कोवलम, केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम (जिसे पहले त्रिवेंद्रम कहा जाता था) के पास समुद्र के तट पर स्थित एक जाना-माना शहर है। यह शहर शक्तिशाली अरब सागर का सामना करता हुआ यहाँ स्थित है। यह समुद्र तट(बीच) तिरुवनंतपुरम के मुख्य शहर से ज्यादा दूर नहीं है। शहर के केंद्र से आपको इस सुरम्य और मनोहारी समुद्र तट(बीच) तक पहुँचने के लिए १६ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।
'कोवलम' मलयालम भाषा से लिया गया एक शब्द है जिसका मतलब है कि 'नारियल के पेड़ों का झाड़-झंखाड़ की तरह उगना। यह नाम इस शहर के लिए बहुत उपयुक्त है क्योंकि यहाँ नारियल के पेड़ों के छोटे-छोटे जंगल(कुंज) बहुतायत मिलते हैं। जैसे कश्मीर को इस ‘धरती का स्वर्ग’ कहा जाता है उसी तरह को कोवलम को भी 'दक्षिण के स्वर्ग' के रूप में जाना जाता है।
कोवलम की सांस्कृतिक विरासत
इस क्षेत्र से जुड़े हुए इतिहास के कारण, इतिहास के प्रति उत्साह रखने वाले लोगों ने कोवलम के इस शहर के चारों तरफ भीड़ लगा रखी है। ऐसा माना जाता है कि कोवलम को पहली बार तब महत्व मिला जब ट्रावनकोर की शासक, महारानी सेतु लक्ष्मी बाई ने १९२० में किसी समय अपने लिए इस शहर में एक बीच रिसोर्ट का निर्माण करवाया था। यह बीच रिसोर्ट कोवलम में अभी भी मौजूद है और इसे हेल्सिऑन कैसल कहा जाता है।
कोवलम ने एक बार फिर से प्रसिद्धि प्राप्त की जब ट्रावनकोर के महाराजा, जो कि महारानी के भतीजे थे, इस समुद्र तटीय शहर का नियमित दौरा करने लगे और और स्थानीय कला और शिल्प के संरक्षक बन गए। इस शहर ने काफी लोकप्रियता हासिल की जिसके लिए ट्रावनकोर साम्राज्य के यूरोपियन मेहमानों को धन्यवाद। 1930 के दशक तक इस शहर ने अपने आप को यूरोपीय देशों से आने वाले पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय समुद्र तटीय स्थान के रूप में स्थापित कर लिया था।
कोवलम ने 1970 के दशक के दौरान दुनिया के इतिहास का एक महत्वपूर्ण चरण देखा जब हिप्पियों ने इसे अपनी गतिविधि का केंद्र बनाने का फैसला किया। हिप्पी ट्रेल के भाग के रूप में बहुत से हिप्पी कोवलम पहुंचे जो कि श्रीलंका में स्थित सीलोन तक जाने के लिए उनके रास्ते में पड़ता था। अचानक यह स्थान निष्क्रिय मछली पकड़ने वाले गाँव से एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र में तब्दील हो गया। अब तो बहुत से ऐसे यूरोपियन और इज़रायली पर्यटक हैं जो हर साल या हर दूसरे साल यहाँ घूमने आते हैं।
समुद्र तटों का शहर - कोवलम के आस पास के स्थान
इस शहर का शानदार नैसर्गिक सौंदर्य इसके समुद्र तटों में निहित है। जब आप धीमी गति से बढ़ती हुई लहरों के पास गर्म रेत पर टहलते हैं तो ऐसा अनुभव पूरी जिन्दगी में एक ही बार होता है। जब आप कोवलम के समुद्र तटों का दौरा करेंगे तब आप इस लाइन को “एक खूबसूरत बात जिंदगी को आनन्द से भर देती है” बेहतर समझ पाएँगे। वास्तव में प्रचुर हरियाली और शांत नीले रंग का ख़ूबसूरत संयोग दिल को प्रफुल्लित करने के लिए काफी है।
