Search
  • Follow NativePlanet
Share
होम » स्थल» कच्छ

कच्छ पर्यटन – भीतरी क्षेत्र में प्रवेश करें

21

संस्कृत में कच्छ शब्द का अर्थ होता है द्वीप। इसका सम्बन्ध उस तथ्य से है जब प्राचीन काल में कच्छ के रण अर्थात मरूस्थल, यहाँ से बहकर समुद्र में मिलने वाली सिन्धु नदी के कारण दब गये थे। इसके कारण ये मुख्य क्षेत्र से अलग हो गये और द्वीप की तरह छिछले पानी में डूब गये। 1819 में आये एक भूकम्प के कारण यहाँ का भौगोलिक परिदृश्य बदल गया और सिन्धु नदी पश्चिम की तरफ बहने लगी और रण नमकीन कणों के साथ विशाल मरूस्थल बन गया। रण लवण वाले सपाट दलदल बन गये और जब इनका पानी गर्मियों में सूख जाता है तो ये बर्फ की तरह सफेद दिखते हैं।

इतिहास

प्राचीन भारत में कच्छ की उपस्थिति को साबित करते हुये एक तथ्य मिलता है जिसमें कि खादिर नाम का कच्छ का एक द्वीप हड़प्पा की खुदाई में पाया गया था। कच्छ पर सिन्ध के राजपूत राजाओं का शासन था लेकिन बाद में जडेजा राजपूत राजा खेंगरजी के समय में भुज कच्छ की राजधानी बना। मुगलकाल में 1741 ई0 में लखपतजी-। कच्छ के राजा बने और उन्होनें प्रसिद्ध अजना महल को बनाने का आदेश दिया। लखपतजी लेखकों, नर्तकों और गायकों का सम्मान करते थे और उनके शासनकाल में कच्छ ने सांस्कृतिक रूप से खूब उन्नति की।

1815 ई0 में अंग्रेजों ने भुजियो डूँगर पहाड़ी पर कब्जा कर लिया और कच्छ अंग्रेजी जिला बन गया। ब्रिटिश शासन काल में ही कच्छ में प्राग महल, रंजीत विलास महल, माण्डवी का विजय विलास महल बनाये गये। भारत की स्वतन्त्रता पर भारत का भाग होने के पूर्व शाही राज्य होने का कारण इस दौरान यहाँ पर काफी विकास के कार्य हुये।

कच्छ और इसके आस-पास के पर्यटक स्थल

कच्छ के रण के बाहरी हिस्से में पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण बन्नी घास के मैदान पाये जाते हैं। दक्षिण में कच्छ की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर से घिरे कच्छ के उत्तरी और पूर्वी भाग में क्रमशः विशाल और छोटे रण पाये जाते हैं। ये रण दलदली क्षेत्र होते हैं। कच्छ के काण्डला और मुन्द्रा नाम के दो बन्दरगाह समुद्री मार्ग के लिये खाड़ी तथा यूरोपीय देशों के लिये निकट हैं।

सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली भाषा कच्छी है लेकिन कुछ हद तक गुजराती, हिन्दी और सिन्धी भी बोली जाती है। कच्छी भाषा की मूल लिपि लुप्त हो गई है इसलिये अब यह गुजराती लिपि में लिखी जाती है। कच्छ में कई समूह और समुदाय रहते हैं। पड़ोस के मेवाड़, सिन्ध, अफगानिस्तान क्षेत्रों से प्रावसी आकर कच्छ के मूल निवासियों के साथ घुल मिल गये और इन समूहों का निर्माण हुआ।

इस अद्भुत सांस्कृतिक विभिन्नता और कच्छ के रण के अनोखे भौगोलिक परिदृश्य का अनुभव करने के लिये गुजरात आने वाले लोगों को यहाँ अवश्य आना चाहिये।

कच्छ कैसे पहुँचें

कच्छ के लिये निकटतम हवाईअड्डा भुज हवाईअड्डा है। यह स्थान रेल तथा सड़क मार्गों से भी अच्छी तरह से जुड़ा है।

कच्छ आने का सर्वोत्तम समय

कच्छ आने का सबसे बढ़िया समय सर्दियों का मौसम है।

कच्छ इसलिए है प्रसिद्ध

कच्छ मौसम

घूमने का सही मौसम कच्छ

  • Jan
  • Feb
  • Mar
  • Apr
  • May
  • Jun
  • July
  • Aug
  • Sep
  • Oct
  • Nov
  • Dec

कैसे पहुंचें कच्छ

  • सड़क मार्ग
    कच्छ से विभिन्न स्थानों के लिये गुजरात राज्य परिवहन निगम (जीएसआरटीसी) की बसें उपलब्ध रहती हैं।
    दिशा खोजें
  • ट्रेन द्वारा
    कच्छ पहुँचने के लिये मुख्य प्रवेशद्वार भुज है। भुज स्टेशन अहमदाबाद के साथ-साथ गुजरात के विभिन्न शहरों से जुड़ा है और साथ ही नई दिल्ली तथा भारत के उत्तर-पश्चिमी और मध्य भागों से भी जुड़ा है।
    दिशा खोजें
  • एयर द्वारा
    कच्छ में भुज हवाईअड्डा ही प्रमुख हवाईअड्डा है। इस हवाईअड्डे से विभिन्न शहरों के लिये इन्डियन एयरलाइन्स, जेट एयरवेस, किंगफिशर और गो एयर आदि प्रमुख एयरलाइन्स की उड़ाने उपलब्ध हैं।
    दिशा खोजें
One Way
Return
From (Departure City)
To (Destination City)
Depart On
20 Apr,Sat
Return On
21 Apr,Sun
Travellers
1 Traveller(s)

Add Passenger

  • Adults(12+ YEARS)
    1
  • Childrens(2-12 YEARS)
    0
  • Infants(0-2 YEARS)
    0
Cabin Class
Economy

Choose a class

  • Economy
  • Business Class
  • Premium Economy
Check In
20 Apr,Sat
Check Out
21 Apr,Sun
Guests and Rooms
1 Person, 1 Room
Room 1
  • Guests
    2
Pickup Location
Drop Location
Depart On
20 Apr,Sat
Return On
21 Apr,Sun