भोर साईदान एक छोटा सा गांव है जो कुरूक्षेत्र जिले के पहोवा ब्लॉक में स्थित है, यह स्थल पश्चिमी ओर में थानेसर जाने पर 13 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह भुरिरावा टैंक के लिए एक घर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी जगह पर भूरिरावा ने विश्वासघात करके...
शेख चिल्ली एक बहुश्रुत विद्वान, एक सम्मानित सूफी संत और एक आध्यात्मिक शिक्षक थे। मुग़ल बादशाह शाह जहां का बेटा दारा शिकोह शेख चिल्ली का शिष्य और एक प्रशंसक था बताया जाता है शेख चिल्ली से राजकुमार ने कई महत्त्वपूर्ण बातें सीखी।
शेख चिल्ली का मकबरा...
धरोहर हरियाणा संग्रहालय, हरियाणा की हरियाणवी लोक संस्कृति और विरासत का एक केंद्र है। यह केंद्र, दुिनया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। आज तक यहां लगभग 6 लाख पर्यटक कई देशों जैसे - जर्मनी, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नार्वे, रूस, चिली, मलेशिया, मॉरीशस,...
ओ. पी. जिंदल पार्क और म्यूजिकल फाउंटेन को ओ. पी. जिंदल के पुत्र नवीन जिंदल ने बनवाया है जो एक उद्योगपति है और संसद के सदस्य है। उन्होने इस पार्क को अपने पिता की स्मृति में बनवाया है जो अपनी मृत्यु 31 मार्च 2005 से पहले हरियाणा के बिजली...
यह मंदिर, महाभारत के पांडवों से जुड़ा है। यह मंदिर थानेश्वर के उत्तर में स्थित है। किंवदंतियों के अनुसार, पांडव भाईयों ने कौरवों के साथ अपनी अंतिम लड़ाई से पहले इसी मंदिर में तपस्या की थी। भद्रकाली मंदिर, मां काली को समर्पित है और यहां उनके कई रूपों...
गुरूद्वारा च्चेईविन पाटशाही करे सिक्खों के 6 वें गुरू श्री हरगोविंद की याद में बनवाया गया था। जो भी व्यक्ति उनके जीवन में बारे में जानता था उसे आश्चर्य होता है कि कैसे एक सशस्त्र योद्धा, गुरूनानक के वंश में उत्तराधिकारी हो सकता है।...
यह गुरूद्वारा, श्री गुरू अमरदास के साथ जुड़ा हुआ है जो यहां अपने परिवार के साथ सूर्यग्रहण के दौरान दौरे आएं थे। जब यह स्थल हिंदूओं का तीर्थस्थान था, तो यहां कर वसूल किया जाता था। सिक्खों ने इस स्थल पर कर देने से मना कर दिया था, हालांकि, बाद में...
सननिहित सरोवर को सात पावन सरस्वती का संगम माना जाता है। सननिहित शब्द का अर्थ होता है - इक्ट्ठा होना। इसका वास्तविक अर्थ यह है कि सननिहित में सात नदियों के पानी का शामिल है, विशेषकर अमावस्या और सूर्य ग्रहण के दौरान यहां स्नान किया जाता...
यह मंदिर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो अम्बाला रोड़ पर पहोवा से 6 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर, महाभारत के समय से सम्बंधित है, जो दो साधुओं विश्वामित्र और वशिष्ठ से जुडा हुआ है। यह तीर्थ स्थल इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है...
नाभि और कमल का अर्थ तो हम सभी जानते है, लेकिन इन दोनों ही नामों का एक दूसरे के साथ कोई तार्किक सम्बंध नहीं है। परन्तु जब भी भगवान ब्रह्मा के द्वारा इस सृष्टि की रचना पर बात उठती है तो उसके संदर्भ में इन दोनों को ही शामिल किया जाता है। शास्त्रों के...
ऐसा माना जाता है कि यहां मुगल शासकों के काल के दौरान, तीन टावरों वाली मस्जिद का निर्माण करवाया गया था। बाद में, सिक्खों ने इसका सरंक्षण किया और इसे गुरूद्वारा मस्तगढ में परिवर्तित कर दिया।
भीष्म कुंड, थानेसर में नरकाटारी में स्थित है जिसे भीष्मपितामह कुंड भी कहा जाता है। महाभारत के अनुसार, भीष्मपितामह, पांडवों और कौरवो के लिए श्रद्धेय थे, लेकिन महाभारत के युद्ध में उन्होने कौरवों का साथ दिया था। शास्त्रों के अनुसार,...
सरस्वती फॉरेस्ट रिर्जव, कुरूक्षेत्र में स्थित एक बडा आरक्षित वन क्षेत्र है। इस वन में विविध वनस्पतियां और जीव है। देशी और प्रवासी पक्षियों के लिए यह रिर्जव फॉरेस्ट एक घर है। यह रिर्जव, पिकनिक मनाने और घूमने के लिए एक शांतिपूर्ण स्थल है।...
महादेव का दूसरा नाम भगवान शिवा भी है। स्थानेश्वर महादेव मंदिर, में भगवान शिव की शिवलिंग बनी हुई है और यह मंदिर, कुरूक्षेत्र के पवित्र स्थल थानेसर में बना हुआ है। यह मंदिर काफी प्राचीन है जो पांडवों के समय से ही अस्तित्व में है। इसी मंदिर में...
सरस्वती तीरथ एक विशाल टैंक का नाम है। ये कुरुक्षेत्र के पवित्र शहर पेहोवा से 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह टैंक धर्म की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है जो वैदिक काल में प्राचीन नदी के किनारे बनाया गया था। जैसा कि वामन पुराण और महाभारत में बताया जा चुका है...