिरी हुयी हैं जो पहाड़ी इलाके से होते हुए समुन्द्र से जाकर मिल जाती हैं। यहाँ की विशेषताओं में ढालू छत और बेक्ड टाइलों से बने घर भी शामिल हैं।
विविध संस्कृति का प्रदर्शन
कासरगोड अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है। विशेष रूप से यह कंबाला (भैसों की लड़ाई) और मुर्गों की लड़ाई के लिए जाना जाता है जो यहाँ के देवता थेय्यम को खुश करने के लिए आयोजित किया जाता है। यहाँ हर धर्म के लोग रहते हैं - हिन्दू, मुस्लिम और इसाई। इसके बावजूद यह जिला अपने धार्मिक गतिविधियों और भाईचारे के लिए जाना जाता है। यहाँ विविध प्रकार की भाषाएँ जैसे की मलयालम, टुलू,कन्नड़, कोंकणी तथा तमिल बोली जाती है।
कासरगोड के आस पास पर्यटक स्थल
यहाँ के आकर्षणों में गोविन्द पाई मेमोरियल, मदियाँ कुलम मंदिर, मालिक दीनार मस्जिद मुख्य हैं और आस पास के क्षेत्रों में बेकल, कन्नूर थालास्सेरी, और पय्योली हैं।