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होम » स्थल » कुमाऊं » आकर्षण
  • 01कफनी ग्लेशियर

    कफनी ग्लेशियर

    कुमाऊं हिमायल पर 3810 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कफनी ग्लेशियर नंदा देवी से दक्षिण-पूर्व में है। इस ग्लेशियर से निकलने वाली कफनी नदी पिण्डारी की सहायक नदी है। पिण्डारी नदी अलकनंदा की सहायक नदी है और अलकनंदा नदी आगे चल कर गंगा से मिल जाती है।

    कफनी ग्लेशियर से...

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  • 02पिण्डारी ग्लेशियर

    पिण्डारी ग्लेशियर

    पिण्डारी ग्लेशियर बागेश्वर जिले में नंदा देवी और नंदाकोट की चोटियों के बीच स्थित है। 5 किमी लंबी यह ग्लेशियर 3627 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पिण्डारी नदी का उद्गम इसी ग्लेशियर से होता है। यह नदी कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिल जाती है। पिण्डारी ग्लेशियर के लिए...

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  • 03मिलम ग्लेशियर

    मिलम ग्लेशियर

    मिलम ग्लेशियर हिमालय पर्वत की श्रृंखलाओं में स्थित है। इसकी ऊंचाई 5500 मीटर से 3870 मीटर के बीच है। 37 स्क्वायर किमी में फैला यह ग्लेशियर कुमाऊं क्षेत्र का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। मिलम ग्लेशियर गौरीगंगा नदी का स्रोत भी है, जो कि काली नदी की सहायक नदी है। ग्लेशियर...

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  • 04नानकमत्ता

    नानकमत्ता

    नानकमत्ता एक ऐतिहासिक शहर है, जो देवहा जल धारा के किनारे बसा हुआ है। यह सिखों के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थानों में से एक है। यहां एक गुरुद्वारा भी है जिसका नाम गुरुद्वारा नानक माता साहिब है। ऐसी मान्यता है कि सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव ने सन् 1515 में कैलाश पर्वत...

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  • 05पंचाचूली ग्लेशियर

    पंचाचूली ग्लेशियर

    पंचाचूली ग्लेशियर पिथौरागढ़ जिले में है। कुमाऊं के पूर्वी भाग में स्थित यह ग्लेशियर बर्फ से ढके पर्वतों के समूह से बना है। यह इस क्षेत्र के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। सोबला बस टर्मिनल से इस ग्लेशियर तक पहुंचने के लिए 40 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। सोबला...

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  • 06सुंदरधुंगा ग्लेशियर

    सुंदरधुंगा ग्लेशियर

    सुंदरधुंगा ग्लेशियर पिण्डारी घाटी के पश्चिमी भाग में स्थित है। सुंदरधुंगा का अर्थ होता है खूबसूरत पत्थरों की घाटी, जिसका निर्माण संभवत: ग्लेशियर के बर्फ के शिलाखंडों से हुआ होगा। सुंदरधुंगा में मटकोटी और सुखराम नामक दो अन्य ग्लेशियर भी हैं, जो थारकोट, मृगथुनी और...

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  • 07मीठा रीठा साहिब

    मीठा रीठा साहिब

    सिख धर्मावलंबियों का तीर्थ स्थान मीठा रीठा साहब का निर्माण 1960 में किया गया था। ऐसी मान्यता है कि गुरू नानक गोरखपंथी जोगी से धार्मिक और अध्यात्मिक चर्चा के लिए यहां आए थे। रतिया और लोधिया नदी के संगम पर बसी यह जगह एक खास तरह के मीठे रीठा फल के पेड़ों के लिए भी...

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  • 08अब्बोट माउंट

    अब्बोट माउंट

    इस जगह का नामकरण एक ब्रिटिश व्यवसायी जॉन हारोल्ड अब्बोट के नाम पर किया गया था। यहां से बर्फ से ढके हिमालय पर्वत का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। इनकी पहाड़ियों पर 13 निजी बंगले हैं, जो ब्रिटिश शासन काल में बनाए गए थे। इनमें से एक बंगला शाहबलूत और देवदार के घने...

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