समुद्र तल से 6075 फीट की ऊंचाई पर बसा कौसानी एक खूबसूरत पर्वतीय पर्यटक स्थल है। विशाल हिमालय के अलावा यहां से नंदाकोट,त्रिशूल और नंदा देवी पर्वत का भव्य नजारा देखने को मिलता है। यह पर्वतीय शहर चीड़ के घने पेड़ों के बीच एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और यहां से सोमेश्वर, गरुड़ और बैजनाथ कत्यूरी की सुंदर घाटियों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।
काफी समय पहले कासौनी अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था और वलना के नाम से जाना जाता था। उस समय अल्मोड़ा जिला कत्यूरी के राजा बैचलदेव के क्षेत्रधिकार में आता था। बाद में राजा ने इसका काफी बड़ा हिस्सा एक गुजराती ब्राह्मण श्री चंद तिवारी को दे दिया। महात्मा गांधी ने यहां की भव्यता से प्रभावित हो कर इस जगह को ‘भारत का स्वीट्जरलैंड’ कहा था। वर्तमान में कौसानी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है और हर साल यहां पूरे विश्व से सैलानी आते हैं।
कौसानी के आस पास के स्थल
खूबसूरत पहाड़ियों और पर्वतों के अलावा कौसानी आश्रमों, मंदिरों और चाय के बगानों के लिए भी जाना जाता है। अनाशक्ति आश्रम यहां का एक प्रसिद्ध आश्रम है, जहां महात्मा गांधी कुछ दिन के लिए रुके थे। अब यह एक अध्ययन और शोध केंद्र के रूप में विकसित हो गया है, जहां रहने और खाने की भी व्यवस्था है। एक और जाना माना आश्रम है लक्ष्मी आश्रम। इसे सरला आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। इस आश्रम का निर्माण 1948 में महात्मा गांधी की एक अनुयायी कैथरीन हिलमन ने करवाया था।
पिन्नाथ मंदिर, शिव मंदिर, रुद्रहरि महादेव मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर और बैजनाथ मंदिर कौसानी के कुछ प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। समुद्र तल से 2750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पिन्नाथ मंदिर हिन्दू देवता भैरों को समर्पित है। शिव मंदिर सोमेश्वर शहर में पड़ता है, जो कौसानी से 11 किमी दूर है। भगवान शिव के इस मंदिर का निर्माण चंद वंश के संस्थापक सोमचंद ने करवाया था।
इसके अलावा कौसानी प्रसिद्ध हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मभूमि भी है। यहां एक संग्राहलय भी है, जिसे सुमित्रानंदन पंथ गैलरी के नाम से जाना जाता है। इसमें इस महान कवि की कविताओं की पांडुलिपि, विभिन्न कृतियां और उन्हें दिए गए पुरस्कारों का संग्रह है। संग्राहल में हर वर्ष उनका जन्मदिन मनाया जाता है और उनके सम्मान में एक सम्मेलन का भी आयोजन किया जाता है।
जोखिम को पसंद करने वाले पर्यटक यहां ट्रेकिंग (लंबी पैदल यात्रा) और रॉक क्लाइंबिंग (चट्टानों की चढ़ाई) का आनंद ले सकते हैं। सुंदर धुंगा ट्रेक, पिण्डारी ग्लेशियर ट्रेक और मिलम ग्लेशियर ट्रेक का शुमार भारत के सबसे अच्छे ट्रेकिंग रूट में होता है। यह जगह हिंदू धर्म के एक त्योहार मकर संक्रांति को मनाने के लिए भी जाना जाता है, जिसे यहां उत्तरायनी कहते हैं।
कौसानी कैसे जाएं
देश के अलग-अलग हिस्सों से हवाई, रेल और सड़क मार्ग से कौसानी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है। यह भारत के अन्य शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। कौसानी का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। काठगोदाम लखनऊ, दिल्ली और हावड़ा जैसे शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है। कौसानी बस स्टेशन भी कई शहरों से सीधे जुड़ा हुआ है।
कौसानी जाने का सबसे अच्छा समय
ज्यादातर पर्यटक अप्रैल से जून के बीच में कौसानी घूमने आते हैं, क्योंकि इस समय यहां का मौसम काफी खुशगवार रहता है।