उदयपुर को पहले मर्कुल या मर्गुल कहा जाता था। फिर 1695 में चंबा के राजा उदय सिंह ने इसका नाम उदयपुर रखा। हिमाचल के केलांग से 53 कि.मी दूर उदयपुर , सुन्दर पर्यटक स्थान है। समुंदरी तट से 2523 मीटर ऊँचा उदयपुर मैयूर नुल्लाह चौराहे के पास है।
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गेमुर मठ लग - भग 700 साल पुराना है और यह केलांग से 18 कि.मी दूर है। यह स्थान गेमुर गाँव से 600-700 गज दूर, भगा घाटी में है। इस धार्मिक स्थल का प्रमुख आकर्षण है 11वीं सदी की बनी देवी मरीचि और देवी वज्रावरही की मूर्तियाँ। कहा जाता है कि इनका उद्गम हिन्दू...
शासुर का अर्थ है नीला देवदार। शासुर मठ का निर्माण 17वीं सदी में भूटान के राजा नावंग नामग्याल के धर्म प्रचारक जन्स्कर के लामा देव ग्यात्शो ने किया था। शासुर केलांग से 3 कि.मी दूर है। यह मठ नीले देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है और यह प्रसिद्ध पर्यटक स्थल ...
तांदी , हिमाचल के केलांग में एक छोटा सा गाँव है, जो केलांग से केवल 8 कि.मी दूर है। 2573 मीटर कि ऊंचाई पर स्थित इस गाँव में चंदा और भंगा नदियों का संगम होता है। इस स्थान को लेकर कई पौराणिक कहानियां मौजूद है। कहा जाता है कि राजा राणा चाँद राम ने इस स्थान की स्थापना...
केलांग में कई सैलानी फिशिंग करने आते हैं। सैलानी जिस्प और सिस्सू में मछली पकड़ने का आनंद उठा सकते हैं।
केलांग की बर्फ से ढक्की ढलानों पर सैलानी स्कींग खेल सकते हैं। स्कींग के लिए यहाँ किराये पर स्कींग उपकरण और स्कींग गाइड उपलब्ध होते है। सुम्नाम ढलान सब से प्रसिद्ध और लम्बी ढलान है जो लग भग 6.5 कि.मी लम्बी है। कर्दंग ढलान, गोंधल ढलान और त्रिलोकनाथ ढलान यहाँ कि अन्य...
केलांग के उबड़ खाबड़ रास्ते जीप सफारी को और भी रोमांचक बनाते हैं। इसकी शुरुवात केलांग से कर के आप लेह, काजा, मनाली, उदैपुर, किलारंद, टोमो रीरी तक जा सकते हैं।यह यहाँ का काफी पसंदीदा सपोर्ट है|
केलांग में पैराग्लाईडिंग काफी लोकप्रिय है। यह जून से लेकर सितम्बर तक उपलब्ध है और सैलानी इसे काफी पसंद करते हैं। रोहतांग पास जिसे केलांग का प्रवेश द्वारा कहा जाता है, यहाँ पैराग्लाईडिंग के लिए उपयुक्त सुविधाएँ उपलब्ध है। शुरुवाती दौर में आप चाहे तो छोटा सा...
हिमाचल के केलांग से केवल 5 कि.मी दूर कर्दंग मठ काफी प्राचीन गोम्पा है। यह प्राचीन गोम्पा भगा नदी के किनारे, 3500 मीटर की ऊंचाई पर है। यह लग भग 900 साल पुराना है और यह मठ बुद्धियों के द्रुप कग्युद्ध स्कूल के अंतर्गत है। 12 वी सदी में बने इस...
सिस्सू एक छोटा सा गाँव है, जो हिमाचल के केलांग में है। यह चन्द्र नदी के किनारे स्थिर समुद्री तट से 3100 मीटर की ऊंचाई पर है। सड़क के दोनों ओर लगाये गए नम्रा और पीपल के पेड़ इतने घने है कि सूरज की रोशनी भी इनमें प्रवेश नहीं कर पाती। ये सारी खूबियाँ इसे...
केलौंग में खरीदने के लिए आप को कई चीज़े मिलेंगी। लोग यहाँ गलीचे, ट्वीड, जूते, शाल, जैतून और बादाम का तेल, धातु शिल्प, चाँदी के गहने, बांस के उत्पादन, ऊनी जैकेट और स्वेटर खरीदने आते हैं।
यह धार्मिक और प्राचीन मठ हिमाचल के केलांग से 6 कि.मी दूर है। समुंदरी तट से 3900 मीटर ऊँचा सतिन्ग्री गाँव का यह मठ केलांग का सब से प्राचीन मठ है।इस मठ का निर्माण खाम शेत्र के ड़ोग्पा लामा, सेर्ज़ंग रिन्चन ने17 वी सदी में किया था।
तिब्बती में...
गुरु घंटाल मठ की स्थापना गुरु पद्मसंभव ने 8 वी सदी में की थी। इसे घंढोल मठ भी कहा जाता है। केलांग से 8 कि.मी दूर लाहौल जिले में स्थित यह मठ सब से प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थान है। मठ में बनी लकड़ी की मूर्तियाँ मठ के प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। मठ की निर्माण शैली...
राफ्टिंग का मज़ा लेने देश भर से कई लोग केलांग आते हैं। दारचा - जिस्प रूट और केलांग लेह रोड यहाँ के प्रसिद्ध राफ्टिंग रूट्स है।
केलांग में कैम्पिंग काफी लोकप्रिय है। यहाँ के टूर ओपरेटर से आप को कैम्पिंग उपकरण और लोकल गाईड मिल जाएँगे। धर्चा, जिस्प, गेमुर, तांदी , कोकसर और सिस्सू यहाँ के प्रसिद कैम्पिंग स्थल हैं।