गौला नदी की तट पर बसा काठगोदाम कुमाऊं पर्वतों का प्रवेशद्वार है। उत्तराखंड के नैनीताल जिले का यह क्षेत्र समुद्र तल से 554 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हल्द्वानी-काठगोदाम उत्तराखंड का दूसरा सबसे बड़ा नगर परिषद् है और इसकी स्थानपा 1942 में हुई थी। काठगोदाम का शाब्दिक अर्थ होता है ‘लकड़ियों का गोदाम’। यह अर्थ काफी सही भी मालूम पड़ता है, क्योंकि यह शहर जिले में व्यापार और व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है।
यहां की स्थानीय भाषा कुमाऊंनी, हिंदी और गड़वाली है। काफी पहले काठगोदाम को लोग बिल्कुल भी नहीं जानते थे। 1901 में इसकी जनसंख्या सिर्फ 375 थी। 1909 में ब्रिटिश सरकार ने यहां रेलवे ट्रैक बिछाए। इसके बाद काठगोदाम को चर्चा मिली।
1984 में हल्द्वानी रेलवे लाइन को काठगोदाम तक फैला दिया गया। वर्तमान में काठगोदाम उत्तर-पूर्व रेलवे का आखिरी स्टेशन है। इस क्षेत्र का दो प्रमुख आकर्षण शीतला देवी और कालीचौड़ का मंदिर है। त्योहारों के मौसम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन मंदिरों के दर्शन करने आते हैं।
काठगोदाम के आस पास के स्थान
गौला नदी इस क्षेत्र का खास आकर्षण है। सात ताल झील से निकलने वाली यह नदी हल्द्वानी और शाही जैसी कई जगहों से होकर गुजरती है। इस नदी के ऊपर एक डेम भी बना हुआ है, जिसे गौला बांध के नाम से जाना जाता है। पिकनिक के लिए यह जगह काफी पसंद किया जाता है।
काठगोदाम आने वाले पर्यटक चाहें तो यहां से 21 किमी दूर स्थित छोटा सा शहर भीमताल का भी भ्रमण कर सकते हैं। यह जगह साल भर पानी से भरी रहने वाली भीमताल झील के लिए प्रसिद्ध है। इस जगह का नामकरण महाभारत के एक पात्र भीम के नाम पर हुआ है। भीमताल झील के किनारे भगवान शिव का एक पुराना मंदिर है, जिसे भीमेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में कुमाऊं के राजा बाज बहादुर ने करवाया था। झील के मध्य स्थित टापू पर बना एक्वेरियम यहां की खूबसूरती में और भी इजाफा कर देता है।
पर्यटक चाहें तो सात ताल का भी भ्रमण कर सकते हैं, जो काठगोदाम से 23 किमी दूर है। सात ताल का शाब्दिक अर्थ होता है-‘सात झील’। यहां सात ताजे पानी के झील हैं, जो आपस में जुड़े हुए हैं। इनके नाम हैं- राम ताल, नील दमयांती ताल, लक्ष्मण ताल, खुदारिया ताल, पूर्णा ताल, सूखा ताल और सीता ताल। इन सब के अलावा यहां के कई विहंगम झरने भी काफी प्रसिद्ध हैं।
काठगोदाम पहुंचना
हवाई मार्ग से सीधे काठगोदाम नहीं पहुंचा जा सकता है। काठगोदाम से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है, जो 71 किमी दूर है। यह इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से काफी अच्छे से जुड़ा हुआ है और पंतनगर के लिए नियमित उड़ानें मिलती है। इस कारण विदेशों से आने वाले पर्यटकों को भी कोई दिक्कत नहीं होती। काठगोदाम रेलवे स्टेशन उत्तर-पूर्व रेलवे के अंतर्गत आता है और यह भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, लखनऊ और हावड़ा से सीधे जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग से भी काठगोदाम पहुंचा जा सकता है। इसके लिए एनएच-87 का सहारा लेना पड़ेगा। गाजियाबाद, दिल्ली, नैनीताल और हल्द्वानी से काठगोदाम के लिए सीधी बस सेवा है।
काठगोदाम का मौसम
काठगोदाम का तापतान पूरे साल सामान्य बना रहता है। यहां गर्मी का मौसम अप्रैल से जून तक रहता है। इस दौरान तापमान 15 डिग्री से 30 डिग्री के बीच रहता है।
काठगोदाम जाने का सबसे अच्छा समय
काठगोदाम घूमने का सबसे अच्छा समय जुलाई से नवंबर तक का होता है। इस दौरान यहां हल्की ठंड पड़ती है और मौसम सुहाना रहता है।