राजधानी भुवनेश्वर से 65 किमी की दूरी पर स्थित कोणार्क आश्चर्यजनक इमारतों और प्राकृतिक सुन्दरता वाला खूबसूरत शहर है। बंगाल की खाड़ी से लगा इस छोटे से शहर में भारत के खूबसूरत वास्तुकला के ज्यादातर जादुई भाग समाहित हैं। कोणार्क ओडिशा के मन्दिर वास्तुकला को प्रदर्शित करता है। कोणार्क की सुन्दरता पत्थरों में संजोई गई है और अक्सर कहा जाता है कि यहाँ पत्थरों की भाषा मानव भाषा को हरा देती है। कोणार्क के शानदार इमारतें अपने धार्मिक महत्व के कारण भी मशहूर हैं।
कोणार्क और इसके आसपास के पर्यटक स्थल
कोणार्क पर्यटन बहुआयामी आकर्षणों को प्रस्तुत करता है जो विश्व भर के पर्यटकों को लुभाता है। यह शहर सूर्य मन्दिर के नायाब वास्तुकला के कारण प्रसिद्ध है। वास्तव में कोणार्क नाम संस्कृत के कोण और अर्क शब्द से मिलकर बना है जिनका क्रमशः अर्थ होता है कोण और सूर्य, जैसेकि यह शानदार मन्दिर भगवान सूर्य को समर्पित है।
सूर्य मन्दिर परिसर में मायादेवी मन्दिर और वैश्णव मन्दिर भी हैं जो पर्यटकों में काफी लोकप्रिय हैं। आप प्रसिद्ध कोणार्क के कई मन्दिरों की मन्त्रमुग्ध कर देने वाली सुन्दरता का आनन्द ले सकते हैं। रामचण्डी मन्दिर कोणार्क की इष्टदेवी को समर्पित है। रामचण्डी भी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थान है।
कुरुमा नाम का मठ खुदाई में मिले अचम्भित मुद्रा में बुद्ध के कारण विशेष रूप से आकर्षक है। प्राची नदी के तट पर स्थित काकतापुर मंगला मन्दिर अपने लोकप्रिय झामू यात्रा महोत्सव के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है।
देवी माता की अनोखी मूर्ति के कारण चौरासी का बाराही मन्दिर प्रसिद्ध है। अस्तरंग में सूर्यास्त के समय क्षितिज का सम्पूर्ण परिदृश्य देखते ही बनता है।
कोणार्क मठ भी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थान है। वृहद ईमारतों और धार्मिक आकर्षणों के अतिरिक्त कोणार्क में पर्यटकों को मोहने के लिये चन्द्रभागा समुद्र तट भी है। भारतीय पुरातत्व विभाग का संग्रहालय भी पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र है। इसमें सूर्य मन्दिर परिसर से एकत्र किये गये कई असाधारण अवशेषों के संग्रह हैं।
कोणार्क – वर्तमान और अतीत का मिलन
कोणार्क पर्यटन ऐसे स्थान का अनुभव कराता है जहाँ पर वर्तमान अतीत से मिलता प्रतीत होता है। जहाँ एक ओर ऐतिहासिक इमारतें और सदियों पुराने मन्दिर आपकी साँसे थाम देते हैं वहीं समुद्रतट और कोणार्क का रंगबिरंगा सामाजिक जीवन इस स्थान के लिये आकर्षित करता है।
कोणार्क – रंगीन दृश्यों और ध्वनियों की मृगमरीचिका
कोणार्क पर्यटकों को हर्षित करने वाला है। यहाँ मनाये जाने वाले त्यौहारों के कारण यह शहर दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। 1 से 5 दिसम्बर के बीच आयोजित होने वाला कोणार्क नृत्य महोत्सव देश के सबसे मशहूर नृत्य महोत्सवों में से एक है। यह मन को प्रसन्न कर देने वाले ओड़िसी, भरतनाट्यम, कथक, कुचीपुड़ी और स्थानीय छाऊ कुछ प्राचीन नृत्य कलाओं को प्रदर्शित करता है।
शिल्प मेला कोणार्क पर्यटन का प्रमुख आकर्षण है। पेटू लोग यहाँ पर लजीज पकवानों का आनन्द ले सकते हैं। फरवरी के महीने में आयोजित होने वाला माघ सप्तमी मेला या चन्द्रभागा मेला भी बहुत जोर-शोर से मनाया जाता है।
कोणार्क में खरीददारी लोगों को पसन्द आती है। यहाँ का रंगीन कुटीर उद्योग गोटे के काम वाली छतरियाँ, झोले और अन्य वस्तुयें यादगार के रूप में उपलब्ध कराता है। हिन्दू देवी-देवताओं के चित्र, लकड़ी, पत्थर और सींग से बने सजावटी समान और पट्टा की चित्रकारी खरीदने वाली कुछ अन्य लोकप्रिय वस्तुयें हैं।
कोणार्क आने के सर्वोत्तम समय
कोणार्क आने के सर्वोत्तम समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है जब सर्दियों का तापमान घूमने फिरने के लिये सुहावना होता है।
कोणार्क कैसे पहुँचें
एक प्रमुख पर्यटक स्थल होने के कारण कोणार्क वायु, रेल तथा सड़क मार्गों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। विमानों से आने वाले लोगों के लिये भुवनेश्वर हवाईअड्डा प्रवेशद्वार है। पुरी और भुवनेश्वर के रेलवेस्टेशन और सड़कें देश के सभी छोटे-बड़े शहरों से कोणार्क को अच्छी तरह से जोड़ते हैं।