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कोटागिरी -  पहाड़ियां जो सुनती हैं

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नीलगिरी जिले में स्थित कोटागिरी को एक प्रमुख हिल स्टेशन होने के नाते इसे कुन्नूर व ऊटी की श्रेणी में रखा जा सकता है। यह तीनों में कई मामलों में सबसे पीछे है,लेकिन खूबसूरत वातावरण के मामले में सबसे पीछे नहीं है। यहीं से ईसाई मिशनरी के पुत्र, राल्फ थामस हाचकिन ग्रिफिथ, नें वेदों के अनुवाद का शुभारम्भ किया था।

हिल स्टेशन, समुद्र तल से 1793 मीटर की शानदार ऊंचाई पर स्थित है, और ट्रैकिंग अभियानों के लिए एक बेहतर स्थान है। यहां इसी तरह के और भी बहुत से ट्रैकिंग स्थल नीलगिरी के कई अन्य भागों में बसे हुए हैं। तथा जहां मानवीय सभ्यता अभी भी नहीं पहुंची हैं।

कोटागिरी तथा इसके आस-पास के पर्यटन स्थल

यहां स्थित कुछ लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्गों में कोटागिरी- सेंट कैथरीन फाल्स मार्ग, कोटागिरी- कोडानाड मार्ग तथा कोटागिरी- लांगवुड शोला मार्ग सम्मलित हैं। यहां इनके बीच में बहुत से छोटे-छोटे अन्य मार्ग भी हैं,जो पहाड़ियों तथा घास के मैदानों से होकर गुजरते ट्रैकर्स को नीलगिरी की सुन्दर झलक देखने का बेहतर अवसर प्रदान करते हैं।

इस जगह के आस-पास देखने लायक मुख्य स्थानों में रंगास्वामी स्तम्भ और शिखर, कोडानाड व्यू प्वाइंट, कैथरीन वाटर फाल्स, जान सुलिवन मेमोरियल, नीलगिरीस संग्रहालय, नेहरू पार्क, स्नोडेन चोटी शामिल हैं।

कोटागिरी के पर्वत

कोटागिरी का अंग्रेजों के यहां स्थापित ब्रिटिश उपनिवेश से पूर्व का कोई इतिहास नहीं है, फिर भी यह हिल स्टेशन बहुत पुराना है। कोटागिरी का मतलब है “कोटा के पहाड़”। कोटा दरअसल शिल्पियों की एक जनजाति है जो कोटागिरी में सदियों से निवास कर रही है। वे बाहरी लोगों से सम्पर्क के अनिच्छुक रहते हैं, तथा उनकी संख्या पिछले कई वर्षों से घटती जा रही है। पिछली बार की गई गणना के अनुसार उनकी संख्या केवल हजारों में थी।

कोटागिरी कैसे पहुंचें

कोटागिरी सड़क व रेल मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है।

कोटागिरी की यात्रा का सर्वश्रेष्ठ समय

इस स्थान की यात्रा का सबसे बेहतर समय गर्मियों का मौसम है।

 

कोटागिरी इसलिए है प्रसिद्ध

कोटागिरी मौसम

घूमने का सही मौसम कोटागिरी

  • Jan
  • Feb
  • Mar
  • Apr
  • May
  • Jun
  • July
  • Aug
  • Sep
  • Oct
  • Nov
  • Dec

कैसे पहुंचें कोटागिरी

  • सड़क मार्ग
    अगर कोई कोटागिरी जाना चाहता है, तो सड़क मार्ग द्वारा यहां पहुंचना सबसे बेहतर तरीका है। मैदानीं भाग से शुरू करते हुए, किसी भी वाहन द्वारा कुन्नूर पहुंचना बेहद आसान है। कोटागिरी घाट मार्ग, जो मैदानीं इलाके से नीलगिरी के लिए सबसे पुराना ज्ञात मार्ग है, सबसे बढ़िया रहता है। मुत्तुपलायम से इस रूट पर आकर, आप अरावेनु होते हुए कोटागिरी पहुंच सकते हैं। इस मार्ग द्वारा मुतुपलायम से कोटागिरी की दूरी मात्र 33 किलोमीटर है। यह तथ्य के रोड बहुत अच्छी बनी हुई है, केवल इस अपील को बढ़ाती है।
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  • ट्रेन द्वारा
    कोटागिरी के लिए कोई प्रत्यक्ष रेलमार्ग उपलब्ध नहीं है। सबसे नजदीकी रेलमार्ग मुत्तुपलायम से कुन्नूर का है, जो आगे ऊटी तक जाता है। यदि कोई रेलमार्ग से यात्रा करना चाहता है, तो सबसे अच्छा विकल्प है कि देश के किसी भी स्थान से रेल द्वारा कोटम्बटूर तक पहुंचा जाए, फिर वहां से मुत्तुपलायम पहुंचें। उसके बाद नीलगिरी माउंटेन रेलवे से कुन्नूर पहुंचा जा सकता है। कुन्नूर पहुंचने के बाद, आपको बस लेनी होगी या कोटागिरी के लिए कैब की सुविधा ले सकते हैं, जो नजदीक ही उपलब्ध रहती हैं।
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  • एयर द्वारा
    कोटागिरी का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कोयम्बटूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। पहले आप कोयम्बटूर तक फ्लाइट लें, उसके बाद वहां से या तो कोटागिरी घाट होते हुए कोटागिरी तक पहुंचा जा सकता है, अथवा कोयम्बटूर से कुन्नूर पहुंचकर, फिर वहां से डायवर्ट होकर कोटागिरी पहुंचा जा सकता है।
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