लैंसडाउन के हरे भरे जंगलों के बीच, पहाड की चोटी पर बने इस सुन्दर आश्रम के पास बहती मालिनी नदी, इस आश्रम की सुंदरता को बढाते हैं। लैंसडाउन के प्रमुख आकर्षक स्थलों में से एक कंवाश्रम, उचित सुविधाओं के साथ ध्यान लगाने के लिए उत्तम स्थान है। कंवाश्रम के निकट...
गढवाली मैस, लैंसडाउन की प्राचीन विरासत है।1888 में अंग्रेजों द्वारा बनाई गई यह इमारत 1892 में मैस के रुप में परिवर्तित की गई। यह मैस भारतीय सैन्य की धरोहर का प्रतीक है, और आज एशिया के प्रमुख संग्रहालयों की श्रेणी में शामिल है। इस संग्रहालय में जंगली जानवर की खाल...
लैंसडाउन के माल रोड पर निर्मित सेंट जॉन चर्च धार्मिकता और वास्तुकला का जीता जागता उदाहरण है। लैंसडाउन की यह एक मात्र रोमन केथोलिक चर्च पहले एक फॉरेस्ट बंगला थी। सालों से बन्द इस चर्च को 29 नवंबर 1980 में फिर से खोला गया। 1936 में आगरा के डायोसीज के नेतत्व में इस...
लैंसडाउन आए सैलानियों में जंगल सफारी काफी लोकप्रिय है। बलूत और देवदार के जंगलों की प्राकृतिक हरियाली में सैलानी खो जाते हैं, और यहाँ पाए जाते विभिन्न प्रजातियों के वनस्पति और प्राणी इस यात्रा को और भी दिलचस्प बना देते हैं। साल के बारह महीने, यहाँ का वातावरण काफी...
विशिष्ट व्यक्तित्व वाले, दरबार सिंह नेगी के नाम पर नामित रेजिमेंटल संग्रहालय लैंसडाउन का सुप्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। वे भारत के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें अपनी वीरता के लिए प्रतिष्ठित विक्टोरिया क्रास प्राप्त हुआ। इस संग्रहालय का उद्घाटन 1983 में किया गया।...
सेंट मैरी चर्च, लैंसडाउन का विख्यात पर्यटक स्थल है।1895 में, रॉयल इंजीनियर्स के ए.हेच.बी ह्यूम ने इस चर्च का निर्माण किया। 1947 से, अप्रयुक्त इस चर्च को गढवाल रेजिमेंटल राइफल्स सेंटर ने संग्रहालय के रुप में परिवर्तित किया। इस संग्रहालय में सैलानी स्वाधीनता पूर्व...
लवर्स लेन, लैंसडाउन का प्रचलित पर्यटक स्थल है। लवर्स लेन इस क्षेत्र का सबसे बढिया ट्रेक रुट माना जाता है। ट्रेक के एक ओर, घटाटोप घाटी और हिमालय पर्वतमाला का अद्भुत दृश्य प्राप्त होगा। तो दूसरी ओर, बलूत और देवदार के पेड दिखाई देंगे।
लैंसडाउन का यह हवाघर ऐसा अनोखा स्थान है, जहाँ से बर्फीली पहाडियों का नजारा बहुत सुन्दर दिखाई देता है। इस स्थान की खूबसूरती किसी प्राकृति प्रेमी के लिए कोई उपहार से कम नहीं, सैलानी ट्रेक करते इस क्षेत्र के आस पास के प्रदेश को देख सकते हैं। जयहरिकल से लेकर खैबर पास...
लैंसडाउन के गाँधी चौक से 2 कि.मी दूर भीम पकोडा एक ऐतिहासिक स्थान है। किंवदंती अनुसार, हिन्दू महाकाव्य महाभारत के पौराणिक पात्र पांडव, अपने निर्वासन काल में यहीं खाना बनाते थे। कहते हैं कि, पाँच पांडवों में से एक भीम ने एक चट्टान पर दूसरी चट्टान स्थापित की। यह एक...
समुन्दरी तट से 2092 मीटर ऊँचाई पर स्थित, पहाड की चोटी पर बना तारकेश्वर महादेव मंदिर, लैंसडाउन का पवित्र धार्मिक स्थान है। हिन्दू भगवान शिव को अर्पित, इस मंदिर के दर्शन करने हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह मान्यता है कि, इस मंदिर में माँगी गई हर मन्नत भगवान...
सेंट मैरी चर्च के काफी करीब, पर्वतश्रेणी पर स्थित टिप-इन-टॉप यहाँ का प्रिय टूरिस्ट स्पॉट है। टिफिन टॉप के नाम से भी जाना जाता यह स्थान, बर्फीली पहाडियों का सुन्दर दृश्य प्रदान करता है। यहाँ से सैलानी तिब्बत की छोटी झलक प्राप्त कर पाएँगे।
लैंसडाउन से 25 कि.मी दूर स्थित विख्यात दुर्गा देवी मंदिर, गुफा के भीतर बना है। खोह नदी के किनारे बना यह मंदिर देवी दुर्गा को अर्पित है। मान्यता है कि, यह मंदिर देश के सबसे पुराने सिद्ध पिठों में से एक है।
बूल्ला तालाब, लैंसडाउन के प्रमुख आकर्षक स्थलों में से एक है। इस अप्राकृतिक झील के निर्माण में गढवाल राइफल्स के जवानों ने बहुत मद्द की थी, जिसके कारण यह झील उन्हें समर्पित है। इस झील का नाम गढवाली शब्द “बूल्ला” पर रखा गया है, जिसका अर्थ है “छोटा...
गढवाल राइफल्स रेजिमेंटल युद्ध स्मारक, लैंसडाउन के श्रेष्ठ आकर्षक स्थलों में से एक है। इस स्मारक का निर्माण 11 नवंबर 1923 में, भारत के पूर्व कमांडर इन चीफ, ट्रेंट के लोर्ड लोरींस्न ने किया था। यह लैंसडाउन के परेड मैदान में बनी है। इस संग्रहालय से यात्रियों को...