कुर्नूल आंध्र प्रदेश की एक प्रशासनिक ईकाई है। राज्य के सबसे बड़े शहरों में से एक कुर्नूल सातवां सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर भी है। हंद्री और तुंगभंद्रा नदी के किनारे स्थित कुर्नूल 1953 से 1956 तक आंध्र प्रदेश की राजधानी भी था। राज्य की राजधानी हैदराबाद से 250 किमी दूर स्थित कुर्नूल आंध्र प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है।
इसे रायलसीमा का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है, क्योंकि अगर आप हैदराबाद से कड़प्पा चित्तौर या अनंतपुर जाना चाहें तो आपको कुर्नूल से होकर ही जाना होगा। यहां की मेहमान नवाजी और शहर की चमक दमक के कारण घूमना एक अच्छा अनुभव साबित होगा। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और पारंपरिक इतिहास के कारण आज कुर्नूल एक चर्चित पर्यटन स्थल बन गया है।
कुर्नूल और आसपास के पर्यटन स्थल
अगर आपको प्रचीन इमारत और ऐतिहासिक स्मारकों में दिलचस्पी है तो कुर्नूल जरूर जाइए। विजयनगर राजाओं द्वारा मध्ययुगीन काल में बनवाए गए किले के खंडहर आज भी देखे जा सकते हैं और इनमें अरबी और फारसी के शिलालेख लिखे हुए हैं। यहां का कोंडा रेड्डी बुरुजू और अब्दुल वहाब का मकबरा पर्यटकों को काफी लुभाता है।
कुर्नूल राजाओं के गर्मियों का स्थान, बाढ़ रोकने के लिए बनाई गई दीवार और पेटा अजान्यस्वामी मंदिर, नागारेश्वरस्वामी मंदिर, वेनुगोपालस्वामी मंदिर व शिरडी साई बाबा मंदिर को देखना एक यादगार अनुभव साबित होगा। कुर्नूल में नवंबर और दिसंबर में कार उत्सव का भी आयोजन किया जाता है। आठ दिन तक चलने वाला यह उत्सव श्री अजान्यस्वामी को समर्पित होता है।
इतिहास
कुर्नूल शब्द की उत्पत्ति कंडनवोलू से हुई है। प्रचीन साहित्य और शिलालेख से पता चलता है कि कंडनवोलू इस स्थान का तेलुगू नाम है। कुर्नूल का इतिहास एक हजार साल पुराना है। यहां से 18 किमी दूर स्थित केटावरम में पाए गए रॉक पेंटिंग्स का संबंध पषाण काल से है। यहां के जुरेरू वैली, कतावाणी कुंता और योगंती में पाई गई चट्टान कलाएं करीब 35000 से 40000 साल पुरानी है।
एक चीनी यात्री झुआनजंग ने लिखा है कि जब उन्होंने मध्ययुगीलन काल में कराची की यात्र की थी तो कुर्नूल को पार किया था। सातवीं शताब्दी के दौरान कुर्नूल बीजापुर सल्तनत के अंतर्गत था। हालांकि इससे पहले यहां राजा श्री कृष्णदेवराया का शासन था। 1667 में यहां मुगलों ने अधिकार कर लिया और फिर बाद में आंध्र प्रदेश के कुर्नूल क्षेत्र पर नवाबों ने कब्जा जमा लिया।
बाद में नवाबों ने इसे स्वतंत्र घोषित कर दिया और फिर करीब 200 साल तक कुर्नूल पर स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में शासन किया। 18वीं शताब्दी में नवाबों और अंग्रेजों के बीच युद्ध भी हुए।
कैसे पहुंचें
कुर्नूल पहुंचने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है। यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट हैदराबाद का राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। एयपोर्ट से कुर्नूल पहुंचने में सड़क मार्ग से साढ़े तीन घंटे के आसपास का समय मिलता है। कुर्नूल में चार रेल्वे स्टेशन हैं। ये हैं- कुर्नूल टाउन, अदोनी, नंदयाला और धोने जंक्शन। इसके जरिए कुर्नूल भारत के प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। राज्य के विभिन्न शहरों के साथ-साथ बेंगलूरू और चेन्नई से बस सेवा भी उपलब्ध है।
कुर्नूल का मौसम
कुर्नूल में भीषण गर्मी पड़ती है। साथ ही यहां मुसलाधार वर्षा भी होती है। ऐसे में कुर्नूल घूमने का सबसे अच्छा मौसम बरसात के बाद का होता है। साथ ही आप ठंड के समय अक्टूबर से मार्च के बीच भी कुर्नूल घूमने जा सकते हैं। इस दौरान यहां का मौसम काफी खुशगवार रहता है और घूमना एक अच्छा अनुभव साबित होता है।