फिरंगी चौक, लखनऊ में विक्टोरिया रोड़ और चौक के बीच में स्थित है। इस भव्य स्मारकीय इमारत का नाम इसके पीछे एक तथ्य पर पड़ा है। कहा जाता है कि यह चौक यूरोपियन लोगों के कब्जे में था जिन्हे फिरंगी कहा जाता था और इसी कारण इसे फिरंगी चौक के...
अमीनाबाद, लखनऊ का एक बाजार है जिसे शाह आलम द्वितीय ने 1759 - 1806 के दौरान विकसित किया था। उसने ही इमामबाड़ा, फीलखाना और कई अन्य दुकानों के अलावा एक उद्यान भी बनवाया था।
उसकी मृत्यु के बाद, उसकी पत्नी ने नवाब वाजिद अली शाह के मंत्री, इमदाद...
कॉन्स्टन्टिया, लखनऊ का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो फ्रांस के लाओन के एक फ्रांसिसी निवासी मेजर जनरल क्लाड मार्टिन के निवासस्थान का नाम है। इस निवास स्थान को 1751 में बनवाया गया था। इस घर के नाम के पीछे कई कहानियां और किस्से...
छोटा इमामबाड़ा या छोटा श्राइन, लखनऊ में स्थित एक भव्य स्मारक है। इसे हुसैनाबाद इमामबाड़ा भी कहा जाता है। इस इमामबाड़ा को 1838 में मोहम्मद अली शाह के द्वारा बनवाया गया था, जो अवध के तीसरे नवाब थे। यह इमामबाड़ा, लखनऊ के पुराने क्षेत्र चौक के पास में...
लखनऊ के शहीद स्मारक को लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा उन अज्ञात और गुमनाम सेनानियों के लिए बनवाया गया है जिन्होने 1857 में आजादी के पहले युद्ध में अपनी जान गंवा दी। यह अच्छी तरह जाना जाता है कि लखनऊ में आजादी की पहली लड़ाई में लखनऊ के कई निवासी,...
छत्तर मंजिल को छाता पैलेस भी कहा जाता है क्योंकि इसकी गुंबद छातानुमा आकार की है। इस पैलेस का इतिहास चारों तरफ फैला हुआ है, इस महल को कई शासकों ने अलग - अलग समय पर बनवाया। इसे सबसे पहले जनरल क्लाउड मार्टिन के द्वारा बनवाया 1781 में उनके निवास...
शाह नज़फ इमामबाड़ा, लखनऊ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। इस स्मारक को नवाब गाजी- उद- दीन हैदर के द्वारा बनवाया गया था, जो अवध के पाचंवे नवाब थे और 1816-17 में उनके मृत शरीर को यही दफन कर दिया गया था। उनकी इच्छा के अनुसार, उनकी तीनों पत्नियों...
गौतम बुद्ध पार्क, लखनऊ के कई ऐतिहासिक स्मारकों और पार्को में से एक है जो इन सभी में से सबसे नवीनतम है। यह माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने अपने जीवन का अधिकाश: समय उत्तरप्रदेश में बिताया था और लखनऊ का प्राचीन नाम नखलऊ हुआ करता था, जो भगवान बुद्ध के नाखून के...
काउंसिल हाउस, लखनऊ में शहर के बीचों - बीच विधानसभा रोड़ पर गोमती नदी के किनारे स्थित है। वर्तमान समय में कॉउंसिल हाउस, लखनऊ का उपयोग उत्तर प्रदेश की विधान सभा के रूप में किया जा रहा है। इसे उत्तर प्रदेश की ब्रिटिश सरकार ने उस दौरान बनवाया था जब यूपी की...
1857 मेमोरियल म्यूजियम, भारत की आजादी की लड़ाई में लोगों की भागीदारी की झलक दिखाता है। यहां आकर संग्रहालय में देखने से पता चलता है कि गुलामी के दिनों में लखनऊ के निवासियों ने आजादी की पहली लड़ाई में कितनी अह्म भूमिका निभाई थी। यह भली - भांति जाना जाता है कि...
देश भर में कई मोती महल हैं। इनमें से कई रेस्टोरेंट और होटल है लेकिन लखनऊ का मोती महल अवध के नवाब का निवास स्थान था। मोती महल का शाब्दिक अर्थ होता है - पर्ल पैलेस। मोती महल, लखनऊ में राना प्रताप मार्ग पर गोमती नदी के तट पर स्थित है जो हजरतगंज इलाके के...
सिंकदर बाग, एक गार्डन के रूप में जाना जाता है और इस गार्डन परिसर में एक विला भी है। इसे नवाब वाजिद अली शाह ने बनवाया था, जो अवध के आखिरी नवाब थे। उन्होने सिकंदर बाग को गर्मियों के निवास स्थान के रूप में बनवाया था। यह स्पष्ट नहीं है कि...
अवध के नवाब नसीर-उद-दौला ने नौ मंजिला इमारत के बारे में सोचा था, जिसका नाम वह नौखंडा रखना चाहते थे। वह चाहते थे कि यह टॉवर सबसे ऊंचा हो और दुनिया का आंठवा आश्चर्य बने, जिसे दुनिया में बेबलॉन के टॉवर या पीसा की मीनार जितनी ख्याति प्राप्त हो।
...कॉल्विन तालुकदार कॉलेज, भारत के सबसे पुराने स्कूलों में से एक है। इस स्कूल को सर ऑकलैंड कॉल्विन द्वारा स्थापित किया गया था, जो अवध और आगरा के उपराज्यपाल हुआ करते थे। उस दिनों पुराना हैदराबाद का हसनगंज इलाका गोमती नदी के तट पर स्थित हुआ...
मुख्य घाट, लखनऊ के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है और इसे लखनवी घाट के रूप में जाना जाता है।