कोवलम में तीन मुख्य बीच हैं, और इन बीचों पर जाने का सबसे सही समय, सुबह भोर में या देर शाम को है, क्योंकि इस समय आप उगते हुए या ढलते हुए सूरज का खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। कोवलम के इन बीचों की एक ख़ास बात, यहाँ पाई जाने वाली रेत का रंग है। रेत हल्के काले रंग की है। रेत की इस विशिष्ठता का कारण इसमें उपस्थित मोनाज़ाईट और इल्मेनाईट को माना जाता है।
ये तीनों बीच एक दूसरे के आजू-बाजू स्थित हैं और साथ-साथ चलते हैं और समुद्र के तट का लगभग 17 किलोमीटर का क्षेत्र कवर करते हैं। ये तीनों बीच विशालकाय चट्टानों द्वारा एक दूसरे से अलग हैं। एक बीच से दूसरे बीच पर उछलते-कूदते वक्त हर किसी को बहुत सावधान रहने की जरूरत होती है क्योंकि चट्टानें बेहद फिसलन भरी हैं और एक गलत कदम आपकी छुट्टियाँ खराब कर सकता है। ये तीन बीच हैं- लाइटहाउस बीच, हवाह बीच और समुद्र बीच। जब आप कोवलम में हों तब आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप तीनों बीचों की यात्रा करें क्योंकि तीनों बीच अपनी अलग प्राकृतिक सुंदरता को प्रस्तुत करते हैं।
तीनों बीचों में से लाइटहाउस बीच सबसे बड़ा माना जाता है इसका नाम ‘लाइटहाउस’, कुरुम्कल पहाड़ी पर कुछ 35 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक लाइटहाउस के कारण है। हवाह बीच दूसरा सबसे बड़ा समुद्र तट है, इसका यह नाम यहाँ ज्यादातर की जाने वाली टॉपलेस् सन् बाथिंग के कारण पड़ा। इस बीच पर विशेषतः यूरोपियन महिलाएँ टॉपलेस् देखी जा सकती हैं। दिलचस्प बात यह है कि, हवाह बीच भारत का पहला और अकेला टॉपलेस् बीच था, हालाँकि अब इस बीच पर बिना कपड़ों के सन् बाथिंग पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। केवल निजी रिसॉर्ट्स ही टॉपलेस् सन् बाथिंग की अनुमति प्रदान करते हैं या इस उद्देश्य के लिए रिसोर्ट्स के स्वामित्व वाली ‘कोव’(छोटी खाड़ी जैसी संरचना) उपयोग में लाई जाती है जो सामान्य जनता के लिए खुली नहीं होती। लाइटहाउस बीच और हवाह बीच पर पर्यटक ज्यादा संख्या में आते हैं।
‘समुद्र’ बीच समुद्र तट के उत्तरी भाग में स्थित है। इस बीच का यह नाम बोलचाल की भाषा का एक शब्द है, जो यहाँ हर साल आने वाले लोगों ने इसके लिए चुना है। दुर्भाग्यवश दूसरे बीचों की तरह यहाँ ज्यादा गतिविधियाँ नहीं होतीं। यह एक कारण है कि स्थानीय मछुआरे तट के इस किनारे पर मछली पकड़ना पसंद करते है।
इन तीन बीचों के अलावा यहाँ एक और समुद्र तट है जो कि कोवलम बीच का ही एक हिस्सा है, अशोका बीच। समुद्र बीच की ही तरह पर्यटक यहाँ भी भीड़ नहीं लगाते। आपको मुख्य रूप से हनीमून मनाने आए कपल मिलेंगे जो कुछ निजी पलों की खोज में इस बीच पर आपको टहलते हुए मिल जाएंगे।
ये समुद्र तट सितंबर से मई तक बहुत सी पर्यटन गतिविधियां देखते हैं।