समुंदरी तट से 3350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, हिमालय का यह ख़ूबसूरत शहर केलांग "मठों की भूमि" के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ कई पर्यटक स्थल है और यह लाहौल और स्पीति जिलों का मुख्यालय है। केलांग की प्रशंसा में जाने माने लेखक रुडयाड किप्लिंग ने यह कहा कि "यहाँ भगवन वास करते है, इंसानों के लिए यहाँ कोई स्थान नहीं"। ऊँची ऊँची पहाड़ियां और वादियों पर छाई हरियाली मन को आनंदित करती हैं।
केलांग में आप कई बौद्ध धार्मिक स्थल देखेगे, जो अपनी निर्माण शैली और इनमे छिपे इतिहस के लिए प्रसिद्ध है । कर्दंग और शासुर यहाँ के दो प्रसिद्ध मठ है। कर्दंग मठ लग भग 900 साल पुराना और 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जब कि शासुर मठ का निर्माण भूटान के राजा नावंग नाग्याल के धर्म प्रचारक ज़न्स्कार के लामा देवा ग्यात्शो ने 17 वी सदी में किया था। इनके आलावा गुरु घंटाल मठ, तायुल मठ, और गेमुर यहाँ के प्रसिद्ध मठ है।
तांदी, सिस्सू और उदैपुर केलांग के विशिष्ट स्थान है। सिस्सू चन्द्र नदी के किनारे स्थित छोटा सा गाँव है जो अपने पर्यटक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। पतझड़ और वसंत रुतु में यहाँ कलहंस और बतखे पाई जाती हैं। जब कि उदैपुर अपने दो मंदिरों त्रिलोकिनाथ मंदिर और मर्कूला मंदिर के लिए प्रसिद्ध है । पर्यटक केलांग केवल धार्मिक स्थानों के दर्शन करने ही नहीं आते, बलकी यहाँ खेले जाते कई ऐडवेंचर स्पोर्ट्स जैसे ट्रैकिंग, फिशिंग, जीप सफारी कैम्पिंग,का मज़ा लेने भी आते हैं।
यात्री यहाँ रोड मार्ग, रेल मार्ग या हवाई मार्ग द्वारा आ सकते हैं। भुंटूर हवाई अड्डा केलांग के लिए सब से नज़दीकी हवाई अड्डा है जो केवल १६५ कि.मी की दूरी पर है। यहाँ से भारत के कई प्रमुख शहर जैसे दिल्ली, मुंबई के लिए उड़ानों की सेवा उपलब्ध है। जोगिन्दर रेलवे स्टेशन यहाँ का सब से नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो केवल 280 कि.मी दूर है। यात्री किसी सरकारी या निजी बस द्वारा मनाली होते केलांग पहुँच सकते हैं।
केलांग में गर्मियां मई से लेकर अक्टूबर तक रहती है। और यह केलांग घुमने का सबसे बेहतरीन समय है।